राष्ट्रीय सुरक्षा में जनभागीदारी अनिवार्य: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

  • राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय सुरक्षा में नागरिकों की सक्रिय भागीदारी को अनिवार्य बताया।
  • खुफिया ब्यूरो के शताब्दी व्याख्यान में जन-केंद्रित सुरक्षा पर जोर।
  • आतंकवाद, साइबर अपराध और भ्रामक सूचनाओं को बड़ी चुनौती बताया।
  • जनविश्वास और सामुदायिक सहयोग को सुरक्षा रणनीति की कुंजी कहा।

 समग्र समाचार सेवा
23 दिसंबर ,नई दिल्ली :राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा केवल सरकार या सुरक्षा एजेंसियों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि इसमें नागरिकों की सक्रिय और जागरूक भागीदारी अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सुरक्षा किसी भी देश के आर्थिक निवेश, विकास और स्थिरता की बुनियादी शर्त है और सुरक्षित भारत के बिना समृद्ध भारत की कल्पना संभव नहीं है।

खुफिया ब्यूरो के शताब्दी व्याख्यान में राष्ट्रपति का संबोधन

राष्ट्रपति मंगलवार को नई दिल्ली में खुफिया ब्यूरो (IB) के शताब्दी व्याख्यान को संबोधित कर रही थीं। इस अवसर पर व्याख्यान का विषय था— “जन-केंद्रित राष्ट्रीय सुरक्षा: विकसित भारत के निर्माण में सामुदायिक भागीदारी”। राष्ट्रपति ने स्वतंत्रता के बाद से देश की एकता और अखंडता की रक्षा में खुफिया ब्यूरो की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि संस्था ने दशकों तक निष्ठा और प्रतिबद्धता के साथ राष्ट्र की सेवा की है।

जागरूक नागरिक बन सकते हैं सुरक्षा एजेंसियों के सहयोगी

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि जन-केंद्रित राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा तात्कालिक और दीर्घकालिक—दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। उन्होंने जोर दिया कि जागरूक नागरिक सुरक्षा एजेंसियों के लिए मजबूत सहयोगी सिद्ध हो सकते हैं। संगठित समुदायों के रूप में नागरिक सरकार के प्रयासों को प्रभावी बना सकते हैं। उन्होंने छात्रों, शिक्षकों, मीडिया, आवासीय कल्याण समितियों और सामाजिक संगठनों से संवैधानिक कर्तव्यों के प्रति जागरूकता फैलाने का आह्वान किया।

जनविश्वास और सेवा भाव से ही मजबूत होगी सुरक्षा

राष्ट्रपति ने कहा कि जनभागीदारी ही जन-केंद्रित राष्ट्रीय सुरक्षा की आधारशिला है। उन्होंने कई उदाहरणों का उल्लेख करते हुए कहा कि सतर्क नागरिकों द्वारा समय पर दी गई सूचनाओं से बड़े सुरक्षा संकट टाले जा सके हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस और आंतरिक सुरक्षा एजेंसियों को सेवा भाव के साथ कार्य करना चाहिए, क्योंकि जनता का विश्वास ही किसी भी सुरक्षा रणनीति की सबसे बड़ी पूंजी है।

उभरती चुनौतियां और तकनीक आधारित खतरे

देश के सामने मौजूद बहुआयामी सुरक्षा चुनौतियों पर बात करते हुए राष्ट्रपति ने सीमा क्षेत्रों में तनाव, आतंकवाद, उग्रवाद, सांप्रदायिक कट्टरता और साइबर अपराधों को गंभीर चिंता का विषय बताया। उन्होंने कहा कि देश के किसी एक हिस्से में असुरक्षा का प्रभाव पूरे राष्ट्र की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।
उन्होंने यह भी कहा कि वामपंथी उग्रवाद लगभग समाप्ति की ओर है, जिसमें सुरक्षा बलों की कार्रवाई के साथ-साथ जनविश्वास और सामाजिक-आर्थिक समावेशन की बड़ी भूमिका रही है।

भ्रामक सूचनाओं से निपटने में नागरिकों की भूमिका

सूचना माध्यमों की भूमिका पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भ्रामक सूचनाओं से जनता की रक्षा एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए तथ्य-आधारित जानकारी को आगे बढ़ाने वाले जागरूक नागरिक समुदाय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि तकनीक आधारित अपराधों की सूचना देकर नागरिक वास्तविक समय में सुरक्षा एजेंसियों की मदद कर सकते हैं।

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