बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के 9वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द
समग्र समाचार सेवा
लखनऊ, 26 अगस्त। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने 4 दिवसीय उत्तर प्रदेश दौरे पर हैं। आज लखनऊ एयरपोर्ट पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी ने उनका स्वागत किया। जानकारी के मुताबिक, 4 दिनों के इस दौरे पर राष्ट्रपति लखनऊ, गोरखपुर और अयोध्या में कई कार्यक्रमों में शामिल होंगे।
आज राष्ट्र्पति लखनऊ में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी के 9 वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। लखनऊ पहुंचने के बाद राष्ट्र्पति का जोरदार स्वागत किया गया। इस दौरान राष्ट्र्पति के साथ CM योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी मौजूद रहे। यूनिवर्सिटी के कुलपति संजय सिंह ने सभी अतिथियों को सम्मानित किया। इस मौके पर राष्ट्रपति श्री कोविंद ने कहा कि मुझे दिसंबर 2017 में इस विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल होने का अवसर मिला था। उन्होंने आगे कहा कि यह एकमात्र विश्वविद्यालय है, जहां के किसी समारोह में मैं दूसरी बार आया हूं। राष्ट्र्पति ने कहा कि यह विश्वविद्यालय बाबा साहेब के विचारों के अनुरूप शिक्षा के माध्यम से अनुसूचित जातियों और जनजातियों के समावेशी विकास के लिए खास योगदान दे रहा है।
राष्ट्र्पति ने उपाधियां प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई और आशीर्वाद देते हुए कहा कि पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की विशेष उपलब्धियों के लिए मैं उनकी सराहना करता हूं। विद्यार्थियों की सफलता में सहायता और प्रेरणा प्रदान करने वाले अध्यापकों, अभिभावकों तथा विश्वविद्यालय की टीम के अन्य सदस्यों को भी मैं बधाई और साधुवाद देता हूं।
उन्होंने आगे कहा कि इन वर्गों के विद्यार्थियों के लिए इस विश्वविद्यालय में प्रवेश हेतु 50 प्रतिशत सीटों का आरक्षण तथा अन्य सुविधाओं के विशेष प्रावधानों से ऐसे विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा के अवसर बढ़े हैं। साथ ही, इन विद्यार्थियों में से उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को अलग से पदक प्रदान करके प्रोत्साहित किया जाना भी एक सराहनीय पहल है। ये सभी प्रयास आप सबके इस विश्वविद्यालय की समावेशी संस्कृति को और मजबूत बनाएंगे। इस प्रकार, आप सबका यह विश्वविद्यालय समतामूलक समाज के बाबासाहेब के स्वप्न को पूरा करने की दिशा में सराहनीय योगदान दे रहा है।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि सन 2017 के मेरे सुझावों के अनुसार आपने एल्यूम्नाई एसोसिएशन की स्थापना सहित कई कदम उठाए हैं। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि इस विश्वविद्यालय द्वारा ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं जिनसे विद्यार्थियों को शिक्षा व रोजगार के बेहतर अवसर प्राप्त हो सकेंगे। इन प्रयासों के लिए मैं कुलाधिपति डॉक्टर प्रकाश बरतूनिया, कुलपति प्रोफेसर संजय सिंह तथा विश्वविद्यालय की पूरी टीम की सराहना करता हूं।
उत्तर प्रदेश की अपनी पिछली यात्रा के दौरान इसी वर्ष जून में मुझे ‘डॉक्टर भीमराव आंबेडकर सांस्कृतिक केंद्र’ के शिलान्यास समारोह में सम्बोधन करने का अवसर मिला था। उस समय मैंने यह विचार व्यक्त किया था कि उस सांस्कृतिक केंद्र का आपके इस विश्वविद्यालय के साथ तालमेल बने और बाबासाहेब के विचारों को प्रसारित करने के संयुक्त प्रयास किए जाएं जिससे उनके बहुआयामी व्यक्तित्व और योगदान के विषय में सबको जानकारी मिल सके। हम सब जानते हैं कि विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र के संविधान के शिल्पकार होने के साथ-साथ बाबासाहेब ने हमारे बैंकिंग, इरिगेशन, इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम, लेबर मैनेजमेंट सिस्टम, रेवेन्यू शेयरिंग सिस्टम, शिक्षा व्यवस्था आदि क्षेत्रों में मूलभूत योगदान दिया है। वे एक शिक्षाविद, अर्थ-शास्त्री, विधिवेत्ता, राजनीतिज्ञ, पत्रकार, समाज-शास्त्री व समाज सुधारक तो थे ही, उन्होंने संस्कृति, धर्म और अध्यात्म के क्षेत्रों में भी अपना अमूल्य योगदान दिया है। उनके अवदान के विषय में गहन और विस्तृत अध्ययन करना राष्ट्र-निर्माण में सहायक होगा।
राष्ट्र्पति ने कहा कि अपनी इस यात्रा के दौरान मुझे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे विशेष प्रयासों के बारे में और भी अधिक जानने का अवसर मिला है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप राज्य में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। सामाजिक न्याय और व्यक्तिगत उन्नति के लिए शिक्षा ही सबसे प्रभावी माध्यम होती है। शिक्षा के विकास हेतु किए गए इन प्रयासों की भरपूर सराहना की जानी चाहिए। इसलिए मैं राज्यपाल श्रीमती आनन्दीबेन पटेल, मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ एवं उनके अधिकारियों व कर्मचारियों की प्रशंसा करता हूं।
आज सावित्रीबाई फुले महिला छात्रावास का शिलान्यास करके मैं स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। सावित्रीबाई फुले ने आज से लगभग 175 वर्ष पहले बेटियों की शिक्षा के लिए जो क्रांतिकारी कदम उठाए, उनका महत्व तब और भी अधिक स्पष्ट होता है जब हम तत्कालीन समाज में महिलाओं की स्थिति के विषय में अध्ययन करते हैं। आज हमारी बेटियां हमारे समाज और देश का गौरव पूरे विश्व में बढ़ा रही हैं। हाल ही में सम्पन्न हुए ओलंपिक खेलों में हमारी बेटियों के प्रदर्शन से पूरे देश में गर्व की भावना का संचार हुआ है। आज प्रत्येक क्षेत्र में हमारी बेटियों ने अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज की है। समान अवसर मिलने पर प्राय: हमारी बेटियां हमारे बेटों से भी आगे निकल जाती हैं। आज के इस समारोह में भी पदक विजेताओं में बेटियों की संख्या अधिक है। इस परिवर्तन को एक स्वस्थ समाज और उन्नत राष्ट्र की दिशा में बढ़ते हुए कदम के रूप में देखा जाना चाहिए।
राष्ट्र्पति ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि बाबासाहेब ने भगवान बुद्ध, संत कबीर और जोतिबा फुले को अपना गुरु माना था। संत कबीर की वाणी के अथाह सागर से बाबासाहेब ऐसे उद्धरणों को चुनते थे जो व्यक्ति और समाज को सीधे-सीधे समझ में आएं और उपयोगी हों। बाबासाहेब को संत कबीर का ऐसा ही एक कथन बहुत प्रिय था:
कबीर कहे, कुछ उद्दम कीजे,
आप खाय, औरन को दीजे।
इस पंक्ति के माध्यम से बाबासाहेब ने उद्यमशीलता, आत्म-निर्भरता और स्वयं के उत्थान के साथ-साथ समाज के कल्याण की भावना के साथ कार्य करने की प्रेरणा दी है। बाबासाहेब कठोर परिश्रम, और स्व-रोजगार के पक्षधर थे। उनकी आर्थिक सोच निजी उद्यम को प्रोत्साहित करने की थी। आज यदि बाबासाहेब होते तो उन्हें यह देखकर बहुत प्रसन्नता होती कि भारत के हजारों उद्यमी युवा स्व-रोजगार के प्रति उत्साहित हैं और बहुत से लोगों को रोजगार दे रहे हैं।
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