इतिहास रचेंगी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू: वाहन से सबरीमाला पहुंचने वाली पहली भारतीय राष्ट्रपति

समग्र समाचार सेवा
तिरुवनंतपुरम, 20 अक्टूबर: भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 22 अक्टूबर को एक ऐतिहासिक यात्रा पर निकलेंगी। वह सबरीमाला मंदिर तक वाहन से पहुंचने वाली देश की पहली राष्ट्रपति बनेंगी। यह यात्रा थुलाम मासिक पूजा के शुभ अवसर पर होगी, जिसके लिए सुरक्षा और प्रोटोकॉल की तैयारियाँ जोरों पर हैं।

त्रावणकोर देवस्वंम बोर्ड (TDB) ने राष्ट्रपति को पंबा से मंदिर तक मोटरकेड में जाने की विशेष अनुमति दी है, जो पारंपरिक रूप से 4.5 किलोमीटर लंबा कठिन पैदल मार्ग होता है। सदियों से भक्त इस यात्रा को नंगे पांव पूरी करते हैं, जिसमें वाहनों का प्रयोग वर्जित है।

पारंपरिक मार्ग में विशेष छूट

TDB के अध्यक्ष पी. एस. प्रसंत ने बताया कि राष्ट्रपति का यह दौरा एक बार का प्रशासनिक निर्णय है और यह किसी परंपरा का उल्लंघन नहीं है। उन्होंने कहा, “यह निर्णय सुरक्षा कारणों से लिया गया है और इससे मंदिर की धार्मिक मर्यादा पर कोई असर नहीं पड़ेगा।”

राष्ट्रपति का काफिला स्वामी अय्यप्पन रोड से होकर गुजरेगा, जो सामान्यतः सिर्फ आपातकालीन या रखरखाव के वाहनों के लिए आरक्षित रहता है। उनके साथ एक विशेष चार-पहिया गुरखा इमरजेंसी वाहन, छह अन्य गाड़ियाँ और एक मेडिकल यूनिट शामिल होगी।

इस निर्णय को केरल हाईकोर्ट ने भी मंजूरी दी है। अदालत ने कहा कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा प्रोटोकॉल के अनुरूप है और इससे मंदिर की परंपराओं का उल्लंघन नहीं होता।

सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक तैयारी

इस ऐतिहासिक दौरे के लिए स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) और केरल पुलिस संयुक्त रूप से सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी कर रहे हैं। रिहर्सल, ट्रायल रन और मार्ग की तकनीकी जांच पहले ही शुरू हो चुकी है।

गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति की आयु, स्वास्थ्य और सुरक्षा जोखिम को ध्यान में रखते हुए वाहन से यात्रा की सिफारिश की थी। यह अनुमति ब्लू बुक प्रोटोकॉल के तहत दी गई है, जो संवैधानिक पदाधिकारियों की सुरक्षा व्यवस्था निर्धारित करता है।

हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह फैसला किसी स्थायी मिसाल के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। अदालत ने पहले के उन आदेशों की भी याद दिलाई जिनमें मानव परिवहन के लिए ट्रैक्टरों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया था।

धार्मिक विधियों में पूर्ण भागीदारी

त्रावणकोर देवस्वंम बोर्ड ने पुष्टि की है कि राष्ट्रपति मुर्मू सभी धार्मिक अनुष्ठानों में पारंपरिक रूप से भाग लेंगी।

प्रसंत ने कहा, “राष्ट्रपति ‘इरुमुडी’ धारण करेंगी और 18 पवित्र सीढ़ियों पर नारियल तोड़ने की परंपरा का पालन करेंगी।”

भीड़ नियंत्रण के लिए निलक्कल और पंबा में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया जाएगा। सीसीटीवी, ड्रोन और तीन-स्तरीय सुरक्षा प्रणाली से पूरे क्षेत्र की निगरानी होगी।

महत्वपूर्ण रूप से, राष्ट्रपति के लिए मंदिर के भीतर कोई विशेष वीआईपी कतार नहीं बनाई जाएगी। वह अन्य श्रद्धालुओं की तरह सामान्य प्रक्रिया से दर्शन करेंगी।

धार्मिक और सामाजिक महत्व

यह यात्रा केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और सामाजिक दृष्टि से भी अहम है। सबरीमाला मंदिर 2018 में सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय के बाद सुर्खियों में आया था जिसमें सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी गई थी।

राष्ट्रपति मुर्मू, जिनकी आयु 50 वर्ष से अधिक है, परंपरागत रूप से स्वीकृत आयु सीमा में आती हैं और इस प्रकार वह सबरीमाला में पूजा करने वाली पहली महिला राष्ट्रपति बनेंगी।

जहां एक ओर भक्त इस यात्रा को गर्व और आस्था का प्रतीक मान रहे हैं, वहीं कुछ पारंपरिक समूहों में इसे लेकर हल्की असहमति भी देखने को मिली है। फिर भी, अधिकांश लोग इसे आस्था, परंपरा और आधुनिकता के संगम के रूप में देख रहे हैं।

यह दौरा न केवल केरल बल्कि पूरे देश के लिए एक धार्मिक और सांस्कृतिक मील का पत्थर बन सकता है।

 

 

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