मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू: गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में पेश किया प्रस्ताव, सदन ने दी मंजूरी

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,5 अप्रैल।
केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने राज्यसभा में मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए वैधानिक प्रस्ताव पेश किया, जिसे उच्च सदन ने बाद में मंजूरी दे दी। इस कदम के साथ मणिपुर की संवेदनशील स्थिति पर केंद्र सरकार की सीधी निगरानी स्थापित हो गई है।

श्री शाह ने स्पष्ट किया कि मणिपुर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव इसलिए नहीं लाया गया क्योंकि विपक्ष के पास पर्याप्त संख्या बल नहीं था। मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद राज्यपाल ने भाजपा के 37, एनपीपी के 6, एनपीएफ के 5, जेडीयू के 1 और कांग्रेस के 5 विधायकों से चर्चा की। चूंकि कोई भी पक्ष सरकार बनाने की स्थिति में नहीं था, इसलिए कैबिनेट ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की, जिसे राष्ट्रपति ने 13 फरवरी 2025 को मंजूरी दी।

गृह मंत्री ने कहा कि मणिपुर में जो हिंसा हुई है, वह न तो आतंकवाद है, न धार्मिक संघर्ष, और न ही सरकारी विफलता — बल्कि यह दो समुदायों के बीच फैली असुरक्षा की भावना से उत्पन्न जातीय हिंसा है, जिसकी जड़ें हाईकोर्ट के एक फैसले से जुड़ी हैं। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अगले ही दिन उस फैसले पर स्थगन लगा दिया क्योंकि वह असंवैधानिक था।

श्री शाह ने कहा कि जब मणिपुर में विपक्ष की सरकार थी, तब हर साल औसतन 200 दिन हड़तालें, नाकेबंदी और कर्फ्यू रहते थे और 1,000 से ज्यादा मौतें मुठभेड़ों में होती थीं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि उस समय के प्रधानमंत्री ने एक बार भी मणिपुर का दौरा नहीं किया

उन्होंने 1993 से 1998 तक नागा-कुकी संघर्ष, 1997-98 के कुकी-पैते संघर्ष और 1993 के मैतेई-पंगल संघर्ष की भी चर्चा की, जिनमें सैकड़ों मौतें और हजारों लोगों का विस्थापन हुआ, लेकिन उस समय की सरकारों ने इस पर कोई विशेष कदम नहीं उठाया

गृह मंत्री ने विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा कि वे नक्सलवाद और जातीय हिंसा के बीच अंतर नहीं कर पा रहे। उन्होंने समझाया कि नक्सली सरकार और जनता के खिलाफ हथियार उठाते हैं, जबकि मणिपुर में हुई हिंसा दो समुदायों के बीच की सामाजिक जटिलता से उपजी है, जिसे संवाद से सुलझाया जा सकता है।

श्री शाह ने बताया कि मणिपुर में पिछले दिसंबर से कोई हिंसा नहीं हुई है और स्थिति सामान्य हो रही है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि अब तक कई दौर की वार्ताएं दोनों पक्षों के साथ हो चुकी हैं और एक और बैठक जल्द ही नई दिल्ली में आयोजित की जाएगी। उन्होंने भरोसा जताया कि दोनों समुदाय संवाद का मार्ग अपनाएंगे और स्थिति को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाया जाएगा।

गृह मंत्री ने बताया कि 2004 से 2014 के बीच पूर्वोत्तर में 11,327 हिंसक घटनाएं हुई थीं, जबकि मोदी सरकार के 10 वर्षों में यह आंकड़ा 70% घटकर 3,428 तक आ गया है। सुरक्षा बलों की मौतों में 70% और आम नागरिकों की मौतों में 85% की कमी आई है। अब तक 20 शांति समझौते हुए हैं और 10,000 से अधिक युवाओं ने हथियार छोड़कर मुख्यधारा अपनाई है

श्री शाह ने विपक्ष पर दोहरी मानसिकता अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल के संदीशखाली और आरजी कर जैसे मामलों में जब महिलाओं पर अत्याचार हुआ, तब उन्होंने कुछ नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्ष राजनीति कर रहा है, जबकि उनकी पार्टी ने अतीत में ऐसा नहीं किया।

गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन स्थायी नहीं है और जैसे ही हालात सामान्य होंगे, इसे समाप्त कर जनप्रतिनिधियों के शासन की बहाली कर दी जाएगी।

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