समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 5जून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इस कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, केंद्रीय पेट्रोलियम परिवहन मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूद रहें। इस दौरान पीएम ने इथेनॉल को 21वीं सदी में भारत की प्रथमिकता बताया। इस वर्ष के कार्यक्रम का विषय उद्देश्य बेहतर पर्यावरण के लिए जैव ईंधन को बढ़ावा देना है।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर कहा कि भारत ने इथेनॉल क्षेत्र के विकास के लिए एक विस्तृत रोडमैप जारी करके एक और बड़ा कदम उठाया है। इथेनॉल के उत्पादन और वितरण से संबंधित E100 पायलट प्रोजेक्ट भी आज पुणे में शुरू किया गया।
इस कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी भारत में 2020-2025 के दौरान इथेनाल सम्मिश्रण से संबंधित रोडमैप के बारे में विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट जारी करेंगे। इस मौके पर पीएम पुणे में तीन स्थानों पर ई 100 के वितरण स्टेशनों की एक पायलट परियोजना का भी शुभारंभ किया।
Prime Minister Narendra Modi along with Union Environment Minister Prakash Javadekar, Union Petroleum Transport Minister Dharmendra Pradhan address a virtual meeting in view of World Environment Day. pic.twitter.com/aZglWwBaKX
— ANI (@ANI) June 5, 2021
पीएम मोदी ने कहा कि प्रदूषण को कम करने और आयात पर निर्भरता घटाने के लिए पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल मिलाने के लक्ष्य को पांच साल से घटाकर 2025 कर दिया गया है। पहले यह लक्ष्य 2030 तक पूरा किया जाना था। उन्होंने कहा, ‘सात से आठ साल पहले भारत में एथेनॉल पर शायद ही कभी कोई चर्चा होती थी, लेकिन अब एथेनॉल हमारी प्राथमिकता का हिस्सा है। इथेनॉल पर ध्यान देने से पर्यावरण और किसानों के जीवन पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। हमारा लक्ष्य साल 2025 तक पेट्रोल में 20 फीसद इथेनॉल सम्मिश्रण को पूरा करना है।’
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘वर्ष 2013-14 में जहां देश में 38 करोड़ लीटर एथेनॉल खरीदा जाता था, वह अब आठ गुना से भी ज्यादा बढ़कर करीब 320 करोड़ लीटर हो गया है। पिछले साल पेट्रोलियम कंपनियों ने 21 हजार करोड़ रुपये का एथेनॉल खरीदा और इसका बड़ा हिस्सा देश के किसानों, विशेष कर गन्ना किसानों को गया और उन्हें इससे बहुत लाभ हुआ।’ बता दें, गन्ने और गेहूं व टूटे चावल जैसे खराब हो चुके खाद्यान्न तथा कृषि अवशेषों से एथेनॉल निकाला जाता है। इससे प्रदूषण भी कम होता है और किसानों को आमदनी का एक विकल्प भी मिलता है।
उन्होंने कहा कि जब पर्यावरण की रक्षा की बात हो तो यह जरूरी नहीं कि विकास कार्यों को अवरुद्ध किया जाए और इस मामले में भारत दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी दोनों एक साथ चल सकती हैं, आगे बढ़ सकती हैं। भारत ने यही रास्ता चुना है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘दुनिया कभी भारत को जलवायु परिवर्तन, इतनी बड़ी आबादी के चलते एक चुनौती के रूप में देखती थी। लोगों को लगता था कि संकट यहीं से आएगा, लेकिन आज स्थिति बदल गई है। आज हमारा देश जलवायु परिवर्तन का अगुवा बनकर उभर रहा है। एक विकराल संकट के विरुद्ध बड़ी ताकत बन रहा है।’
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