प्रधानमंत्री मोदी ने गांधी जयंती पर महात्मा गांधी को अर्पित की श्रद्धांजलि

समग्र समाचार सेवा
दिल्ली, 2 अक्टूबर: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री ने गांधीजी की सत्य, अहिंसा और नैतिक साहस की चिरस्थायी विरासत का स्मरण करते हुए कहा कि उनके आदर्श आज भी विश्व भर में लोगों को प्रेरित करते हैं और भारत के विकास और समावेशी समाज के निर्माण में मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में कार्य कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी के जीवन को असाधारण बताते हुए उनके सादगी और सेवा के सिद्धांतों की सराहना की। उन्होंने कहा कि गांधीजी ने यह दिखाया कि साहस और सरल जीवन किसी भी सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन का सबसे शक्तिशाली साधन हो सकते हैं। उनका दृष्टिकोण केवल व्यक्तिगत नैतिकता तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने सेवा, करुणा और अहिंसा के माध्यम से समाज को सशक्त बनाने का मार्ग सुझाया।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा:
“गांधी जयंती प्रिय बापू के असाधारण जीवन को श्रद्धांजलि अर्पित करने का दिन है, जिनके आदर्शों ने मानव इतिहास की दिशा बदल दी। उन्होंने दिखाया कि कैसे साहस और सादगी महान परिवर्तन के साधन बन सकते हैं। वे सेवा और करुणा की शक्ति को लोगों को सशक्त बनाने के आवश्यक साधन मानते थे। हम एक विकसित भारत के निर्माण के अपने प्रयास में उनके बताए मार्ग पर चलते रहेंगे।”

विशेषज्ञों का मानना है कि गांधीजी के सिद्धांत आज भी भारत और दुनिया के लिए प्रासंगिक हैं। उनके अहिंसात्मक आंदोलनों ने न केवल स्वतंत्रता संग्राम को सफल बनाया, बल्कि सामाजिक सुधारों और नागरिक अधिकारों के लिए भी मार्ग प्रशस्त किया। उनका जीवन यह प्रमाणित करता है कि नैतिक नेतृत्व और सत्य की प्रतिज्ञा से समाज में स्थायी परिवर्तन संभव है।
प्रधानमंत्री मोदी ने गांधीजी की विरासत को आधुनिक भारत के निर्माण में प्रेरक तत्व बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा, रोजगार, स्वच्छता और सामाजिक न्याय जैसे क्षेत्रों में गांधीजी के सिद्धांतों को लागू करना आज भी राष्ट्र की प्राथमिकता होनी चाहिए। उनके आदर्शों से युवाओं को नैतिक मूल्यों, सहिष्णुता और सेवा भाव की सीख मिलती है।
गांधी जयंती के इस अवसर पर प्रधानमंत्री की श्रद्धांजलि न केवल एक ऐतिहासिक यादगार है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता और समावेशी विकास की दिशा में भारतीय समाज के सामूहिक प्रयास को भी दर्शाती है। उनके संदेश से यह स्पष्ट होता है कि राष्ट्र आज भी गांधीजी के बताए मार्ग पर चलकर सशक्त, समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में अग्रसर है।

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