प्रधानमंत्री मोदी ने RSS की शताब्दी पर लिखा लेख, साझा किए विचार

समग्र समाचार सेवा
दिल्ली, 2 अक्टूबर: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की 100वीं वर्षगांठ पर एक विशेष लेख में अपने विचार साझा किए। उन्होंने लेख में आरएसएस के समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण में योगदान पर प्रकाश डाला और संस्थान की यात्रा को सराहा।

प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा किए गए संदेश में लिखा, “सौ साल पहले विजयादशमी के दिन, समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण के उद्देश्य से आरएसएस का जन्म हुआ। सौ वर्षों से भी अधिक समय से, असंख्य स्वयंसेवकों ने इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। इस बारे में मेरे विचार

प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में यह भी कहा कि आरएसएस ने पिछले एक शताब्दी के दौरान समाज सेवा के अनेक आयामों में योगदान दिया और देश की एकता, सामाजिक समरसता तथा विकास के मार्ग पर निरंतर कार्य किया। उन्होंने संस्थान के स्वयंसेवकों की प्रतिबद्धता और समर्पण को भी सम्मानित किया।

आरएसएस की स्थापना 1925 में विजयादशमी के दिन हुई थी। इसका उद्देश्य समाज में सेवा भाव और राष्ट्र निर्माण की भावना को बढ़ावा देना था। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने लेख में यह भी उल्लेख किया कि संगठन ने वर्षों से शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और सामाजिक चेतना के क्षेत्र में विभिन्न पहलें की हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि प्रधानमंत्री द्वारा आरएसएस की शताब्दी पर लिखा गया यह लेख संगठन की भूमिका और समाज में इसके योगदान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उजागर करता है। यह लेख यह भी दर्शाता है कि देश में सेवा और राष्ट्रभक्ति के मूल्यों को बनाए रखना समय की आवश्यकता है।

सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री के इस लेख को बड़ी संख्या में लोग साझा कर रहे हैं और इसे भारतीय समाज और युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्पद बताया जा रहा है। यह पहल केवल संगठन के योगदान का सम्मान नहीं है, बल्कि समाज सेवा के महत्व और राष्ट्र निर्माण के लिए योगदान देने की प्रेरणा भी देती है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में यह स्पष्ट किया कि आरएसएस की यात्रा केवल एक संगठन की नहीं, बल्कि राष्ट्र की सेवा में जुटे असंख्य स्वयंसेवकों की कहानी है। उनके अनुसार, आज का भारत इसी निरंतर प्रयास और समर्पण का परिणाम है।

इस लेख के माध्यम से प्रधानमंत्री ने भारतीय समाज और युवाओं को यह संदेश दिया कि सेवा, समर्पण और देशभक्ति की भावना हर नागरिक में होनी चाहिए। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि आने वाली पीढ़ियाँ भी इसी दृष्टिकोण को अपनाएंगी और देश की प्रगति में योगदान देंगी।

 

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