प्रधानमंत्री मोदी को मिला ‘धर्म चक्रवर्ती’ सम्मान, जानें क्या है इसका अर्थ

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 29 जून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शनिवार को जैन समाज ने ‘धर्म चक्रवर्ती’ की उपाधि देकर सम्मानित किया। यह अवसर आचार्य श्री 108 विद्यानंद जी महाराज की 100वीं जयंती के शताब्दी समारोह का था, जहां प्रधानमंत्री ने समारोह का विधिवत उद्घाटन किया। इस दौरान आचार्य श्री 108 प्रज्ञा सागर जी महाराज ने प्रधानमंत्री को यह सम्मान प्रदान किया जिसे प्रधानमंत्री ने विनम्रता से स्वीकार करते हुए कहा कि वे इस उपाधि के योग्य नहीं हैं, लेकिन भारतीय संस्कृति में संतों के हाथों से मिले उपहार को ‘प्रसाद’ मानकर स्वीकार करना चाहिए।

क्या है ‘धर्म चक्रवर्ती’ उपाधि का महत्व
‘धर्म चक्रवर्ती’ का अर्थ होता है—धर्म के चक्र को चलाने वाला, यानी ऐसा मार्गदर्शक जो सत्य और अहिंसा के मार्ग को आगे बढ़ाए। जैन परंपरा में यह सम्मान बहुत विशेष माना जाता है। यह उपाधि केवल उसे दी जाती है जो नैतिक मूल्यों को वैश्विक स्तर पर प्रसारित करता है। प्रधानमंत्री मोदी को यह उपाधि भारत की आध्यात्मिक परंपरा को दुनिया तक पहुंचाने, जैन धर्म के सिद्धांतों को सम्मान दिलाने और भारतीय समाज में नैतिकता के प्रचार में योगदान के लिए दी गई है।

गृह मंत्रालय ने दी पुष्टि
प्रधानमंत्री को मिले इस सम्मान की पुष्टि गृह मंत्रालय ने भी की है। मंत्रालय के बयान के अनुसार शताब्दी समारोह में केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, राष्ट्रसंत परम्पराचार्य प्रज्ञासागर मुनिराज समेत अनेक जैन संत और सांसद उपस्थित रहे। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने ‘आचार्य श्री 108 विद्यानंद जी महाराज जीवन और विरासत’ नामक प्रदर्शनी देखी। साथ ही आचार्य विद्यानंद जी महाराज पर आधारित स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया गया।

आचार्य विद्यानंद जी महाराज का योगदान
आचार्य विद्यानंद जी महाराज का जन्म 22 अप्रैल 1925 को कर्नाटक के शेदबल बेलगावी में हुआ था। वे कम उम्र में ही जैन साधना में प्रविष्ट हो गए थे। उनके स्मरण में 8000 से अधिक छंद थे और उन्होंने 50 से अधिक ग्रंथों की रचना की। आचार्य विद्यानंद ने दिल्ली, वैशाली और इंदौर जैसे शहरों में प्राचीन जैन मंदिरों का जीर्णोद्धार भी कराया। उनका जीवन प्रेरणा का स्रोत रहा है और यही वजह है कि उनकी 100वीं जयंती को विशेष उत्सव के तौर पर मनाया जा रहा है। यह शताब्दी समारोह 22 अप्रैल 2026 तक चलेगा।

 

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