*कुमार राकेश
प्रधानमन्त्री नरेन्द्र भाई मोदी के नेतृत्व में लगातार एनडीए की तीसरी बार सरकार बन गयी.विपक्ष भले ही कुछ कहे,लेकिन पिछले चुनाव परिणाम की तारीख 4 जून के पहले और बाद में भी प्रधानमंत्री मोदी के तेवर और मिजाज़ में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है.वैसे 2014 से अब तक श्री मोदी के नेतृत्व में ही एनडीएकी सरकार बनी थी,आज भी बनी हैं और कल भी बनेगी.ऐसा आत्मविश्वास प्रधानमंत्री मोदी का हैं.
इस क्रम में मैं एक वाक्या का जिक्र करना चाहूँगा.बात 2 जनवरी 2018 की हैं.स्थान संसद भवन का प्रधानमंत्री कार्यालय.प्रधानमन्त्री नरेन्द्र भाई मोदी जी से हमारी मुलाकात तय थी.साथ में थे-न्यूज़ इंडिया टाइम्स समूह और आईटीवी गोल्ड मीडिया समूह,अमेरिका के अध्यक्ष पदमश्री डॉ सुधीर पारिख.पहले से हमारी मुलाकात 7 मिनट की तय थी,जो बाद में करीब 90 मिनट से ज्यादा चली.कुछ ऐसी बात हो गयी कि हमने 2019 और 2024 में मोदी सरकार के गठन को लेकर भविष्यवाणी कर दी.मैंने कहा था-कोई कुछ कर ले-आयेंगे तो मोदी ही.पीएम मोदी जी चौके,मुस्कुराये और पूछा -कैसे -फिर क्या था.मुझे अपनी सोच,राजनीतिक समीकरण व विश्लेषण देश के उस शक्तिशाली व्यक्ति के सामने रखने का एक सुअवसर मिल गया.फिर वोचर्चा लम्बी चली.हमने 2019 और 2024 के चुनाव से जुड़े सभी पहलुओं और विपक्ष की स्थिति का सिलसिलेवार समीक्षात्मक विश्लेषण उनके समक्ष रखा.प्रधानमंत्री मोदी मेरे सभी तर्कों और समीकरणों को लेकर सहमत थे.बाद में मेरी पीठ भी थपथपायी.आशीर्वाद भी दिया.उस बौद्धिक चर्चा में मोदी जी ने भी अपनी सोच और विश्लेषणों से हमारा ज्ञानवर्धन भी किया था.चूँकि वो चर्चा मीडिया के लिए नहीं थी,इसलिए हमने उसे कही प्रकाशित नहीं किया.
हालांकि उस मुलाकात के पहले और बाद में प्रधानमन्त्री मोदी जी से कई अवसरों पर मुलाकातें हुयी,लेकिन आज वो 2 जनवरी 2018 की वो मुलाकात मेरी पूँजी हैं.2019 के बाद भी मैंने उन्हें अपनी बातें याद दिलाई थी.चिर परिचित मुस्कान के साथ उन्होंने अपनी सहमति दर्शायी थी.एक बार फिर हम 2024 के बाद उस ऐतिहासिक चर्चा को याद करने वाले हैं.आज 2024 के पहले भी मैं अपने समीकरणों/विश्लेषणों को लेकर अटल था,कई बार लिखा भी,कई टीवी चैनलों पर भी वही विचार तमाम तर्कों से साथ रखे थे-कुछ भी हो जाये,आयेंगे तो मोदी हीऔर अंतत: मोदी ही आये .विपक्षी दल चाहे कुछ भी कहे-जो जीता,वो मोदी!
प्रधानमंत्री मोदी आये ही नहीं,बल्कि करीब 62 वर्षो के बाद लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनकर एक नया विश्व रिकॉर्ड भी कायम किया है.स्वतंत्र भारत के इतिहास में उनसे पहले प्रथम पीएम जवाहरलाल नेहरु थे,जो लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने थे.9 जून 2024 भारत के लिए ऐतिहासिक तारीख बन गयी.इसके साथ ही लगातार 23 वर्षो तक सत्ता में बने रहने वाले श्री मोदी पहले राजनेता बन गए.ऐसा लगता है कि अब शायद ही कोई इस रिकॉर्ड को तोड़ सकेगा.प्रधानमंत्री मोदी पहले व्यक्ति हैं,जिनका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ.
इन तमाम ऐतिहासिक तथ्यों के बावजूद विपक्षी दल आज भी उन्हें कोसने से बाज़ नहीं आ रहे.ये भी एक तथ्य हैं कि 2014 के बाद पहली देश को अपेक्षाकृत मज़बूत विपक्ष मिला है.जो एक जीवंत लोकतंत्र के लिए आवश्यक माना जाता है.इसके साथ ही नयी एनडीए सरकार के लिए चुनौतियों का दौर शुरू हो गया हैं.
विपक्षी दलों के आशाओं के विपरीत सरकार के सभी मंत्रालयों का बंटवारा बड़े शांतिपूर्ण तरीके से किया गया.सभी सहयोगी दलों को उनकी इच्छा के अनुसार विभागों का वितरण किया गया.विपक्ष दलों नेविभाग वितरण जैसे मसले कोतूल देने की कई कोशिशे की,परन्तु वे असफल रहे.
सभी विभागों के वितरण की सबसे बड़ी खासियत ये रही कि पुराने 9 मंत्रियों और उनके विभागों में कोई फेरबदल नहीं किया गया हैं,जिससे प्रधानमंत्री मोदी की समग्र विकास को लेकर दूरगामी सोच परिलक्षित होती हैं.इसे विकास कार्य को “लगातार एक ही भाव,मुद्रा” में रखने की योजना हैं.यदि नए लोग आते तो प्रधानमन्त्री मोदी के 125 दिनों के तय विकास एजेंडे में थोडा विलम्ब हो सकता था.
प्रधानमंत्री मोदी के अलावा नौ मंत्रियों में रक्षा,वित्त,गृह,विदेश,रेल,सड़क परिवहन व राजमार्ग,शिक्षा,सामजिक न्याय व आधिकारिता,वाणिज्य व उद्योगके मंत्री व विभाग 2019 की तर्ज़ पर हैं.उल्लेखनीय हैं कि पूर्व की भांति राजनाथ सिंहं को रक्षा ,निर्मला सीतारमण को वित्त,अमित शाह को गृह,डॉ एस जयशंकर को विदेश,डॉ अश्विनी वैष्णव को रेल,नितिन गडकरी को सड़क परिवहन व राजमार्ग,धर्मेन्द्र प्रधान को शिक्षा,डॉ वीरेन्द्र कुमार को सामाजिक न्याय व आधिकारिता मंत्रालय और पीयूष गोयल को वाणिज्य व उद्योग मंत्रालयकी जिम्मेदारी सौंपी गयी हैं.इनमे से डॉ अश्विनी को सूचना व प्रसारण मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गयी हैं वही पूर्व की भांति अमित शाह को सहकारिता मंत्रालय भी संभालंगे. उसके अलावा भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को मनसुख माडविया वाला पुराना विभाग स्वास्थ्य व परिवार कल्याण के साथ रसायन व उर्वरक मंत्रालय दियागया हैं. मनसुख मांडविया को श्रम व रोजगार मंत्रालय के साथ युवा मामलो व खेल विभाग का भी मंत्री बनाया गया है. कुल 7 महिलाओ को भी मोदी मंत्रिमंडल में सदस्य बनाया गया हैं.जिसमे झारखण्ड के कोडरमा से दूसरी बार जीती अन्नपूर्णा देवी को प्रोन्नत कर महिला व बाल विकास मंत्रालय में काबीना मंत्री बनाया गया.मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अति महत्वपूर्ण कृषि कल्याण जैसे मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया हैं.पहले ये मंत्रालय मध्य प्रदेश के नरेन्द्र सिंह तोमर के पास था.शिवराज सिंह को ग्रामीण विकास जैसे मंत्रालय की भी अतिरिक्त जिम्मेदारी से नवाजा गया हैं. इस मोदी:3 सरकार में कुल 71 मंत्रियों में से 34 वही पुराने चहरे हैं,जो 2019 में भी इसी सरकार के हिस्से थे.ये भी एक नया ऐतिहासिक रिकॉर्ड हैं.
शायद 2024 का ये पहला चुनाव था जो “किया हैं और करेंगे” के आधार पर वोट मांगे गएँ.भाजपा ने जो जनहित में काम किये,उस पर वोट मांगें,जबकि इंडी गठबंधन ने “करेंगे”के आधार पर वोट मांगे.
9 जून को प्रधानमन्त्री मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार गठन के बाद इस सरकार ने अपने वादों पर अमल करना शुरू कर दिया हैं.उल्लेखनीय हैंचुनाव परिणाम के पहले ही कई मीडिया साक्षात्कारों में प्रधानमंत्री मोदी ने अति विश्वास से सरकार बनाने का दावा तो किया ही था.उनका ये भी दावा था,हम पहले दिन से जनहित में कार्य शुरू करेंगे.प्रधानमंत्री मोदी ने 125 दिनों का प्राथमिकता का रोड मैप तैयार करने की बात कही थी,जिस पर 10 जून से अमल शुरू ही गया हैं.
सरकार गठन के एक दिन के बाद हीएनडीए सरकार ने किसानो,आवासहीनो के लिए आवास जैसी कई घोषनाएं कर डाली.करीब 14 करोड़ किसानो के लिए मदद की धन राशि की किश्तें जारी कर दी ,वही 2 करोड़ नए आवास बनाने की योजना पर अमल शुरू कर दिया.ये सब प्रधानमन्त्री का वादा का हिस्सा रहा हैं.
11 जून से करीब करीब सभी मंत्रियों ने अपने अपने मंत्रालयों में काम काज शुरू कर दिया हैं.बेरोजगारी ,महंगाई को दूर करने की प्रभावी नीतियों पर काम शुरू हो गया हैं.गरीबी हटाने को लेकर कई प्रकार की नीतियों पर अमल जल्द ही सबको दिखने वाला हैं.साथ ही एनडीएगठबंधन के लिए महाराष्ट्र,हरियाणा,जम्मू-कश्मीर और झारखण्ड में विधान सभा चुनाव भी इस सरकार व गठबंधन की चुनौतिया हैं.
इन तमाम रिकॉर्ड,तथ्योंव इतिहासों के साथ विपक्षी दलों की वो सभी धारणाएं निर्मूल साबित हुयी कि नरेन्द्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री नहीं बनेगे.विपक्ष का प्रचार था -भाजपा की सरकार नहीं बनेगी.लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के दावों के अनुरूप सरकार बन गयी.कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने झूठ को कई रूपों में भरपूर इस्तेमाल कर हमारी भोली,सीधी सादी आम मतदाताओं को बरगलाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.
कांग्रेस और इंडी गठबंधन के नेता भाजपा संविधान बदल देगी,आरक्षण समाप्त कर देगी,सभी महिलाओ को खटाखट 8500 रूपये प्रति महीना,की फ्री मदद आदि झूठी बातों का उपयोग कर चुनाव लड़ें लेकिन सत्यमेव जयते की संस्कृति वाले भारत देश में वो झूठे खेल नहीं चल पाए और वे सब हार गए.
वैसे कांग्रेस की सीटें तो बढ़ी,लेकिन सभी दलों को मिलाकर भी बहुमत तक नहीं पहुंच सकी.इंडी गठबंधन को 204 सीटें मिली जबकि एनडीए को 293.बाद में टीएमसी की 29 सीटें जोड़ दिए जाए तो वो संख्या 233 बनती हैं.11 जून को राहुल गाँधी के रायबरेली भाषण में सुनने व देखने को मिला.उस भाषण के बारे में कई राजनीतिक विश्लेषक व मनोवैज्ञानिक इसे हार से उत्पन्न तनाव मान रहे हैं.कांग्रेस के आंकड़ों को देखे तो 2014 से 2024 तक तीनो चुनावों की सीटों को मिलाकर भी कांग्रेस को 240 सीटें नहीं मिल सकी.
ऐसी करारी हार के बावजूद कांग्रेस के दम्भी व अहंकारी तेवर में कोई फर्क नहीं दिख रहा हैं.आज हारने के बावजूद कांग्रेस नेता राहुल गाँधी स्वयं को जीता हुआ मान रहे हैं.इसे हम क्या कहेंगे-99 सीटें जीतने वाले कांग्रेस नेता राहुल गाँधी,240 सीटें पाने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रधानमंत्री मोदी को कोसने से बाज़ नहीं आ रहे हैं.ऐसे बयानों को राहुल गाँधी का दंभ और अहंकार नही कहेंगे तो क्या कहेंगे?
इस बार के चुनाव 2024 से ये भी साबित हो गया कि भारत शायद ही कभी आरक्षण और जातिवाद के दलदल से बाहर निकल सकेगा.इसके लिए भाजपा,कांग्रेस सहित सभी दल जिम्मेदार हैं.इससे हमें लगता हैं कि भारत में “ब्रेन ड्रेन” फिर से बढेगा.भले ही मोदी सरकार कुछ भी घोषणा कर ले.सिर्फ सत्ता के लिए देश को बलि का बकरा बनाना कहाँ का न्याय हैं?इस पर स्थायी भाव से समग्र राष्ट्र विकास के तहत सभी दलों को आत्म चिंतन करने की जरुरत हैं.
*कुमार राकेश
कुमार राकेश,वरिष्ठ पत्रकार व लेखक,भारत व विश्व के कई देशो के लिए पिछले 34 वर्षो से लेखन व पत्रकारिता में सक्रिय,सम्प्रति GlobalGovernanceNews समूह और समग्र भारत मीडिया समूह के सम्पादकीय अध्यक्ष हैं .
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