समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,23 फरवरी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को दोपहर 12:30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ‘विकसित भारत विकसित छत्तीसगढ़’ कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री कार्यक्रम के दौरान 34,400 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन,लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे। ये परियोजनाएँ सड़क, रेलवे, कोयला, बिजली और सौर ऊर्जा सहित कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों को पूरा करती हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम के लारा सुपर ताप विद्युत परियोजना चरण- I (2×800 मेगावाट) को राष्ट्र को समर्पित करेंगे और छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम के लारा सुपर ताप विद्युत परियोजना चरण- II (2×800 मेगावाट) की आधारशिला रखेंगे। राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम के लारा सुपर ताप विद्युत केंद्र के चरण- I को लगभग 15,800 करोड़ रुपये के निवेश से बनाया गया है और परियोजना के चरण-II का निर्माण चरण-I परिसर की उपलब्ध भूमि पर किया जाएगा। इस प्रकार विस्तार के लिए अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता नहीं होगी, और इसमें 15,530 करोड़ रुपये का निवेश होगा। अत्यधिक कुशल सुपर क्रिटिकल तकनीक (चरण-I के लिए) और अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल तकनीक (चरण-II के लिए) से सुसज्जित, यह परियोजना कम विशिष्ट कोयला खपत और कम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन सुनिश्चित करेगी। जबकि चरण- I और चरण-II दोनों से 50 प्रतिशत बिजली छत्तीसगढ़ राज्य को आवंटित की जाएगी। यह परियोजना गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, दमण और दीव, दादरा और नगर हवेली सहित अन्य जैसे कई अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में बिजली व्यवस्था में सुधार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
प्रधानमंत्री साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की तीन प्रमुख फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे, जिनकी कुल लागत 600 करोड़ रुपये से अधिक है। ये परियोजनाएं कोयले की तेज़, पर्यावरण-अनुकूल और कुशल मशीनीकृत निकासी में मदद करेंगे। इन परियोजनाओं में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के दीपका क्षेत्र में दीपका ओसीपी कोल हैंडलिंग प्लांट, साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के रायगढ़ क्षेत्र में छाल और बरौद ओसीपी कोल हैंडलिंग प्लांट शामिल हैं। एफएमसी परियोजनाएं पिथेड से साइलो, बंकर और कन्वेयर बेल्ट के माध्यम से तेजी से लोडिंग सिस्टम से सुसज्जित कोयला हैंडलिंग संयंत्रों तक कोयले की मशीनीकृत आवाजाही सुनिश्चित करती हैं। ये परियोजनाएँ सड़क के माध्यम से कोयले के परिवहन को कम करके, कोयला खदानों के आसपास यातायात की भीड़, सड़क दुर्घटनाओं और पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभावों को कम करके कोयला खदानों के आसपास रहने वाले लोगों की जीवन स्थितियों को सुगम बनाने में सहायता करेंगी। इससे पिट हेड से रेलवे साइडिंग तक कोयला ले जाने वाले ट्रकों द्वारा डीजल की खपत को कम करके परिवहन लागत में भी बचत होगी।
प्रधानमंत्री क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए एक कदम के रूप में, राजनांदगांव में लगभग 900 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित सौर पीवी परियोजना का उद्घाटन करेंगे। परियोजना सालाना अनुमानित 243.53 मिलियन यूनिट बिजली पैदा करेगी और 25 वर्षों में लगभग 4.87 मिलियन टन कार्बन डाइ ऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करेगी, जो उसी अवधि में लगभग 8.86 मिलियन पेड़ों द्वारा अवशोषित कार्बन के बराबर है।
प्रधानमंत्री क्षेत्र में रेल बुनियादी ढांचे को मजबूत करते हुए लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले बिलासपुर-उसलापुर फ्लाईओवर का लोकार्पण करेंगे। इससे यातायात की भारी भीड़ कम हो जाएगी और बिलासपुर से कटनी की ओर जाने वाला कोयला ले जाने वाला यातायात समाप्त हो जाएगा। प्रधानमंत्री भिलाई में 50 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र भी राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इससे रेलगाड़ियों को चलाने में सौर ऊर्जा के उपयोग में सहायता मिलेगी।
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-49 के 55.65 किलोमीटर लंबे खंड को पक्के किनारों के साथ दो लेन में पुनर्वास और उन्नयन कार्य का उद्घाटन करेंगे। यह परियोजना दो महत्वपूर्ण शहरों बिलासपुर और रायगढ़ के बीच संपर्क को बेहतर बनाने में सहायता करेगी। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-130 के 52.40 किलोमीटर लंबे खंड को पक्के किनारों के साथ दो-लेन में पुनर्निर्मित और उन्नत करने के कार्य का भी शुभारंभ करेंगे। यह परियोजना अंबिकापुर शहर के रायपुर और कोरबा शहर के साथ संपर्क को बेहतर बनाने में मदद करेगी और क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन प्रदान करेगी।
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