समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 24 जुलाई: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर संसद परिसर में विपक्षी दलों का विरोध गुरुवार को भी जारी रहा। इस दौरान कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने सत्तारूढ़ दल पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि सरकार खुद नहीं चाहती कि संसद चले और विपक्ष की आवाज सदन में गूंजे।
#WATCH | Delhi | Congress MP Priyanka Gandhi Vadra says," Whenever the Opposition leaders want to speak, they are not allowed to speak. We have been asking for discussions; they should agree. In the last session, I was surprised to see that disruption was starting from the… pic.twitter.com/MMPMQnvRCQ
— ANI (@ANI) July 24, 2025
प्रियंका गांधी, सोनिया गांधी और अन्य विपक्षी सांसदों ने संसद के मकर द्वार पर प्रदर्शन किया और SIR प्रक्रिया को “लोकतंत्र पर हमला” बताते हुए सरकार से इस पर चर्चा की मांग दोहराई।
प्रियंका गांधी का सरकार पर सीधा निशाना
मीडिया से बात करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि जब भी विपक्ष संसद में बोलना चाहता है, उसे जानबूझकर रोका जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तापक्ष बार-बार ऐसे मुद्दे उठाता है जिससे सदन में जानबूझकर हंगामा हो और कार्यवाही बाधित हो।
उन्होंने कहा, “मैंने पिछले सत्र में देखा कि जब विपक्ष कोई गंभीर मुद्दा उठाना चाहता था, तब सत्ता पक्ष खुद शोर मचाने लगा। इसका उद्देश्य केवल चर्चा से बचना था। अगर उन्हें यह लोकतंत्र का सही तरीका लगता है, तो फिर लोकतंत्र की परिभाषा ही बदल चुकी है।”
विपक्ष का प्रदर्शन और लोकतंत्र की रक्षा की पुकार
सोनिया गांधी और कई विपक्षी नेताओं के साथ प्रियंका गांधी ने संसद भवन परिसर में बैनर लेकर प्रदर्शन किया। बैनर पर लिखा था—‘SIR: लोकतंत्र पर हमला’। यह प्रदर्शन बिहार की मतदाता सूची को लेकर उठ रही चिंताओं का हिस्सा है, जिसमें विपक्ष का दावा है कि राज्य सरकार और चुनाव आयोग की मिलीभगत से दलितों और अल्पसंख्यकों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं।
विपक्ष की मांग है कि इस संवेदनशील मुद्दे पर सदन में विस्तृत बहस कराई जाए और सरकार को जवाबदेह बनाया जाए।
संसद में आवाज़ दबाने की रणनीति?
प्रियंका गांधी का बयान उस बड़ी रणनीतिक चिंता को उजागर करता है जिसमें लोकतांत्रिक विमर्श को दबाने की प्रवृत्ति पर सवाल उठाए जा रहे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि वे केवल चर्चा और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार खुद संसद की कार्यवाही को बाधित कर रही है।
इस घटनाक्रम ने संसद के मानसून सत्र में सत्ता और विपक्ष के बीच टकराव को और तीव्र कर दिया है। आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि क्या संसद बहस के लिए खुलेगी या राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का मंच बनी रहेगी।
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