समग्र समाचार सेवा
मोतिहारी, 22 सितंबर: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर राजनीतिक दलों की तैयारी तेज़ हो गई है। महागठबंधन में शामिल कांग्रेस भी अपनी चुनावी रणनीति को अंतिम रूप देने में लगी हुई है। इसी कड़ी में पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव और केरल की वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी ने अपनी पहली चुनावी जनसभा के लिए पूर्वी चंपारण की मोतिहारी विधानसभा सीट को चुना है।
यह सीट फिलहाल भाजपा का गढ़ मानी जाती है, लेकिन कांग्रेस यहां सेंध लगाने की रणनीति बना रही है। प्रियंका गांधी 26 सितंबर को दोपहर करीब एक बजे गांधी मैदान में अपनी पहली रैली को संबोधित करेंगी। इसके लिए जिला कांग्रेस तैयारियों में जुटा हुआ है और कार्यकर्ताओं को भारी संख्या में शामिल होने का निर्देश दिया गया है। पार्टी इस रैली के माध्यम से यह दिखाना चाहती है कि राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के बाद कार्यकर्ताओं का उत्साह चरम पर है।
मोतिहारी का चुनावी महत्व
पिछले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के सीट शेयरिंग फॉर्मूले के तहत मोतिहारी सीट आरजेडी के खाते में गई थी। यह वही इलाका है जहां राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा से पहले आरजेडी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच विवाद हुआ था। कांग्रेस जिला अध्यक्ष गप्पू राय ने 28 अगस्त को मोतिहारी में 54 जगहों पर पोस्टर लगाए थे, जिसके बाद आरजेडी के कार्यकर्ता नाराज हो गए और पोस्टर्स को फाड़कर अपनी जगह बैनर चिपका दिए। इसके बाद कांग्रेस ने एफआईआर दर्ज कराई थी।
अब प्रियंका गांधी इसी सीट से हुंकार भरने जा रही हैं। इस कदम को राजनीतिक दबाव (प्रेशर पॉलिटिक्स) देने के रूप में भी देखा जा रहा है ताकि आरजेडी खेमे को संदेश जाए।
कांग्रेस की रणनीति और पिछली हार
कांग्रेस बिहार में 70 सीटों की मांग कर रही है, जबकि आरजेडी कम सीटें देने पर अड़ी हुई है। पिछली बार कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 19 सीटें जीती थीं। हालांकि कई सीटों पर हार का अंतर बहुत कम था। इस बार कांग्रेस वही सीटें हासिल करना चाहती है जहां उसे आसानी से जीत मिल सके। मोतिहारी इस लिहाज से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां पिछली बार हार का अंतर सीमित था।
मोतिहारी सीट का चुनावी इतिहास
मोतिहारी विधानसभा सीट पर पिछली बार 2020 में बीजेपी के प्रमोद कुमार ने जीत हासिल की थी। महागठबंधन के ओम प्रकाश चौधरी को 78,088 और बीजेपी के प्रमोद कुमार को 92,733 वोट मिले थे। इससे साफ है कि यह सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ है, लेकिन कांग्रेस और महागठबंधन इसे चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं।
इस बार प्रियंका गांधी की मोतिहारी रैली यह संकेत देगी कि कांग्रेस बिहार चुनाव में अपने दमदार प्रयासों के साथ मैदान में उतरी है और महागठबंधन के भीतर सीट शेयरिंग पर दबाव बनाने के लिए रणनीतिक कदम उठा रही है।
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