भारत समर्थक और चीन विरोधी: कौन हैं मार्को रुबियो, जिन्हें ट्रंप बना सकते हैं अपना विदेश मंत्री

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,12 नवम्बर। अमेरिकी राजनीति में एक मजबूत भारत समर्थक और चीन के प्रति कड़ा रुख अपनाने वाले मार्को रुबियो का नाम एक बार फिर चर्चा में है। रिपोर्ट्स के अनुसार, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगर फिर से सत्ता में आते हैं तो वह मार्को रुबियो को अपने प्रशासन में विदेश मंत्री (सेक्रेटरी ऑफ स्टेट) का पद सौंप सकते हैं।

मार्को रुबियो कौन हैं?

मार्को रुबियो अमेरिकी सीनेट के एक प्रमुख सदस्य हैं और फ़्लोरिडा से सीनेटर के रूप में कार्यरत हैं। वे रिपब्लिकन पार्टी के प्रमुख नेताओं में से एक हैं और 2016 में राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार भी रह चुके हैं। रुबियो अपनी स्पष्ट विचारधारा, विदेश नीति में मजबूत रुख और अमेरिकी सुरक्षा एवं रणनीतिक हितों की पैरवी के लिए जाने जाते हैं।

रुबियो के विचार हमेशा से ही चीन के प्रति कड़े रहे हैं। वह चीन के विस्तारवादी रवैये और उसके मानवाधिकार हनन के मामलों को लेकर लगातार आलोचना करते रहे हैं। उनके विचार इस मामले में डोनाल्ड ट्रंप के साथ मेल खाते हैं, इसलिए ट्रंप द्वारा विदेश मंत्री के लिए उनके नाम पर विचार करना अप्रत्याशित नहीं है।

भारत के प्रति रुबियो का रुख

मार्को रुबियो को भारत के प्रति एक सहायक और सहयोगात्मक दृष्टिकोण रखने वाले अमेरिकी नेता के रूप में देखा जाता है। वे भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने के पक्षधर हैं और विभिन्न मंचों पर भारत के साथ व्यापार, सुरक्षा, और तकनीकी सहयोग को प्रोत्साहित करने का समर्थन कर चुके हैं। उनके अनुसार, एक मजबूत भारत अमेरिका के लिए रणनीतिक रूप से लाभकारी है और यह एशिया में संतुलन बनाए रखने में सहायक हो सकता है।

रुबियो ने कई बार भारत को एक महत्वपूर्ण साझेदार बताते हुए भारत के साथ बेहतर सैन्य और तकनीकी सहयोग की वकालत की है। उन्हें भारत-अमेरिका संबंधों को 21वीं सदी की रणनीतिक साझेदारी के रूप में देखने का समर्थक माना जाता है, जो दोनों देशों को चीन के प्रभाव का मुकाबला करने में सहायक है।

चीन के प्रति सख्त रवैया

रुबियो का चीन के प्रति रुख बेहद कठोर रहा है। वे चीन के मानवाधिकार हनन, उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार और हॉन्गकॉन्ग में लोकतांत्रिक आंदोलन के दमन के खिलाफ मुखर रहे हैं। इसके साथ ही, वे चीन द्वारा आर्थिक एवं व्यापारिक नीतियों में अपनाए गए आक्रामक रुख की भी आलोचना करते हैं, जिसे वे अमेरिका और दुनिया के अन्य देशों के लिए खतरनाक मानते हैं।

रुबियो की यही नीतियां उन्हें एक “चीन विरोधी” या “चीन हॉक” के रूप में परिभाषित करती हैं, जो कि ट्रंप प्रशासन की नीति के अनुरूप है। ट्रंप और उनके समर्थकों का मानना है कि चीन के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने वाले नेता ही अमेरिका के हितों की बेहतर सुरक्षा कर सकते हैं।

क्या होगा अगर रुबियो बने विदेश मंत्री?

अगर ट्रंप राष्ट्रपति बनते हैं और रुबियो को विदेश मंत्री बनाते हैं, तो अमेरिका की विदेश नीति में भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों को और भी प्रोत्साहन मिलने की संभावना है। भारत-अमेरिका संबंध और सुरक्षा सहयोग को रुबियो के नेतृत्व में और भी मजबूती मिल सकती है।

चीन के प्रति अमेरिका का रुख और अधिक कठोर हो सकता है, और चीन को नियंत्रित करने के लिए भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को नया आयाम मिल सकता है। अमेरिकी विदेश नीति में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती भूमिका पर नियंत्रण का प्रयास रुबियो के नेतृत्व में और भी आक्रामक रूप में देखा जा सकता है।

निष्कर्ष

मार्को रुबियो की नीति और दृष्टिकोण अमेरिकी हितों के संरक्षण, भारत के साथ संबंधों के सुदृढ़ीकरण और चीन के खिलाफ सख्त रुख के पक्षधर हैं। अगर डोनाल्ड ट्रंप उन्हें विदेश मंत्री बनाते हैं, तो यह भारत-अमेरिका संबंधों में एक नए युग की शुरुआत हो सकती है, साथ ही चीन के प्रति अमेरिका का रुख और अधिक कड़ा हो सकता है।

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