प्रो. एम. एम. गोयल ने जीआईएमएस ग्रेटर नोएडा में स्वास्थ्य-क्षेत्र में नीडोनॉमिक्स का किया समर्थन

ग्रेटर नोएडा, 23 नवम्बर: गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ (जीआईएमएस ), ग्रेटर नोएडा के इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज़   (आईपीएमएस)  में प्रो. मदन मोहन गोयल, नीडोनॉमिक्स के प्रवर्तक, तीन बार के पूर्व कुलपति एवं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर, का अतिथि व्याख्यान आयोजित किया गया। “स्वास्थ्य-क्षेत्र में नीडोनॉमिक्स: व्यावसायिक नैतिकता और रोगी-केंद्रित सेवा को सशक्त बनाना” शीर्षक वाले इस व्याख्यान में भारत में नैतिक, कुशल और करुणाशील स्वास्थ्य सेवाओं की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जीआईएमएस के निदेशक डॉ. ब्रिगेडियर राकेश गुप्ता ने की, जबकि स्वागत भाषण डॉ. मनीषा सिंह, प्रिंसिपल आईपीएमएस  ने दिया और डॉ. जया भारती, वाइस प्रिंसिपल  आईपीएमएस ने प्रो. गोयल की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए प्रशस्ति-वाचन प्रस्तुत किया।

फैकल्टी सदस्यों, पैरामेडिकल स्टाफ और छात्रों को संबोधित करते हुए प्रो. गोयल ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा—जो एक पवित्र पेशा है—करुणा, जिम्मेदारी और मानवता की सेवा के स्तंभों पर आधारित है। बढ़ती लागत, सीमित संसाधन और बढ़ती रोगी अपेक्षाओं के बीच उन्होंने दक्षता और नैतिकता के संतुलन वाले मूल्य-आधारित मॉडल की आवश्यकता पर बल दिया।

प्रो. गोयल ने समझाया कि नीडोनॉमिक्स—उनके द्वारा प्रतिपादित दर्शन—स्वास्थ्य सेवाओं को नए सिरे से सोचने के लिए एक व्यावहारिक ढांचा प्रदान करता है। आवश्यकता-आधारित उपभोग, नैतिक निर्णय-निर्माण और संसाधनों के जिम्मेदार उपयोग पर आधारित यह मॉडल स्वास्थ्य-क्षेत्र में ईमानदारी को पुनर्स्थापित करने और रोगियों का विश्वास मजबूत करने का लक्ष्य रखता है।

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य-कर्मचारी—चिकित्सक, नर्स, तकनीशियन और पैरामेडिकल वर्कर—अत्यधिक विश्वास की स्थिति में होते हैं और उनके निर्णय सीधे रोगियों के जीवन एवं गरिमा को प्रभावित करते हैं। नीडोनॉमिक्स-आधारित दृष्टिकोण, प्रो. गोयल ने कहा, यह सुनिश्चित करता है कि चिकित्सा हस्तक्षेप आवश्यक, न्यायसंगत और व्यावसायिक प्रभावों से मुक्त हों।

मुख्य सिद्धांतों को रेखांकित करते हुए प्रो. गोयल ने बताया कि नीडोनॉमिक्स ईमानदारी, जवाबदेही और सत्यनिष्ठा के माध्यम से व्यावसायिक नैतिकता को मजबूत करता है; गरिमा, सहानुभूति और स्पष्ट संवाद सुनिश्चित कर रोगी-केंद्रित देखभाल को बढ़ावा देता है; अनावश्यक परीक्षणों एवं तकनीक पर अत्यधिक निर्भरता को हतोत्साहित करते हुए तकनीक के जिम्मेदार उपयोग का मार्गदर्शन करता है; और उचित दवा-उपयोग, आवश्यक परीक्षणों तथा संसाधनों के कुशल प्रबंधन के माध्यम से स्वास्थ्य-लागत को कम करता है। उन्होंने पैरामेडिकल स्टाफ—जो रोगी-सेवा की रीढ़ है—को सशक्त बनाने, अपव्यय कम करने, समन्वय बढ़ाने और अनुशासन बनाए रखने पर विशेष जोर दिया।

प्रो. गोयल ने स्वास्थ्य संस्थानों से जागरूक एवं संवेदनशील अभ्यास की संस्कृति विकसित करने का आह्वान किया, जहाँ हर निर्णय के केंद्र में रोगी-कल्याण हो। उन्होंने कहा कि नीडोनॉमिक्स को अपनाना केवल सैद्धांतिक आवश्यकता नहीं, बल्कि अधिक मानवीय, नैतिक और टिकाऊ स्वास्थ्य-प्रणाली के निर्माण की व्यावहारिक अनिवार्यता है।

व्याख्यान का समापन इस आह्वान के साथ हुआ कि चिकित्सा एवं पैरामेडिकल शिक्षा में नीडोनॉमिक्स का समावेश किया जाए ताकि जिम्मेदार देखभालकर्ता और भविष्य-उन्मुख स्वास्थ्य-नेता तैयार हो सकें।

 

Comments are closed.