प्रो. एम.एम. गोयल ने शासकीय छत्रसाल महाविद्यालय, पिछोर (शिवपुरी- म.प्र.) में विक्सित भारत 2047 हेतु नीडोनॉमिक्स पथ की प्रासंगिकता स्पष्ट की

शिवपुरी, 11 अक्तूबर: “विक्सित भारत 2047 की आर्थिक प्रगति स्थानीय और क्षेत्रीय उद्यमों की जीवंतता से अविभाज्य है,” यह कहना था नीडोनॉमिक्स के प्रणेता, तीन बार कुलपति रहे एवं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर प्रो. मदन मोहन गोयल का। वे शासकीय छत्रसाल महाविद्यालय, पिचौर, जिला शिवपुरी द्वारा आयोजित तथा उच्च शिक्षा विभाग, मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय वेबिनार “स्थानीय एवं क्षेत्रीय उद्यम और समग्र विकास” को संबोधित कर रहे थे। डॉ. ए. के. जैन, विभागाध्यक्ष ने स्वागत भाषण दिया और प्रो. एम.एम. गोयल का परिचय दिया।

प्रो. गोयल ने अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष को इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रण हेतु अपना नाम सुझाने के लिए डॉ. भावना भटनागर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।

प्रो. गोयल ने रेखांकित किया कि विविध कच्चे माल, सांस्कृतिक प्रथाओं और पारंपरिक कौशलों पर आधारित स्थानीय उद्यम न केवल आय और रोजगार उत्पन्न करते हैं बल्कि सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक एकता को भी बनाए रखते हैं।

प्रो. गोयल ने समझाया कि करमभूमि चाहे ग्रामीण हो या शहरी, भौतिक हो या डिजिटल—स्थानीय उद्यमों के स्थान, उद्देश्य और प्रदर्शन को दर्शाती है, जिसमें नीडोनॉमिक्स आवश्यकताओं और नैतिकता की प्राथमिकता द्वारा उनकी उत्पादकता का मार्गदर्शन करती है।

उन्होंने कहा कि नीडोनॉमिक्स जरूरत-आधारित विकास का समर्थन करता है, जिसमें स्थानीय और क्षेत्रीय उद्यम रोजगार, आत्मनिर्भरता, सततता और सांस्कृतिक संरक्षण के आधार स्तंभ हैंI

प्रो. गोयल ने  बल देकर कहा कि नीडोनॉमिक्स गीता के श्लोक 9.22 से प्रेरणा लेता है, जो भारतीय जीवन बीमा निगम  के ध्येय वाक्य ‘योगक्षेमं वहाम्यहम्’ में प्रतिबिंबित होता है, और यह एक नैतिक, अहिंसक, पर्यावरण-हितैषी एवं सामान्य-बुद्धि पर आधारित दृष्टिकोण है।

प्रो. गोयल ने अपने उद्बोधन का समापन करते हुए कहा कि “गीता-आधारित नीडोनॉमिक्स को ‘ग्लोकलाइजेशन’ के साथ अपनाइए—वैश्विक सोचिए और स्थानीय कार्य कीजिए—ताकि ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ को साकार किया जा सके” ।

 

  

Comments are closed.