प्रो. एम.एम. गोयल ने यूजीसी-एमएमटीटीसी जीजीवी बिलासपुर में सतत व्यवसायिक प्रथाओं के लिए नीडोनॉमिक्स को मार्गदर्शक बताया
समग्र समाचार सेवा
बिलासपुर (छत्तीसगढ़), 12 सितंबर: नीडोनॉमिक्स स्कूल ऑफ थॉट के प्रणेता, तीन बार कुलपति रह चुके एवं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय (कुरुक्षेत्र) में अर्थशास्त्र के सुपरएन्नुएटेड प्रोफेसर प्रो. मदन मोहन गोयल ने “सतत व्यवसायिक प्रथाओं के लिए नीडोनॉमिक्स की प्रासंगिकता” विषय पर एक ऑनलाइन व्याख्यान दिया। यह व्याख्यान “सतत व्यवसायिक प्रथाएं और परिपत्र अर्थव्यवस्था” विषयक पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के अंतर्गत यूजीसी-मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग सेंटर (एमएमटीटीसी), गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालय), बिलासपुर द्वारा आयोजित किया गया।
सत्र की अध्यक्षता प्रो. आलोक कुमार सिंह कुशवाहा, निदेशक, एमएमटीटीसी ने की। पाठ्यक्रम संयोजक प्रो. भुवना वेंकटरमन ने स्वागत भाषण दिया और प्रो. गोयल के शैक्षणिक योगदान एवं उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए उनका परिचय प्रस्तुत किया।
अपने संबोधन में प्रो. गोयल ने कहा कि नीडोनॉमिक्स और परिपत्र अर्थव्यवस्था का समावेश दक्षता, संतुलन और कल्याण का एक समग्र ढांचा तैयार करता है, जो लालच पर आवश्यकता को प्राथमिकता देता है।
उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण, तकनीकी व्यवधान और उपभोक्तावाद की चुनौतियों के बीच पारंपरिक आर्थिक मॉडल केवल लाभ अधिकतम करने पर केंद्रित रहते हैं और समाज, पर्यावरण एवं मानवीय मूल्यों पर दीर्घकालिक प्रभावों की उपेक्षा करते हैं।
“नीडोनॉमिक्स एक दूरदर्शी और व्यावहारिक ढांचा प्रदान करता है, जो व्यवसायों को अपनी नीतियों में नैतिकता, पर्यावरण और समानता को शामिल करने की क्षमता देता है,” उन्होंने कहा।
प्रो. गोयल ने यह भी कहा कि “सच्ची प्रगति असीमित संचय में नहीं, बल्कि विवेकपूर्ण उपभोग, जिम्मेदार उत्पादन और उद्देश्यपूर्ण लाभ में निहित है।”
उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि जलवायु परिवर्तन, असमानता और संसाधनों की कमी से जूझती दुनिया में नीडोनॉमिक्स केवल एक नैतिक दिशा-सूचक ही नहीं बल्कि एक आर्थिक मार्गदर्शक भी है।
अपने वक्तव्य का समापन करते हुए प्रो. गोयल ने कहा कि जो व्यवसाय नीडोनॉमिक्स को अपनाएंगे, वे न केवल बदलती वैश्विक अर्थव्यवस्था में टिकेंगे बल्कि विश्वास, जिम्मेदारी और लचीलापन की विरासत भी छोड़ेंगे।
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