समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 15 जुलाई: भारत ने अपनी समुद्री सीमा को सुरक्षित और मजबूत बनाने के लिए एक बेहद गोपनीय और महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है — Project-77। यह डिफेंस प्रोजेक्ट भारतीय नौसेना को तकनीकी और सामरिक दोनों मोर्चों पर नई ऊंचाइयों पर ले जाने की क्षमता रखता है।
क्या है Project-77?
Project-77 भारतीय नौसेना की वह योजना है जिसके तहत छह अत्याधुनिक न्यूक्लियर पावर अटैक सबमरीन (SSNs) विकसित की जाएंगी। ये पनडुब्बियां इतनी घातक होंगी कि दुश्मन को संभलने का मौका भी नहीं मिलेगा। सबसे खास बात यह है कि ये पनडुब्बियां समुद्र के भीतर रहते हुए सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक मिसाइलें दाग सकेंगी, जो आवाज से कई गुना तेज होंगी।
अदृश्य हमलावर, सुपरफास्ट वार
अब तक भारतीय सबमरीन सब-सोनिक मिसाइलों पर निर्भर थीं, जिनकी गति कम होने की वजह से वे दुश्मन के रडार में आसानी से आ जाती थीं। लेकिन Project-77 में जो नई सबमरीन तैयार होंगी, उनमें सुपरसोनिक हथियार तैनात होंगे। इसका मतलब है कि मिसाइलें इतनी तेज़ी से अपने लक्ष्य तक पहुंचेंगी कि दुश्मन को प्रतिक्रिया देने का भी समय नहीं मिलेगा।
DRDO और L&T बना रहे हैं घातक हथियार
इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी भारत के प्रमुख रक्षा अनुसंधान संगठन DRDO और इंजीनियरिंग क्षेत्र की दिग्गज कंपनी L&T को दी गई है। दोनों मिलकर इन सबमरीन को अत्याधुनिक सेंसर, टॉरपीडो, स्टील्थ तकनीक और एडवांस्ड मिसाइल लॉन्च सिस्टम से लैस कर रहे हैं। ये सबमरीन भारत को गुप्त समुद्री अभियानों में विश्वस्तर पर ताकतवर बनाएंगी।
भारत की समुद्री ताकत में क्रांतिकारी इजाफा
Project-77 के पूरा होने पर भारतीय नौसेना को वह शक्ति मिल जाएगी जिससे दुश्मन के जहाजों को समुद्र में ही नष्ट किया जा सकेगा। युद्ध की स्थिति में दुश्मन के अड्डों पर दूर से हमला किया जा सकेगा और समुद्री सीमा पर निगरानी रखकर किसी भी खतरे को समय रहते खत्म किया जा सकेगा।
पड़ोसी देशों में बढ़ी हलचल
Project-77 की खबर से चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की नींद उड़ गई है। चीन, जो हिंद महासागर में अपने प्रभाव को लगातार बढ़ा रहा है, अब भारत की इस नई रणनीतिक योजना से परेशान दिख रहा है। ये पनडुब्बियां गुप्त ऑपरेशनों के लिए आदर्श हथियार साबित हो सकती हैं।
भारत अब तीनों मोर्चों पर तैयार
Project-77 भारत के रक्षा तंत्र में ऐतिहासिक बदलाव का संकेत है। भारत अब थल, वायु और जल — तीनों मोर्चों पर पूरी मजबूती से खड़ा है। यह प्रोजेक्ट न केवल तकनीकी उन्नति का प्रतीक है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में भी एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
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