समग्र समाचार सेवा
रांची, 9 जुलाई: बुधवार को केंद्रीय और क्षेत्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर देशभर में व्यापक हड़ताल की तैयारी पूरी कर ली गई है। इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में लाखों कर्मचारी हिस्सा लेंगे। हड़ताल का असर बैंकिंग, डाक, बीमा, कोयला खनन, राजमार्ग और निर्माण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा देखने को मिलेगा।
मांगों का पहाड़, सड़कों पर उतरे कर्मचारी
कर्मचारियों की मांगें सीधी और साफ हैं—नए श्रम संहिता को खत्म करना, ठेका प्रथा और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण पर रोक लगाना, न्यूनतम वेतन को बढ़ाकर 26 हजार रुपये करना और पुरानी पेंशन योजना बहाल करना। इसके अलावा स्वामीनाथन आयोग के सी2 प्लस 50% के फार्मूले के तहत फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और किसानों के कर्ज माफ करने की मांग भी इस आंदोलन से जुड़ गई है।
सीआईटीयू, इंटक और एटक जैसे बड़े केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठन इस हड़ताल की अगुवाई कर रहे हैं। वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा और नरेगा संघर्ष मोर्चा जैसे क्षेत्रीय संगठन भी समर्थन में आ गए हैं।
रेल रोको से लेकर सड़क जाम तक की तैयारी
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीआईटीयू) की राष्ट्रीय सचिव एआर सिंधु ने कहा कि औद्योगिक इलाकों में विरोध प्रदर्शन होंगे और सड़कें जाम की जाएंगी। कई जगहों पर ट्रेनें रोकी जाएंगी। हालांकि, असंगठित क्षेत्र के सभी श्रमिक विरोध में सीधे शामिल नहीं हो पाएंगे, लेकिन उन्हें संगठित कर आवाज बुलंद की जाएगी।
झारखंड में मशाल जुलूस से दिखी एकजुटता
रांची में ट्रेड यूनियनों और वामपंथी दलों के साझा मंच ने मंगलवार शाम मशाल जुलूस निकाला। सैनिक मार्केट से शुरू हुआ यह जुलूस अल्बर्ट एक्का चौक पर पहुंचकर समाप्त हुआ। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और चार श्रम संहिताओं को वापस लेने की मांग दोहराई।
बीएमएस ने बनाई दूरी
आरएसएस से जुड़ा भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) इस हड़ताल से दूरी बनाए हुए है। संगठन का कहना है कि यह हड़ताल राजनीति से प्रेरित विरोध है, जिसमें वे शामिल नहीं होंगे। बावजूद इसके बाकी यूनियनों ने हड़ताल को ऐतिहासिक बनाने की कमर कस ली है।
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