समग्र समाचार सेवा
लखनऊ, 17 अगस्त: उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों एक नया मोड़ देखने को मिल रहा है। समाजवादी पार्टी (सपा) से विधायक पूजा पाल को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद शनिवार रात उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की। इस मुलाकात ने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है और संभावित सियासी बदलावों की आहट को और तेज कर दिया है।
सपा से निष्कासन और नई राजनीतिक दिशा
पूजा पाल को पार्टी अनुशासन के उल्लंघन का हवाला देते हुए सपा से निकाल दिया गया। उनके निष्कासन के कुछ ही घंटों बाद मुख्यमंत्री योगी से उनकी मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा छेड़ दी।
इस घटनाक्रम को लेकर भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह का बयान भी सामने आया। उन्होंने इसे “सपा का सही निर्णय” बताया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि अखिलेश यादव को सवर्ण विरोधी कहना गलत है। उनका यह बयान भाजपा और सपा दोनों दलों के बीच मौजूद जटिल समीकरणों की ओर इशारा करता है।
“अब पूजा पाल स्वतंत्र हैं”: बृजभूषण शरण सिंह
बृजभूषण शरण सिंह ने कहा,
“अगर सपा में रहकर कोई भाजपा और मुख्यमंत्री की तारीफ करता है तो पार्टी को स्वाभाविक रूप से आपत्ति होगी। पूजा पाल ने वही किया जो उनकी आत्मा ने कहा। अब वे स्वतंत्र हैं और किसी भी पार्टी में शामिल हो सकती हैं।”
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पूजा पाल के पति, बाहुबली नेता राजू पाल की हत्या अतीक अहमद पर आरोपित रही है। ऐसे में पूजा पाल का भाजपा से नजदीकी बढ़ना न सिर्फ व्यक्तिगत संघर्ष से जुड़ा मुद्दा है, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी अहम हो सकता है।
भाजपा में एंट्री के मायने
पूजा पाल अगर भाजपा में शामिल होती हैं, तो इसका असर खासकर प्रयागराज और आसपास के क्षेत्रों में गहरा होगा।
- पाल समाज में भाजपा को मजबूती मिलेगी।
- प्रयागराज की राजनीति में भाजपा का प्रभाव और मजबूत होगा।
- योगी सरकार को “न्याय दिलाने वाली सरकार” की छवि और बल मिलेगा।
चर्चा यह भी है कि योगी मंत्रिमंडल में फिलहाल पाल समाज से कोई प्रतिनिधि नहीं है। ऐसे में पूजा पाल के लिए मंत्रिमंडल में जगह बनाने की संभावना भी प्रबल हो रही है।
पूजा पाल की विधानसभा में सीएम योगी की तारीफ
हाल ही में विधानसभा में पूजा पाल ने मुख्यमंत्री योगी की खुलकर तारीफ की थी। उन्होंने कहा था,
“मेरे पति की हत्या सबको मालूम है, लेकिन न्याय केवल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से संभव हुआ। उन्होंने अतीक अहमद जैसे अपराधियों और माफियाओं का सफाया कर प्रदेश में कानून का राज कायम किया।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि राज्य की जनता मुख्यमंत्री पर विश्वास कर रही है और भाजपा की नीतियों से उन्हें भरोसा मिला है।
कौन हैं पूजा पाल?
- 2005: पति और विधायक राजू पाल की हत्या के बाद राजनीति में आईं।
- बसपा से शुरुआत: पहले बसपा से चुनाव लड़ा, बाद में समाजवादी पार्टी से जुड़ीं।
- 2022: चायल सीट से सपा विधायक चुनी गईं।
- उनकी छवि एक संघर्षशील और बेबाक महिला नेता की रही है।
पूजा पाल की भाजपा के करीबियां और मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात यह संकेत देती है कि यूपी की राजनीति में नए समीकरण बन रहे हैं। उनके भाजपा में शामिल होने पर न केवल पाल समाज में पार्टी की पैठ गहरी होगी, बल्कि प्रयागराज और आसपास की सियासत में बड़ा बदलाव भी देखने को मिल सकता है। आने वाले दिनों में पूजा पाल की अगली राजनीतिक चाल यूपी की राजनीति की दिशा तय कर सकती है।
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