सिर्फ़ रील ही नहीं, रियल लाइफ़ में भी हीरो थे पुनीत राजकुमार

स्निग्धा श्रीवास्तव
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 30अक्टूबऱ। फिल्मों में काम करने वाले इंसान भी आम लोगों की तरह ही होते है। पर्दे पर उन्हें हिरो के रूप में दिखाया जरूर जाता है लेकिन वास्तविक जीवन में उनका चरित्र विल्कुल अलग होता है जो आए दिन हम अखबारों और चैनलों की सुर्खियों में देखते ही है। कभी कभी तो लोगों में उनके वास्तविक जीवन के बारें में जानकर उनके लिए गुस्सा इतना ज्यादा होता है कि ऐसा प्रतीत होता है कि वास्तव में देश की आधे अपराध के कारण आजकल की फिल्में और उसमें काम करने वाले अभिनेता और अभिनेत्री ही है।
लेकिन जैसा कि सारे इंसान की चरित्र एक जैसा नही होता है वैसे ही सारे अभिनेता भी एक जैसे नही होता है। फिल्मों में हिरों के रूप में नजर आने वाले कुछ कलाकार वास्तविक जीवन में भी अपने चरित्र का कुछ ऐसा प्रदर्शन करते है कि उनका चरित्र दुनिया में भगवान से कम नही आंका जा सकता है।
उनका दुनिया से चले जाना ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे हमने किसी अपने को खो दिया है।
ऐसे ही एक अभिनेता आज अपने लोगों को छोड़कर ऐसी जगह चलें गए है जहां से वापस आना किसी के लिए संभव नही है…रह गई है तो बस उनकी यादें उनके काम…उनकी अच्छाईयां जिसकी वजह से वो पूरी दुनिया में याद किए जाएंगे।…
सबके चहेते अप्पू और अभिनेता पुनीत राजकुमार का ऐसे अचानक अलविदा कहना हर किसी के लिए किसी सदमें से कम नही है….उनकी मौत हुए पूरे एक दिन बीत चुके है लेकिन उनके अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ इस बात का गवाह है कि वो कोई आम इंसान नही थे…..
आज के समय में खुद धन-दौलत के लालच ना रखकर 45 फ्री स्कूल, 26 अनाथालय,16 वृद्धाश्रम,19 गौशालाएँ..1800 अनाथ बेटियों की उच्च शिक्षा की जिम्मेदारी उठाने वाला इंसान कोई आम इंसान हो भी नही सकता है…
कन्नड़ सिनेमा के “स्टार” ” पुनीत राजकुमार” हारंट अटैक में मौत लोगों को बहुत दुख दे रहा है। राजकुमार ने प्रधानमंत्री राहत कोष में 50 लाख रुपये भी डोनेट कर चुके थे और अब बालिका शिक्षा पर काम करना चाहते थे।

किसी भी खेल, सामाजिक आयोजन के लिए वे एक पैसा नहीं लेते थे।
कौन बनेगा करोड़पति कन्नड़ में यही एंकर थे और एक बार आयोजको ने एक सवाल हिन्दू धर्म के बारे में आपत्तिजनक रखा तो इन्होंने शो ही बंद करवा दिया था।
कई बार खुद गाना गाकर चैरिटी के लिए पैसा इकट्ठा कर चुके थे और ये सब धार्मिक कार्य यह अपने मेहनत द्वारा की गई कमाई से करते थे।
धर्म के प्रति ऐसा सम्मान और आस्था रखने वाले एक ऐसे धर्मनिष्ठ का जाना बहुत ही दुखद घटना है।
उनकी फैन फॉलोइंग का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि कर्नाटक सरकार को हालात काबू करने के लिए कई इलाकों में धारा 144 लागू करनी पड़ी है। मुख्यमंत्री बसवराज खुद अस्पताल पहुंचे थे। कर्नाटक में सभी थिएटरों को बंद किया गया है।

बॉलीवुड वाले बस फ़िल्मों में नायक बनते हैं असल जिंदगी में दोगले खलनायक हैं सब। नशाखोरी, वेश्यावृत्ति करने वाले इन नीच लोगों ने न केवल सनातन धर्म बल्कि युवा पीढ़ी और देश को बर्बाद करने के सिवा कुछ नही किया।
अभिनेता के अंतिम संस्कार में भी सितारों सहित अभिनेता के फैंस का हुजूम देखने को मिला।
पुनीत के निधन से उनके फैन को ऐसा सदमा लगा कि उसने इस गम में आत्महत्या कर ली और दो अन्य लोगों की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई।
पुनीत को कन्नड़ सिनेमा का आइकन माना जाता था। वो पहले ऐसे कन्नड़ इंडस्ट्री के अभिनेता थे जिन्हें दादा साहब फाल्के अवॉर्ड मिला था। उनके अंतिम संस्कार के लिए उनकी बेटी का इंतजार किया जा रहा है, जो यूएस में रहती हैं। उनके भारत पहुंचने के बाद ही पुनीत राजकुमार को अंतिम विदाई दी जाएगी।

ऐसा खबरे आ रही है कि पुनीत दो घंटे से एक्सरसाइज कर रहे थे, जिसके बाद अचानक उनके सीने में दर्द उठा और अस्पताल में भर्ती कराया गया। हॉस्पिटल में एडमिट कराने के कुछ देर बाद ही उनके निधन की खबर आ गई।

पिता की ही तरह अभिनेता पुनीत राजकुमार की भी आंखें दान कर दी गई हैं। पुनीत कुमार के पिता और प्रसिद्ध दक्षिण अभिनेता डॉ राजकुमार ने खुद 1994 में अपने पूरे परिवार की आंखों को दान करने का फैसला किया था।कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने बताया कि अभिनेता की बेटी ही उनका अंतिम संस्कार करेंगा। हमारी परंपरा के अनुसार, ‘हम सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार नहीं करते हैं, इसलिए उनका अंतिम संस्कार रविवार बेंगलुरु के श्री कांतीरवा स्टेडियम में किया जाएगा।

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