समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6सितंबर। हाल ही में तमिलनाडू के मुख्यमंत्री श्री एम. के. स्टॅलिन के बेटे और तमिलनाडू के युवा विकास एवं खेल मंत्री तथा फ़िल्म अभिनेता और निर्माता उदयनिधी स्टॅलिन ने अपने भाषण में सनातन धर्म पर भारी विष उगलते हुए कहा कि सनातन धर्म को समाप्त कर देना चाहिये।
जहाँ अपने आप मे ऐसा वक्तव्य केवल गैरजिम्मेदार ही नही अपितु प्रक्षोभक भी है और सभी सनातन धर्मावलंबियों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचानेवाला भी। किसी नुक्कड़ पर खड़े मावली के मुहँ से ऐसे विषैले वक्तव्य और समाज मे तथाकथित सम्माननीय स्थान रखनेवाले एक अभिनेता, नेता और मंत्री के मुँह से निकलना इसमे बहुत अंतर है।
यह स्पष्ट रूप से उनके कार्यकर्ताओं को, उनके चहताओं को और सभी हिन्दू विरोधी तत्त्वों को सनातन धर्मावलंबियों को समाप्त करने की अपील है या फिर भय का वातावरण निर्माण करके जबरन धर्मांतरण करने के लिये प्रक्षोभित करने की चाल है।
इस विषय पर भाजपा और कई हिन्दू संगठनों ने तीव्र आपत्ति जताने पर भी यह उद्दाम मंत्री कहता है कि उसने जो वक्तव्य दिया है वह सही है और उसे इस बात का कोई खेद भी नही।
आगे जा कर इसके मुँह से गंदी नाली बहना रुकता नही तो यह कहता है कि सनातन मच्छर है, डेंगू है, मलेरिया है, कोरोना है जिसे समाप्त ही करना चाहिये।
जिस संविधान की बात ये सारे दाम्भिक सेक्युलरी करते है क्या वह संविधान इन्हें यह अनुमति देता है कि इस प्रकार किसी भी धर्म का बेभाक होकर अपमान करे और सनातनियों के नरसंहार के लिये अप्रत्यक्ष रूप से लोगों को भड़काये?
यह धर्मद्वेष्टा आगे चलकर कहता है कि सनातन धर्म की जाती व्यवस्था को मिटाने की बात इसने की थी।
यह व्यक्ति एक ईसाई है और यहाँ मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ कि क्या इसाइयोंमे कोई जातिवाद नही?
यदि नही है तो दलित चर्च अलग क्यों होता है?
द हिन्दू इस समाचारपत्र ने 29 अप्रैल 2022 को प्रकाशित किया कि पुडुचेरी में दलित क्रिस्चियन लिबरेशन मूवमेंट इस संगठन ने कैथोलिक चर्च में धर्मान्तरित दलित माताओं, बहनों और भाइयों के साथ होनेवाले भेदभाव को उजागर किया। यह कोई पहली बार या एकमेव घटना नही है।
30 मई 2023 को टाइम्स ऑफ इण्डिया ने ऑनलाईन प्रकाशित किये हुए समाचार का शीर्षक Caste discrimination: Dalit Christians not allowed to take part in Church activities ही स्वतः स्पष्ट करता है कि किस प्रकार के अपमान को उन्हें सहन करना पड़ रहा है। यह घटना है कोटापलायम, त्रिचुरापल्ली, तमिलनाडू की।
सन 2012 में भी भारत के दलित ईसाइयों ने इस भेदभाव को लेकर वैटिकन के विरोध में संयुक्त राष्ट्र (UN) में शिकायत दर्ज कराई थी जिसकी जानकारी www.ucanews.com (Union of Catholic Asian News) ने प्रकाशित की थी। भारत के ईसाइयों में 70% दलित समुदाय के बहन भाई होते हुए भी केवल 4 से 5 प्रतिशत पादरी इस समाज के है।
केरल में सिरिआई ईसाई दलितों के साथ बड़ा ही बुरा व्यवहार करने के कई मामले सामने आते रहे है। यही स्थिति गोवा में है और अन्य कई जगहों पर।
जब तमिलनाडू में ही इस भेदभाव के इतने प्रकरण हुए है और कई विरोध प्रदर्शन भी, तब भी उदयनिधि स्टॅलिन ने सनातन धर्म के विरोध में ही विष क्यों उगला? यदि वह कहता है कि उसका अर्थ भेदभाव करनेवाली जातिव्यवस्था का विरोध और उच्चाटन करना था तो केवल eradicate Sanatan Dharma इन शब्दों का प्रयोग क्यों किया?
इस्लाम भी इस प्रकार के भेदभाव को अपवाद नही है। हाल ही में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी ने पसमीन्दा मुसलमानों की व्यथा समझी और देश के सामने उजागर भी की। बता दूँ की हमारे तथाकथित दलित बहन भाई है पसमीन्दा मुसलमान।इस्लाम में भी अशरफ (उच्च जाति जो मूलतः मुहम्मद साहब के समय के है) और अज़लफ (जैसे भारत के अधिकांश मुस्लिम जो धर्मान्तरित किये गए है) जैसा भेदभाव है।
मेरा उदयनिधि स्टॅलिन से सीधा प्रश्न है कि यदि वह सामाजिक भेदभाव मिटाना चाहते है तो सनातन के साथ साथ ईसाई और इस्लाम का भी नाम लेते। किन्तु उन्होंने ऐसा नही कहा जिसका अर्थ स्पष्ट है कि प्रथम हिंदुओं का नरसंहार करने के लिये लोगों को उकसाना, हिंदुओं को भयभीत करके धर्मान्तरित करवाना और जिस प्रकार से हो सके हिन्दुओ का धार्मिक उत्पीड़न करवाने की सुप्त इच्छा या किसी षड्यंत्र के अंतर्गत ऐसा वक्तव्य किया गया है।
यह वक्तव्य केवल हिंदुओं को लक्ष्य बनाकर नही किया गया अपितु सभी सनातन सम्प्रदायों को लक्ष्य बनाया जायेगा जैसेकि सिख, बौद्ध और जैन। कदाचित इन समाजों में से कुछ प्रभावशाली लोग मेरी इस बात से सहमत न भी हो किन्तु हिंदुओं पर अत्याचारों की श्रृंखला के साथ साथ अन्य सनातनियों पर भी संकट के बादल छाए ही रहेंगे।
मैं हमारी आदरणीय न्यायपालिका से पूछना चाहता हूँ कि जिस व्यक्ति ने संविधान की शपथ ली थी विधायक बनने पर और मंत्री बनाये जाने पर, क्या यह वक्तव्य संविधान के अनुरूप है?
मैं उन सभी सेक्युलरी दाम्भिक बदमाशों से भी पूछना चाहता हूँ कि क्या अब संविधान खतरे में नही है?
अरे हिंदुओं, अब तो जागो; अब तो अपने स्वाभिमान को जगाओ; अपने पूर्वजों के त्याग, शौर्य और बलिदान को याद करो और ऐसे दुराचारी दुष्ट को ऐसे प्रक्षोभक और निर्लज्जतापूर्ण बयान के लिए सजा मिले इसलिये एक बड़ा आंदोलन छेड़ो। साथ ही उन बिशप,आर्चबिशप, पादरी और मौलवी, मौलानाओं और सेकुलरिज़्म की खाल ओढ़े भेड़ियों को जनता के न्यायालय में खड़े करके पूछो कि इनमें से किसी भी दुष्ट ने इस हिंदूद्वेषी उदयनिधि स्टॅलिन का विरोध क्यों नही किया।
मित्रों, याद रहे यह उस I.N.D.I.A. नामक गठबंधन का हिस्सा है। क्या इनके दल को इस गठबंधन से अन्य दल निकाल बाहर करेंगे? यदि नही, तो अर्थ स्पष्ट है……..
अब समय आ गया है,
गर्व से कहो हम हिन्दू है!!!
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