पंजाब उपचुनाव: लुधियाना वेस्ट सीट बनी AAP की प्रतिष्ठा की लड़ाई, जीत से केजरीवाल को राज्यसभा भेजने की तैयारी

समग्र समाचार सेवा,

लुधियाना, पंजाब, 8 जून: पंजाब की लुधियाना वेस्ट विधानसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए केवल एक सीट की जंग नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिष्ठा का बड़ा मुकाबला बन गया है। 19 जून को होने वाले इस चुनाव में पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। मकसद है – संजीव अरोड़ा की जीत सुनिश्चित करना।

इस उपचुनाव का सीधा संबंध AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से जोड़ा जा रहा है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अगर अरोड़ा यह सीट जीतते हैं, तो वे इस्तीफा देंगे और उनकी जगह अरविंद केजरीवाल को राज्यसभा भेजा जाएगा।

हालांकि पंजाब विधानसभा में आप के पास पहले से ही 117 में से 94 सीटें हैं, फिर भी लुधियाना वेस्ट उपचुनाव पार्टी के लिए ‘करो या मरो’ की स्थिति बन गया है। दरअसल, दिल्ली विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद पार्टी इस जीत से संगठन में नई जान फूंकना चाहती है।

दिल्ली से लेकर पंजाब तक, AAP का पूरा नेतृत्व लुधियाना में सक्रिय है। खुद मुख्यमंत्री भगवंत मान, प्रदेश प्रमुख अमन अरोड़ा, वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और अरविंद केजरीवाल तक इस उपचुनाव में जी-जान से जुटे हैं।

विपक्ष के आरोप और AAP की सफाई

विपक्षी दल – कांग्रेस और बीजेपी – आम आदमी पार्टी पर आरोप लगा रहे हैं कि वह पंजाब की सत्ता ‘दिल्लीवालों’ के हाथों में सौंप रही है। कांग्रेस ने इसे बार-बार चुनावी मुद्दा बनाया है। AAP ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस भी छत्तीसगढ़ के नेता भूपेश बघेल के नेतृत्व में प्रचार करवा रही है, फिर सवाल सिर्फ AAP पर क्यों?

भगवंत मान का ‘वन नेशन, वन हसबैंड’ बयान भी सुर्खियों में

AAP सरकार ने हाल ही में तीन कैबिनेट बैठकें की हैं, जिनमें शहरी मतदाताओं को ध्यान में रखकर फैसले लिए गए। इसी दौरान सीएम भगवंत मान का ‘वन नेशन, वन हसबैंड’ वाला बयान भी चर्चा में आया, जिसे जानबूझकर हिंदू वोट बैंक को लुभाने की कोशिश माना जा रहा है।

कड़ी टक्कर में कांग्रेस और BJP

कांग्रेस उम्मीदवार भारत भूषण आशु मजबूत प्रत्याशी माने जा रहे हैं और उनका प्रचार अभियान भी आक्रामक है। हालांकि कांग्रेस के अंदरूनी मतभेद AAP के लिए राहत की बात हो सकते हैं। बीजेपी के पास भले ही मजबूत जमीनी कैडर है, लेकिन उसके उम्मीदवार जीवन गुप्ता की लोकप्रियता और छवि अरोड़ा या आशु के मुकाबले फीकी है।

अगर AAP को बड़ी जीत मिलती है, तो यह न सिर्फ संजीव अरोड़ा का राजनीतिक भविष्य चमका सकती है, बल्कि अरविंद केजरीवाल की राज्यसभा में एंट्री का रास्ता भी साफ कर सकती है। लेकिन अगर पार्टी को हार मिलती है या मामूली अंतर से जीत मिलती है, तो इसका असर पार्टी की साख और पंजाब में उसके शासन पर पड़ सकता है।

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