
’हर शै रौशनी पर हौसलों की दास्तां बयां है
नए साल में उम्मीदों का यह सूरज नया है’
पंजाब का चुनावी घमासान दिलचस्प मुहाने पर आ पहुंचा है। एक ओर तो पहले ही पंजाब का चुनावी घमासान बहुकोणीय लड़ाई के आसार जता रहा था, अब किसान आंदोलन में शामिल रहे 32 संगठनों में से 22 ने साथ आकर एक नई राजनैतिक पार्टी ’संयुक्त किसान मोर्चा’ बना ली है, यह पंजाब विधानसभा चुनावों में अपने उम्मीदवार मैदान में उतारेगी। दिलचस्प तो यह कि इनमें से कई संगठन साफ तौर पर वामपंथी रुझान वाले हैं जिनके साथ बड़े पैमाने पर पंजाब के दलित जुड़े हुए हैं, कुछ संगठन एकदम से दक्षिणपंथी रुझानों वाले हैं, जिन्हें वहां के जटसिख ’लैंड लॉर्ड’ का साथ है। इस मोर्चा के आकार लेने से पहले इसके नेता बलबीर सिंह राजेवाल आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल से कई दौर की बातचीत कर चुके थे, केजरीवाल राजेवाल को आप का ’सीएम फेस’ बनाने को भी राजी थे पर बात बनी नहीं, सूत्रों की मानें तो राजेवाल अपने साथी संगठनों के नेताओं के लिए 45 सीटें मांग रहे थे, जिसके लिए केजरीवाल तैयार नहीं हुए। जब दोनों में सहमति बनी नहीं तो राजेवाल ने एक राजनैतिक मोर्चा का गठन कर चुनावी समर में उतरने का ऐलान कर दिया। इस नए राजनैतिक मोर्चे के मैदान में उतरने से पंजाब का चुनावी समर और भी दिलचस्प हो गया है।
यूपी कांग्रेस में उठापटक
भले ही प्रियंका गांधी ने यूपी चुनाव में अपना सब कुछ झोंक रखा हो, पर इन दिनों यूपी कांग्रेस में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता ओंकार नाथ सिंह के साथ पार्टी के दो अन्य पदाधिकारी ’फ्री एंड फेयर पोल’ के चुनाव आयोग के आह्वान को शिरोधार्य करते आयोग के समक्ष पहुंचे, इसमें ओंकार नाथ सिंह ने चुनाव आयोग से निवेदन किया कि ’अगर चुनाव की घोषणा के बाद भी अवनीश अवस्थी यूं ही अपने पद पर बने रह कर कार्य करते रहेंगे तो प्रदेश में निष्पक्ष चुनाव की बात ही बेमानी हो जाएगी, क्योंकि अवस्थी भाजपा नेता की तरह आचरण करते हैं।’ अगले ही दिन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू ने चुनाव आयोग को पत्र लिख कर बकायदा इस बात की इत्तला कर दी कि उनसे कांग्रेस का जो डेलीगेशन मिलने आया था उसे पार्टी ने अधिकृत ही नहीं किया था, इसीलिए पार्टी द्वारा अधिकृत डेलीगेट्स यानी प्रमोद तिवारी, उन्हें यानी लल्लू को और सीएलपी लीडर अराधना मिश्र को आयोग से मिलने का वक्त दिया जाए। पर चुनाव आयोग ने कांग्रेस पार्टी के इस निवेदन पर अपने कान ही नहीं धरे। लल्लू के चुनाव आयोग को लिखे पत्र से कांग्रेस के मीडिया और संचार विभाग के सदस्य ओंकार नाथ सिंह इतने नाराज़ हुए कि उन्होंने प्रियंका गांधी को पत्र लिख कर पार्टी से इस्तीफा दे दिया। बाद में खुलासा हुआ कि सरकारी मशीनरी के दुरूपयोग को लेकर चुनाव आयोग द्वारा बुलाई गई इस सर्वदलीय बैठक में ओंकार सिंह पार्टी के वरिष्ठ नेता सतीश अजमानी के मौखिक निर्देश पर गए वहां थे।
पेरिस में ’पान मसाला’ शादी की खुशबू
एक चर्चित पान मसाला ब्रैंड जिसकी नुमांइदगी सदी के महानायक करते हैं, इसके अरबपति मालिक ने पिछले महीने अपनी बेटी की शादी एक और पान मसाले घराने में कर दी। भारत से 700 मेहमानों को चार्टर्ड फ्लाइट से पेरिस ले जाया गया। इन तमाम अतिथियों को पेरिस के महंगे पंचतारा होटल फोर सीज़न जॉर्ज V और प्रिंस द् गाॅल मैरिएट में ठहराया गया। इस पूरे वेडिंग शो को मैनेज करने में 600 लोगों की टीम लगी थी, सूत्र दबी जुबान में दावा करते हैं कि इस विवाह समारोह पर कम से कम 600 से 700 करोड़ रूपए खर्च किए गए। यह विवाह समारोह चार दिनों तक चला। जिस दिन घुड़चढ़ी होनी थी और फोर सीज़न होटल से बारात निकलनी थी, उस दिन स्ट्रीट की सभी दुकानें बंद करा दी गई और दुकानदारों को इसकी एवज में मुआवजा भी अदा किया गया। पूरे विवाह समारोह के लिए हाॅलीवुड की चर्चित फिल्म ’अवतार’ का सेट बनाया गया था। और विवाह समारोह में शामिल होने वाले सभी मेहमानों को लुई वितन के महंगे बैग में भर कर लगभग 15 लाख रूपयों के मूल्य का रिटर्न गिफ्ट भी दिया गया। सही मायनों में पान मसाला वालों का शाही अंदाज ही निराला है।
जयंत से क्यों नाराज़ हैं अखिलेश?
जयंत चौधरी की पार्टी रालोद को भले ही अखिलेश यादव की पार्टी सपा से चुनावी तालमेल को हरी झंडी मिल गई हो पर इन दिनों दोनों नेताओं के रिश्तों में उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है। इससे पहले अखिलेश ने जयंत के लिए 35-38 सीटें छोड़ने के लिए हामी भर दी थी, पर लगता है अब बात 24-25 सीटों पर बनेगी। दरअसल, अखिलेश इस बात को लेकर छोटे चौधरी से कुपित हैं कि गठबंधन का मसौदा तय हो जाने के बाद भी पिछले कुछ दिनों में उनकी पीयूष गोयल से दो मुलाकातें क्यों हुई है?, जहां उन्हें लक्ष्मी दर्शन का भरोसा दिलाया गया है। सूत्रों की मानें तो जयंत की बहन के पति के एक कथित स्टिंग ऑपरेशन की खबर पिछले दिनों सामने आई थी जिसमें वे किसी प्रत्याशी से टिकट के एवज में कुछ लक्ष्मी दर्शन की आस रख रहे थे। कहते हैं यह स्टिंग ऑपरेशन एक बड़े औद्योगिक घराने द्वारा संचालित न्यूज चैनल के पास पहुंच गया। इस स्टिंग के प्रसारित होने से कुछ देर पहले ही जैसे ही अखिलेश को इस बात की भनक लगी तो उन्होंने आनन-फानन में चैनल के एडीटर-इन-चीफ से बात की और उनसे कहा कि चैनल ने जितने पैसे में यह स्टिंग ऑपरेशन खरीदा है वे उतना पैसा देने को राजी हैं। समझा जाता है कि चैनल प्रमुख ने इस बाबत मालिकों से बात की जिसमें तय हुआ कि इस स्टिंग को दिखाया नहीं जाएगा। तब जाकर अखिलेश की जान में जान आई, क्योंकि वे जानते थे कि भाजपा जयंत पर कम, इस स्टिंग को लेकर उन पर ज्यादा हमलावर रहेगी।
कोरोना की मार हाई प्रोफाइल शादियों पर
पिछले दिनों संपन्न हुई कई हाई प्रोफाइल शादियों में राजनेता गण भी बड़े पैमाने पर कोरोना संक्रमित हो गए। जैसे गुजरे 28 दिसंबर को मुंबई के कोलाबा स्थित ताज होटल में बाला साहब ठाकरे के दिवंगत पुत्र बिंदु माधव ठाकरे के पुत्र निहीर ठाकरे की शादी भाजपा के एक बड़े नेता हर्षवर्द्धन पाटिल की पुत्री अंकिता से संपन्न हुई। इस विवाह समारोह में शामिल होने वाले कई नेता कोरोना संक्रमित हो गए जिसमें सुप्रिया सुले, उनके पति और बाला साहेब थोराट जैसे नेता शामिल हैं। सबसे खास बात तो यह कि विवाह समारोह के होस्ट हर्षवर्द्धन पाटिल स्वयं कोरोना की चपेट में आ गए। इस बात की सूचना उन्होंने स्वयं ट्वीट करके दी। एक और हाई प्रोफाइल शादी प्रफुल्ल पटेल के बेटे की थी जो जयपुर में संपन्न हुई थी, इस विवाह समारोह में शामिल होने वाले कई मेहमान कोरोना पॉजिटिव पाए गए।
नई भूमिका में प्रियंका
कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी इन दिनों एक नए अवतार में सामने आई हैं, अहमद पटेल के नहीं रहने पर पार्टी नेताओं से काॅआर्डिनेशन का जिम्मा भी उन्होंने ही उठा रखा है, वे बंद दरवाजे में पार्टी के नाराज़ नेताओं से गुप्त मीटिंग करती हैं और पार्टी से उनकी नाराज़गी दूर करने का प्रयास करती हैं, जैसा कि हरीश रावत के केस में हुआ था। अब सुना जा रहा है कि प्रियंका ने वैसे नेताओं की एक ऐसी सूची तैयार की है, जिनकी पांच राज्यों के चुनावों के बाद उनके पंख कुतरे जाएंगे। ये पार्टी के हवा-हवाई नेता हैं, जिनका कोई जनाधार नहीं है पर पार्टी में इन्हें अहम जिम्मेदारियां मिली हुई है। इस कड़ी में हरियाणा के कांग्रेस प्रभारी विवेक बंसल का नाम भी लिया जा रहा है। यूपी में एक नई स्क्रीनिंग कमेटी बनाने की तैयारी है, इसका ढांचा पुरानी स्क्रिीनिंग कमेटी को भंग कर तैयार किया जा सकता है। प्रियंका को लगता है कि जब तक यूपी में स्थानीय नेताओं को तरजीह नहीं दी जाएगी पार्टी वहां अपना खोया जनाधार फिर से हासिल नहीं कर पाएगी। यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय लल्लू से भी प्रियंका खुश नहीं बताई जा रही हैं।
…और अंत में
बिहार कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुनने की कवायद जारी है, वर्तमान अध्यक्ष मदन मोहन झा की जगह लेने के लिए कोई माकूल चेहरा उभर कर सामने नहीं आ पा रहा है। बिहार कांग्रेस के एक अहम चेहरे शकील अहमद इन दिनों अलग-अलग दरवाजों से अपने नाम की पैरवी करने में जुटे हैं। जैसे ही इस बात की खबर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर को लगी उन्होंने शकील अहमद के इरादों पर यह कहते हुए पानी फेर दिए कि ’अखिल भारतीय कांग्रेस संगठन में पहले ही 4 मुस्लिम सचिव अपने पदों पर काबिज हैं,’ तारिक के अलावा ये तीन नाम हैं डॉ. शकील अहमद, तौफीक आलम और जावेद। तारिक को लगता है कि बिहार में कांग्रेस को अल्पसंख्यक के बजाए ’बहुसंख्यक हिताय’ राजनीति करनी होगी, शायद इसीलिए वे बिहार में बतौर अध्यक्ष एक मजबूत चेहरा देने की मांग कर रहे हैं।
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