समग्र समाचार सेवा,
नई दिल्ली, 6 जून 2025: पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बीच रूस ने भारत को अपनी अत्याधुनिक R-37M मिसाइल की पेशकश की है। यह प्रस्ताव भारत की हवाई रक्षा क्षमता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाला माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, इस मिसाइल को भारतीय वायुसेना के मुख्य लड़ाकू विमान Su-30MKI में शामिल किया जा सकता है।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह डील तय होती है, तो भारत को न केवल पाकिस्तान के F-16 और चीन के J-10C जैसे उन्नत लड़ाकू विमानों पर बढ़त मिलेगी, बल्कि यह भारत की रणनीतिक पहुंच को भी मजबूत बनाएगा।
क्या है R-37M मिसाइल?
R-37M, जिसे NATO कोडनेम AA-13 Axehead के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया की सबसे तेज और लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइलों में से एक है। इसकी खासियतें निम्नलिखित हैं:
- रफ्तार: Mach 6 (आवाज़ की गति से 6 गुना तेज़)
- रेंज: 300 से 400 किमी
- वजन: 510 किलोग्राम
- वारहेड: 60 किलोग्राम हाई-एक्सप्लोसिव फ्रेगमेंटेशन
- गति: लगभग 7,400 किमी/घंटा
इसका विकास रूसी विम्पेल डिजाइन ब्यूरो ने किया है और यह मिसाइल खासतौर से दुश्मन के AWACS, टैंकर विमानों और उच्च प्राथमिकता वाले फाइटर जेट्स को लंबी दूरी से खत्म करने के लिए बनाई गई है।
भारतीय वायुसेना के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह मिसाइल?
भारत पहले ही अपनी हवाई क्षमता में वृद्धि के लिए Su-30MKI, Rafale, और Tejas जैसे विमानों को शामिल कर चुका है। लेकिन मौजूदा खतरे — विशेषकर पाकिस्तान के F-16 और उसके साथ आने वाली AIM-120C AMRAAM मिसाइलों — को देखते हुए, R-37M जैसी मिसाइल भारतीय विमानों को “पहले देखो, पहले मारो” की क्षमता प्रदान करती है।
इससे पायलट बिना दुश्मन के एयरस्पेस में घुसे ही लॉन्ग-रेंज टारगेट को खत्म कर सकता है, जिससे सुरक्षा और जवाबी क्षमता दोनों बढ़ती है।
तकनीकी खूबियां और संचालन प्रणाली
R-37M में निम्नलिखित एडवांस गाइडेंस सिस्टम लगे हैं:
- इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS)
- मिड-कोर्स अपडेट via डेटा लिंक
- एक्टिव रडार होमिंग
इसकी फायर एंड फॉरगेट क्षमता इसे लॉन्च के बाद स्वतः लक्ष्य की पहचान और नष्ट करने में सक्षम बनाती है, जिससे पायलट अन्य खतरों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
‘मेक इन इंडिया’ के तहत प्रस्ताव
रूस ने इस मिसाइल को भारत में ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत बनाने का भी प्रस्ताव दिया है। अगर यह योजना अमल में लाई जाती है तो हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को निर्माण में बड़ी भूमिका मिल सकती है, जिससे भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति को मजबूती मिलेगी।
Su-30MKI को करना होगा अपग्रेड
हालांकि इस मिसाइल का संचालन Su-30MKI से संभव है, लेकिन इसके लिए रडार और फायर कंट्रोल सिस्टम का अपग्रेड जरूरी होगा। मौजूदा Bars रडार इतनी लंबी दूरी तक सटीक लक्ष्य नहीं पहचान सकता, इसलिए उसे उन्नत करने की जरूरत पड़ेगी।
रूस-यूक्रेन युद्ध में साबित हुई मारक क्षमता
R-37M को रूस ने यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल किया है, और 2024 में इसे एक यूक्रेनी MiG-29 को 213 किमी की दूरी से मार गिराते हुए देखा गया था। इसका सफल उपयोग इसे एक भरोसेमंद और परखी हुई मिसाइल बनाता है।
भारत-रूस रक्षा सहयोग को मिलेगा नया आयाम
भारत और रूस के बीच दशकों पुराने रक्षा संबंध पहले से ही मजबूत हैं। ब्रह्मोस मिसाइल, सुखोई विमान, और एस-400 प्रणाली जैसे रक्षा उपकरण पहले ही इन संबंधों की मिसाल हैं। अब R-37M सौदा इन संबंधों को और भी गहराई देगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह मिसाइल न केवल सामरिक बढ़त दिलाएगी बल्कि भारत को दक्षिण एशिया में वायु शक्ति में शीर्ष स्थान पर भी बनाए रखने में मदद करेगी।
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