समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,29 मार्च। रायपुर की महापौर मीनल चौबे ने शुक्रवार को नगर निगम का ₹1,529.53 करोड़ का बजट पेश किया, जिसमें महिला कल्याण, स्ट्रीट वेंडर्स के लिए डिजिटल लेन-देन और बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया गया है। हालांकि, विपक्ष ने इस बजट को पूरी तरह “विफल” करार दिया और इसे जनसुविधाओं के अभाव वाला बजट बताया।
महापौर चौबे ने बजट में महिलाओं के लिए कई योजनाओं की घोषणा की, जिनमें शामिल हैं:
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तीन नए वर्किंग वूमन हॉस्टल का निर्माण।
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सार्वजनिक स्थानों पर सेनेटरी वेंडिंग मशीन और बेबी फीडिंग रूम सहित आधुनिक विश्रामालय।
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बच्चों के लिए खेल क्षेत्र (प्ले ज़ोन) और युवाओं के लिए पुस्तकालयों की स्थापना।
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महिलाओं की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना, जिसके लिए ₹20 लाख का प्रावधान किया गया है।
इसके अलावा, दिव्यांगजनों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए ₹10 करोड़ के पार्क के निर्माण की घोषणा की गई है।
शहर के व्यापार और वाणिज्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कई नई योजनाओं की घोषणा की गई, जिनमें शामिल हैं:
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इलेक्ट्रॉनिक मार्केट का विकास।
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क्रिस्टल आर्केड कमर्शियल हब और ट्रेड टॉवर की स्थापना।
महापौर चौबे ने कहा कि पिछले प्रशासन द्वारा पेश किए गए ₹2,000 करोड़ के बजट में केवल ₹850 करोड़ का ही उपयोग हुआ था, जबकि इस बार का बजट व्यावहारिक और लागू करने योग्य है।
हालांकि, विपक्ष के नेता संदीप साहू ने बजट को पूरी तरह से “असफल” बताते हुए इसकी आलोचना की। उन्होंने कहा कि इसमें बुनियादी सुविधाओं, गौशालाओं और मच्छर नियंत्रण के लिए कोई ठोस योजना नहीं है।
साहू ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने “बाबू की कुटिया” योजना (वरिष्ठ नागरिकों के लिए आश्रय स्थल) और ओपन जिम जैसी पुरानी योजनाओं को ही जारी रखा है, जबकि नई परियोजनाओं के नाम पर कुछ भी ठोस नहीं किया गया। उन्होंने बीजेपी शासित नगर निगम प्रशासन की परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल उठाए।
जहां भाजपा शासित नगर निगम इस बजट को “वास्तविकता पर आधारित और प्रभावी” बता रहा है, वहीं विपक्ष इसे “जनता के हितों के साथ समझौता” मान रहा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस बजट से रायपुर की बुनियादी जरूरतें कितनी पूरी होती हैं और नगर निगम की योजनाएं जमीनी स्तर पर कितनी सफल होती हैं।
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