राज ठाकरे ने मराठी गौरव को लेकर सरदार पटेल-मोरारजी पर साधा निशाना, महाराष्ट्र की राजनैतिक गर्मी बढ़ी
समग्र समाचार सेवा
मुंबई, 21 जुलाई: महाराष्ट्र में एक बार फिर भाषा विवाद तेज हो उठा है, जब MNS प्रमुख राज ठाकरे ने अपने भाषण में मराठी गौरव को लेकर सरदार पटेल और मोरारजी देसाई पर तीखे आरोप लगाए। इन बयानों ने न सिर्फ समाज में बहस छेड़ दी है, बल्कि प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया है।
ठाणे में भाषाई रैली और विवादित टिप्पणियां
पिछले शुक्रवार राज ठाकरे ने ठाणे जिले की एक रैली में बिहार से आए प्रवासियों के मुद्दे की तुलना करते हुए कहा कि गुजरात में वैसी घटना पर शोर नहीं मचा लेकिन महाराष्ट्र में छोटी घटना को राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया गया। फिर उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद सरदार पटेल ने मुंबई को महाराष्ट्र न देने की बात कही थी, जबकि मोरारजी ने आंदोलन के दौरान गोली चलवा दी जिससे मराठी भाषियों की जान गई
ठाकर परिवार में दरार पार हो सकती है?
राज ठाकरे लंबे समय से शिवसेना (UBT) और शिवसेना (MNS) की राजनीति में अलग राह चला रहे हैं। 2005 में बगावत के बाद उन्होंने MNS की स्थापना की लेकिन बड़े राजनीतिक मुकाम तक नहीं पहुंच सके। अब बीएमसी चुनाव की तैयारियों में वे मराठी पहचान को लेकर पुनः राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं। यह भाषा-आधारित रणनीति उनके व्यक्तिगत सफर और परिवारिक दरार को मिटाकर राजनीति में वापसी का रास्ता भी खोल सकती है।
बीएमसी चुनाव: MNS को नई राह?
राज ठाकरे को अपनी राजनीतिक वापसी व बीएमसी (बृहन्मुंबई नगर निगम) चुनाव जीतने की उम्मीद है। 2017 में उनका प्रदर्शन घटकर 7 सीटों पर सिमट गया था। लेकिन अब मराठी गौरव उठाकर वे मराठी मानुष वोट बैंक को सक्रिय करना चाहते हैं। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीएमसी चुनाव जल्द कराने का आदेश जारी हो चुका है और चुनाव की हवा अब गर्म हो गई है
राजनीतिक रणनीति या सनकी बयानबाजी?
राज ठाकरे का मराठी-केंद्रित बयान बीएमसी से सामाजिक पहचान जोड़कर राजनीतिक लाभ लेने का स्पष्ट संकेत है। हालांकि, समाज में अपमानजनक आरोप जैसे सरदार पटेल और मोरारजी के विरुद्ध टिप्पणियां विवादित मानी जा रही हैं। इससे न केवल उनकी छवि पर असर पड़ सकता है, बल्कि राजनीतिक विरोधियों को निशाने पर भी पकड़ सकता है।
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