समग्र समाचार सेवा
मुंबई, 24 अगस्त: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने शनिवार को एक बार फिर वोट चोरी का मुद्दा उठाते हुए निर्वाचन आयोग पर गंभीर सवाल खड़े किए। ठाकरे ने कहा कि वह 2016 से इस विषय पर आवाज उठा रहे हैं, लेकिन आयोग इस मामले की जांच करने से बच रहा है।
स्थानीय पदाधिकारियों को सलाह
नगर निकाय चुनावों की तैयारियों के बीच ठाकरे ने मनसे कार्यकर्ताओं को मतदाता सूची की गहन जांच करने की सलाह दी। उन्होंने कहा, “जब विपक्ष और सत्ताधारी दल दोनों ही मतदाता सूची में गड़बड़ी की बात कर रहे हैं, तो आयोग को तत्काल जांच करनी चाहिए। लेकिन वह मामले को दबाने का प्रयास कर रहा है।”
उन्होंने कार्यकर्ताओं को आगाह करते हुए कहा कि नगर निकाय चुनावों में मतदाता सूचियों की धांधली बड़ी भूमिका निभा सकती है, इसलिए हर कार्यकर्ता को अपने क्षेत्र में सूचियों की पड़ताल करनी चाहिए।
निर्वाचन आयोग पर आरोप
राज ठाकरे ने सीधे तौर पर निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि आयोग वोट चोरी की जांच नहीं करेगा, क्योंकि उसे डर है कि पिछले दस वर्षों से हो रही इस गड़बड़ी का सच सामने आ जाएगा। ठाकरे ने तीखे अंदाज में कहा, “वे इतने सालों से वोट चुराकर सरकार बनाने में सफल रहे हैं। अगर सच्चाई सामने आ गई, तो पूरा चुनावी तंत्र कटघरे में खड़ा हो जाएगा।”
हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह किस राजनीतिक दल की ओर इशारा कर रहे हैं।
वोट चोरी का पुराना मुद्दा
राज ठाकरे ने याद दिलाया कि उन्होंने 2016 में पहली बार इस मुद्दे को उठाया था। उनके मुताबिक, “मैंने इस पर शरद पवार, सोनिया गांधी, ममता बनर्जी और कई विपक्षी नेताओं से बातचीत की है। 2017 में तो मैंने चुनावों का बहिष्कार करने तक का सुझाव दिया था।”
उनका कहना है कि वोट चोरी के कारण जनता का लोकतंत्र पर विश्वास कमजोर हो रहा है और अगर यह स्थिति जारी रही, तो चुनावों की निष्पक्षता पर हमेशा सवाल उठते रहेंगे।
राज ठाकरे के इन बयानों ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। जहां एक तरफ वह निर्वाचन आयोग को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ नगर निकाय चुनावों से पहले इस मुद्दे को उठाकर उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर दिया है। अब देखने वाली बात होगी कि निर्वाचन आयोग ठाकरे की मांगों पर कोई कार्रवाई करता है या नहीं।
Comments are closed.