रजत महोत्सव में उपराष्ट्रपति का संदेश: “विकसित भारत के लिए विकसित छत्तीसगढ़”

छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर और जनजातीय परंपराओं का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने युवाओं को AI और हरित प्रौद्योगिकी में अवसर अपनाने का आह्वान किया।

  • उपराष्ट्रपति ने पंथी और कर्मा जैसे पारंपरिक नृत्यों और जनजातीय कला की सराहना की।
  • कहा कि वास्तविक प्रगति केवल GDP से नहीं, बल्कि जनता के विश्वास और बच्चों की आशाओं में झलकती है।
  • युवाओं को कृत्रिम बुद्धिमत्ता, हरित प्रौद्योगिकी और वैश्विक बाजारों में अवसर अपनाने का आह्वान।
  • रजत महोत्सव को केवल अतीत का उत्सव नहीं, बल्कि भविष्य का संकल्प बताया।

समग्र समाचार सेवा
रायपुर, 6 नवम्बर:छत्तीसगढ़ रजत महोत्सव के समापन समारोह में उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, जनजातीय परंपराएँ और आधुनिक विकास के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने पंथी और कर्मा जैसे पारंपरिक नृत्यों तथा छत्तीसगढ़ की जीवंत जनजातीय कला और शिल्प को “एकता में विविधता” की भारतीय भावना का प्रतीक बताया।

उपराष्ट्रपति ने वास्तविक प्रगति की परिभाषा स्पष्ट करते हुए कहा कि यह केवल आर्थिक वृद्धि या GDP से मापी नहीं जा सकती। उन्होंने कहा, “वास्तविक प्रगति लोगों के चेहरों पर मुस्कान, शासन में उनका विश्वास और हर बच्चे की आँखों में आशा से झलकती है।” उन्होंने समावेशी और सतत विकास पर बल दिया, जो सभी वर्गों के लिए लाभकारी हो और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा भी करे।

श्री राधाकृष्णन ने युवाओं से अपील की कि वे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), हरित प्रौद्योगिकी और वैश्विक बाजारों में उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाएँ। उन्होंने कहा कि नवाचार, रचनात्मकता और करुणा के साथ युवा राष्ट्र निर्माण में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।

उपराष्ट्रपति ने रजत महोत्सव को केवल अतीत की उपलब्धियों का उत्सव नहीं, बल्कि भविष्य की प्रतिबद्धता बताया। उनका संदेश था कि “विकसित भारत के लिए विकसित छत्तीसगढ़” ही राज्य और राष्ट्र की स्थायी प्रगति का आधार है।

समारोह में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री रामेन डेका, मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे। उपराष्ट्रपति के संबोधन ने सांस्कृतिक संरक्षण और आधुनिक प्रगति के बीच संतुलन, तथा युवाओं की भूमिका को उजागर किया।

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