हिमाचल किसान सभा की राजधानी शिमला में सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन

समग्र समाचार सेवा
शिमला, 30 जुलाई: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में SC द्वारा सेब के पौधों की कटाई पर रोक लगाने के फैसले के बाद, “हिमाचल किसान सभा” के नेतृत्व में हजारों किसान बेदखली और तालाबंदी के विरोध में सत्ताधारी सचिवालय तक प्रदर्शन कर अपना गुस्सा जाहिर कर चुके हैं। कृषि कानूनों और भूमि अधिकारों पर केंद्रित यह रैली किसान सभाओं की मजबूत हस्तक्षेप की मांग लेकर आई।

राज्य सचिव राकेश सिंघा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए सरकार के “अवैध बेदखली अभियान” को गैर कानूनी बताया। उनका कहना था कि नौतोड़ और 1980 से पहले आबंटित जमीन वाले परिवारों को भी जबरन हटाया जा रहा है। सिंघा ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार हाईकोर्ट में किसानों के पक्ष को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत नहीं कर सकी।

प्रदर्शन के दौरान मुख्यमंत्री और राजस्व मंत्री ने किसान सभा, और सेब उत्पादक संघ को बातचीत के लिए आमंत्रित किया। इस वार्ता में राकेश सिंघा, संजय चौहान, डॉ. कुलदीप सिंह तंवर सहित अन्य सहभागियों ने किसानों की ओर से मांगपत्र सौंपा। पत्र में दृढ़ मांग की गई कि बेदखली और पेड़ कटाई की कार्रवाई तुरंत बंद की जाए, और जब तक सरकार भूमि अधिकारों को लेकर स्पष्ट नीति नहीं बनाए, तब तक बेदखली पर रोक लगे।

मुख्यमंत्री ने बैठक में आश्वासन दिया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में किसानों की पैरवी करेगी और बेदखली, पेड़ कटाई व तालाबंदी पर रोक के आदेश तत्काल जारी होंगे। उन्होंने यह भी घोषणा की कि जल्द ही भूमि और बेदखली से सम्बंधित मसलों पर एक उच्चस्तरीय समिति बनाई जाएगी, जिसमें किसान सभा व सेब उत्पादक संघ से सीधे सुझाव लिए जाएंगे। वन अधिकार कानून को लागू करने में देरी न बरती जाएगी और नियमों के उल्लंघन पर अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।

किसानों की ओर से सरकार को 15 दिनों का अल्टीमेटम भी तत्काल दिया गया है। इस दौरान अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो 13 अगस्त को जिला खंड स्तर पर बड़े पैमाने पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा।

 

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