समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6 अगस्त: बुधवार को राज्यसभा में पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ राजनेता सत्यपाल मलिक को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। मलिक का मंगलवार को नई दिल्ली के एक निजी अस्पताल में 79 वर्ष की उम्र में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था।
सत्र की शुरुआत करते हुए उपसभापति हरिवंश ने सत्यपाल मलिक के निधन का उल्लेख करते हुए उनके बहुआयामी राजनीतिक और प्रशासनिक जीवन को याद किया। उन्होंने बताया कि मलिक ने उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य के रूप में दो बार (1982-1989) प्रतिनिधित्व किया और नौवीं लोकसभा में अलीगढ़ से सांसद भी रहे।
चार राज्यों के राज्यपाल के रूप में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
सत्यपाल मलिक ने बिहार (2017), जम्मू और कश्मीर (2018), गोवा (2019), और मेघालय (2020) में राज्यपाल के तौर पर कार्य किया। इसके साथ ही उन्होंने कुछ समय के लिए ओडिशा का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला।
उनकी गिनती सीधे बोलने वाले, स्पष्ट विचारों और निर्णयात्मक नेतृत्व के लिए होती थी। जम्मू-कश्मीर में संवेदनशील दौर में राज्यपाल रहते हुए उनकी भूमिका विशेष रूप से चर्चा में रही थी।
राज्यसभा में रखा गया मौन, दी गई अंतिम श्रद्धांजलि
उपसभापति ने कहा कि, “सत्यपाल मलिक का निधन एक युग का अंत है। उन्होंने न सिर्फ संसद में बल्कि प्रशासनिक सेवा में भी अपनी ईमानदारी और मुखरता से लोगों के दिलों में स्थान बनाया।”
सदन में उपस्थित सभी सदस्यों ने मलिक के सम्मान में दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके योगदान को याद करते हुए नेताओं ने उन्हें एक कुशल प्रशासक और दृढ़ विचारों वाले नेता के रूप में स्मरण किया।
सत्यपाल मलिक एक ऐसा नाम था जिसने न केवल संसद में प्रभाव छोड़ा बल्कि राज्यों के राज्यपाल पद पर रहते हुए भी नीति निर्माण और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा में सक्रिय भूमिका निभाई। उनकी राजनीतिक यात्रा, सादगी और स्पष्टवादिता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है।
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