सत्तापक्ष के सांसदों के टोकने पर भड़की राज्यसभा सांसद जया बच्चन, सदन में गूंजा गुस्सा

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,14 फरवरी।
राज्यसभा में उस समय गर्मागर्मी बढ़ गई जब समाजवादी पार्टी (सपा) की राज्यसभा सांसद जया बच्चन सदन में अपने संबोधन के दौरान सत्तापक्ष के सांसदों द्वारा टोके जाने पर भड़क उठीं। जया बच्चन ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए सत्ता पक्ष के सदस्यों को कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि “आप लोग किसी की बात सुनने तक को तैयार नहीं हैं।”

क्या है पूरा मामला?

राज्यसभा में एक महत्वपूर्ण चर्चा के दौरान जया बच्चन ने किसी मुद्दे पर अपना पक्ष रखा, लेकिन जैसे ही उन्होंने बोलना शुरू किया, सत्ता पक्ष के कुछ सांसदों ने उन्हें टोकना शुरू कर दिया। बार-बार टोकाटाकी से नाराज होकर जया बच्चन ने गुस्से में कहा, “आप लोग सदन की गरिमा बनाए रखें, दूसरों की बात सुनना भी सीखें। यहाँ केवल आपकी ही बात नहीं चलेगी।”

उनके इस कड़े जवाब से सदन में कुछ देर के लिए माहौल और गरमा गया। सत्ता पक्ष के कुछ सांसदों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी, जिसके बाद सदन में हल्की नोकझोंक देखने को मिली।

जया बच्चन का संसद में मुखर अंदाज

यह पहली बार नहीं है जब जया बच्चन ने सदन में इस तरह का सख्त रवैया अपनाया हो। इससे पहले भी वे कई बार विपक्ष की ओर से सरकार को घेरने के दौरान तीखे तेवर दिखा चुकी हैं। जया बच्चन अपनी बेबाक राय और स्पष्ट विचारों के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने कई बार महिला अधिकारों, सामाजिक मुद्दों और सिनेमा जगत से जुड़े मामलों पर प्रभावी तरीके से आवाज उठाई है।

सत्तापक्ष का जवाब

वहीं, सत्ता पक्ष के सांसदों का कहना है कि सदन में चर्चा के दौरान सभी को बोलने का अधिकार है, लेकिन कुछ विषयों पर जब सरकार को बार-बार गलत ढंग से निशाना बनाया जाता है, तो जवाब देना भी जरूरी होता है।

संसद में गरमाया माहौल

इस घटना के बाद सदन में कुछ देर के लिए हंगामे की स्थिति बनी रही। हालांकि, राज्यसभा अध्यक्ष ने हस्तक्षेप कर माहौल को शांत किया और सभी सांसदों से सदन की गरिमा बनाए रखने की अपील की।

निष्कर्ष

जया बच्चन की यह प्रतिक्रिया फिर से साबित करती है कि वे संसद में अपनी बेबाकी और निष्पक्षता के लिए जानी जाती हैं। हालांकि, सत्तापक्ष के सांसदों का बार-बार टोकना और इस पर उनकी नाराजगी यह दिखाती है कि संसद में विचारों की स्वतंत्रता के बावजूद टकराव की राजनीति लगातार बनी हुई है। आने वाले दिनों में देखना दिलचस्प होगा कि इस मुद्दे पर राजनीतिक गलियारों में और क्या प्रतिक्रिया सामने आती है।

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