राज्यसभा से भी पारित हुआ SHANTI बिल 2025,
लोकसभा के बाद उच्च सदन की मंजूरी, परमाणु ऊर्जा नियमन और स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य को मिला कानूनी आधार
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SHANTI बिल 2025 को राज्यसभा की भी मंजूरी
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परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB) को मिला वैधानिक दर्जा
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निजीकरण के आरोप खारिज, रणनीतिक नियंत्रण सरकार के पास
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2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली | 19 दिसंबर: लोकसभा के बाद अब राज्यसभा ने भी सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (SHANTI) बिल 2025 को पारित कर दिया है। इस अवसर पर राज्यसभा में विस्तृत चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्पष्ट किया कि यह विधेयक परमाणु सुरक्षा, राष्ट्रीय संप्रभुता और सार्वजनिक जवाबदेही से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करता।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि यह बिल परमाणु ऊर्जा अधिनियम 1962, न्यूक्लियर क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम (CLND) और अन्य प्रावधानों को तर्कसंगत बनाते हुए परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB) को वैधानिक दर्जा देता है। इससे नियामक निगरानी और अधिक मजबूत होगी तथा भारत वैश्विक परमाणु सुरक्षा मानकों के अनुरूप आगे बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में जिन परमाणु सुधारों पर आपत्तियाँ जताई गई थीं, आज के बदले हुए तकनीकी और वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में उन्हें नए सिरे से देखना आवश्यक है। स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर और भारत स्मॉल रिएक्टर जैसी तकनीकें अब सुरक्षित, कुशल और 24×7 स्वच्छ ऊर्जा के लिए प्रभावी विकल्प बन चुकी हैं।
परमाणु सुरक्षा पर बोलते हुए मंत्री ने दोहराया कि “पहले सुरक्षा, फिर उत्पादन” का सिद्धांत पूरी तरह लागू रहेगा। उन्होंने बताया कि निर्माण के दौरान त्रैमासिक निरीक्षण, संचालन के समय द्विवार्षिक निरीक्षण, पाँच वर्षीय लाइसेंस नवीनीकरण और IAEA मानकों के अनुरूप निगरानी व्यवस्था जारी रहेगी। भारत के परमाणु संयंत्र भूकंपीय दृष्टि से सुरक्षित क्षेत्रों में स्थित हैं और विकिरण स्तर वैश्विक सीमा से काफी कम है।
स्वास्थ्य संबंधी आशंकाओं पर उन्होंने कहा कि भारतीय परमाणु संयंत्रों से कैंसर का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। कुडनकुलम, कल्पक्कम, रावतभाटा और तारापुर जैसे संयंत्रों में विकिरण स्तर माइक्रो-सीवर्ट में, अनुमेय सीमा से कई गुना कम पाया गया है।
निजीकरण के आरोपों को खारिज करते हुए डॉ. सिंह ने स्पष्ट किया कि यूरेनियम खनन, खर्च किए गए ईंधन और रणनीतिक सामग्री पूरी तरह सरकार के नियंत्रण में रहेंगी। साथ ही, साइबर सुरक्षा के लिए मल्टी-लेयर डिजिटल सुरक्षा, एन्क्रिप्शन और नियमित ऑडिट की व्यवस्था की गई है।
उन्होंने बताया कि यह विधेयक परमाणु चिकित्सा, कृषि, खाद्य संरक्षण और कैंसर उपचार जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देगा। टाटा मेमोरियल सेंटर जैसे संस्थानों में न्यूक्लियर मेडिसिन से कैंसर उपचार में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
अंत में मंत्री ने कहा कि भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता 2047 तक 100 गीगावॉट तक पहुँचाने का लक्ष्य है, जिससे देश की लगभग 10% ऊर्जा जरूरतें पूरी होंगी। SHANTI बिल भारत को स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की ओर ले जाने वाला कदम है।
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