रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अत्याधुनिक ‘डीपीएसयू भवन’ का उद्घाटन किया
रक्षा मंत्री ने आर एंड डी और हरित ऊर्जा पहलों की शुरुआत की, आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन को दिया नया आयाम
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भारत ने 2024-25 में ₹1.51 लाख करोड़ का रक्षा उत्पादन हासिल किया, जिसमें 71.6% योगदान डीपीएसयू का रहा।
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रक्षा निर्यात ₹6,695 करोड़ तक पहुँचे, ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा प्रणालियों पर वैश्विक भरोसा बढ़ा।
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चार डीपीएसयू, एवीएनएल, एमआईएल, आईओएल और एचएसएल को मिनीरत्न (श्रेणी-I) का दर्जा मिला।
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‘स्वयं’ पहल के तहत हरित ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता और सतत उत्पादन की दिशा में बड़ा कदम।
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 10 नवम्बर: रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को नई दिल्ली के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, नौरोजी नगर में अत्याधुनिक ‘डीपीएसयू भवन (DPSU Bhawan)’ का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों (Defence Public Sector Undertakings – DPSUs) की प्रदर्शन समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में चार डीपीएसयू — म्युनिशन्स इंडिया लिमिटेड (MIL), आर्मर्ड व्हीकल्स निगम लिमिटेड (AVNL), इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड (IOL) और हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) को मिनीरत्न (श्रेणी-I) का दर्जा प्रदान किया गया।
अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने कहा कि सभी 16 डीपीएसयू देश के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के मजबूत स्तंभ हैं। उन्होंने इन संगठनों की प्रशंसा करते हुए कहा,

> “ऑपरेशन सिंदूर जैसी अभियानों में डीपीएसयू की उत्कृष्ट भूमिका हमारे स्वदेशी रक्षा प्लेटफार्मों की विश्वसनीयता और क्षमता को सिद्ध करती है।”
मिनीरत्न दर्जा: आत्मनिर्भरता की दिशा में मील का पत्थर
श्री सिंह ने मिनीरत्न का दर्जा प्राप्त चार डीपीएसयू — HSL, AVNL, IOL और MIL की सराहना की और कहा कि यह उनकी बढ़ती दक्षता और स्वायत्तता का प्रमाण है। उन्होंने बताया कि 2021 में ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड को सात नए डीपीएसयू में परिवर्तित करना एक ऐतिहासिक निर्णय था, जिससे नवाचार और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिला।

नए दर्जे के साथ, ये डीपीएसयू अब क्षमता विस्तार, आधुनिकीकरण, नई साझेदारियों और संयुक्त उपक्रमों में अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकेंगे, जिससे रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादन और प्रौद्योगिकी विकास को नई गति मिलेगी।
रक्षा उत्पादन और निर्यात में ऐतिहासिक उपलब्धि
रक्षा मंत्री ने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने ₹1.51 लाख करोड़ का रक्षा उत्पादन हासिल किया, जिसमें डीपीएसयू का योगदान 71.6 प्रतिशत रहा।
रक्षा निर्यात ₹6,695 करोड़ तक पहुँचा, जो दर्शाता है कि दुनिया ‘मेड इन इंडिया’ रक्षा प्रणालियों पर भरोसा जता रही है।
उन्होंने कहा —
> “यह भारत के रक्षा क्षेत्र की वैश्विक पहचान को मजबूत करता है और हमें आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरित करता है।”
आर एंड डी और हरित ऊर्जा पहल का शुभारंभ
कार्यक्रम में रक्षा मंत्री ने कई नई पहलें शुरू कीं, जिनमें शामिल हैं
HAL R&D Manual अनुसंधान और विकास पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए डिजिटलाइजेशन और अकादमिक सहयोग पर केंद्रित दस्तावेज।
R&D रोडमैप ऑफ डीपीएसयू भविष्य की रणनीतियों और स्वदेशी डिजाइन एवं विकास पर बल।
‘SWAYAM – Sustainable and Green Defence Manufacturing’ रक्षा उत्पादन को हरित और सतत बनाने की दिशा में क्रांतिकारी पहल।

‘स्वयं’ पहल Comprehensive Energy Efficiency Action Plan (CEEAP) 2023 पर आधारित है, जिसका उद्देश्य डीपीएसयू में ऊर्जा दक्षता बढ़ाना, नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना और कार्बन उत्सर्जन कम करना है।
इस पहल को SWARNA Dashboard और DPSU Energy Efficiency Index जैसे डिजिटल टूल्स द्वारा समर्थन प्राप्त है, जो रक्षा क्षेत्र में सस्टेनेबल डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग को नया आयाम देंगे।
ग्रीन एनर्जी में अग्रणी डीपीएसयू
कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री ने इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड (IOL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) को 100% हरित ऊर्जा उपयोग हासिल करने के लिए सम्मानित किया।
IOL ने सितंबर 2025 से पूर्ण रूप से नवीकरणीय ऊर्जा अपनाई, जिससे 8,669 टन CO₂ उत्सर्जन में कमी और ₹26.36 लाख की बचत हुई।
BEL, जो एक नवरत्न डीपीएसयू है, ने जनवरी 2025 में RE100 लक्ष्य हासिल किया, जिससे उसके स्कोप-2 उत्सर्जन 15,000 मीट्रिक टन से घटकर शून्य हो गए।
तीन प्रमुख समझौते (MoUs) सहयोग और आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
कार्यक्रम में तीन प्रमुख समझौते हस्ताक्षरित हुए —
1. HAL और BDL द्वारा यंत्रा इंडिया लिमिटेड (YIL) के साथ समझौता, जिसके तहत 10,000 टन फोर्जिंग प्रेस सुविधा स्थापित की जाएगी।
2. HAL ने ₹435 करोड़ का ब्याज-मुक्त अग्रिम निवेश देने की घोषणा की।
3. MIDHANI में ‘मेटल बैंक’ की स्थापना, जिससे रक्षा परियोजनाओं के लिए आवश्यक कच्चे माल की सतत आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
नया डीपीएसयू भवन सहयोग, नवाचार और समन्वय का केंद्र
रक्षा मंत्री ने बताया कि नया डीपीएसयू भवन सभी 16 डीपीएसयू के लिए एक साझा मंच होगा, जो सहयोग और नवाचार को बढ़ावा देगा।
यह भवन ‘संगच्छध्वं संवदध्वं’ (Move together, dialogue together) के आदर्श पर आधारित है।
इसमें आधुनिक कॉन्फ्रेंस रूम, सिमुलेशन सुविधाएं, और प्रदर्शनी क्षेत्र शामिल हैं, जो भारत की रक्षा विनिर्माण क्षमताओं को देशी और विदेशी हितधारकों के सामने प्रदर्शित करेंगे।

कार्यक्रम में रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ, रक्षा उत्पादन सचिव श्री संजीव कुमार, सभी डीपीएसयू के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
रक्षा मंत्री ने अंत में कहा
> “हमारा संकल्प है कि भारत न केवल रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बने, बल्कि विश्व का एक प्रमुख रक्षा निर्माण केंद्र भी बने।”
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