राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उत्तराखंड विधानसभा को किया संबोधित, कहा – विधानसभाएँ संसदीय प्रणाली का मुख्य स्तंभ हैं
उत्तराखंड राज्य गठन की रजत जयंती पर राष्ट्रपति का संबोधन • जनप्रतिनिधियों से दलगत राजनीति से ऊपर उठकर जनकल्याण पर ध्यान देने का आह्वान • समान नागरिक संहिता लागू करने पर विधानसभा की सराहना
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राष्ट्रपति ने कहा कि विधायक जनता और सरकार के बीच सबसे अहम कड़ी हैं।
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उत्तराखंड विधानसभा द्वारा समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने की सराहना की।
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पारदर्शिता और सामाजिक न्याय से प्रेरित विधेयक पारित करने के लिए विधायकों की प्रशंसा।
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उत्तराखंड ने 25 वर्षों में पर्यावरण, पर्यटन, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में की उल्लेखनीय प्रगति।
समग्र समाचार सेवा
देहरादून, 3 नवम्बर: उत्तराखंड राज्य गठन की रजत जयंती के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज देहरादून स्थित उत्तराखंड विधानसभा को संबोधित किया।
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि विधानसभाएँ हमारे संसदीय लोकतंत्र की एक प्रमुख आधारशिला हैं। संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने संसदीय प्रणाली को इसलिए अपनाया क्योंकि यह जनता के प्रति निरंतर जवाबदेही सुनिश्चित करती है। यही जवाबदेही लोकतंत्र की सबसे बड़ी शक्ति और चुनौती दोनों है।

राष्ट्रपति ने कहा कि विधायक जनता और सरकार के बीच सबसे अहम कड़ी हैं। जनता से जुड़कर उनकी समस्याओं का समाधान करना और उन्हें जमीनी स्तर पर सेवा देना एक सौभाग्य है। उन्होंने कहा कि यदि विधायक जनता की भलाई के कार्यों में सक्रिय रहेंगे तो जनता और जनप्रतिनिधियों के बीच भरोसे का रिश्ता और मजबूत होगा।
राष्ट्रपति मुर्मु ने विधानसभा सदस्यों से कहा कि वे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राज्य के विकास और जनकल्याण कार्यों में समर्पण के साथ जुटें। उन्होंने वंचित वर्गों और युवाओं के कल्याण को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 44 में निहित समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के प्रावधान का उल्लेख करते हुए उत्तराखंड विधानसभा द्वारा इसे लागू करने की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह संविधान की मंशा के अनुरूप एक ऐतिहासिक कदम है।

राष्ट्रपति ने विधानसभा द्वारा अब तक पारित 550 से अधिक विधेयकों, जैसे उत्तराखंड लोकायुक्त विधेयक, जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार विधेयक और एंटी-कॉपीिंग बिल, की सराहना की, जो पारदर्शिता, नैतिकता और सामाजिक न्याय से प्रेरित हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को प्रकृति ने अनुपम सौंदर्य और संसाधनों से नवाजा है। राज्य को विकास की दिशा में आगे बढ़ते हुए पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना चाहिए। पिछले 25 वर्षों में राज्य ने पर्यावरण, ऊर्जा, पर्यटन, शिक्षा, स्वास्थ्य और कनेक्टिविटी के क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। मानव विकास सूचकांकों पर भी राज्य का प्रदर्शन बेहतर हुआ है।

अंत में राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना के साथ उत्तराखंड विधानसभा के सदस्य राज्य और देश को तीव्र विकास के मार्ग पर अग्रसर करेंगे।
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