राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सेंट थॉमस कॉलेज, पल्ली के प्लैटिनम जयंती समारोह के समापन समारोह में की शिरकत

शिक्षा का प्रकाश व्यक्तिगत और सामाजिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

  • राष्ट्रपति ने सेंट थॉमस कॉलेज, पल्ली के 75वें वर्ष के प्लैटिनम जयंती समारोह के समापन समारोह में शिरकत की।
  • उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यक्तिगत और सामाजिक विकास के अवसरों की खोज की कुंजी है।
  • केरल को साक्षरता, शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी बनाने में स्थानीय प्रयासों की भूमिका सराहनीय है।
  • राष्ट्रपति ने कॉलेज द्वारा सामाजिक न्याय, समावेशिता और गुणवत्ता शिक्षा को बढ़ावा देने की पहल की प्रशंसा की।
  • कॉलेज के उल्लेखनीय पूर्व छात्रों में पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री के.जी. बालकृष्णन, खेलकूद, मंत्री, और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तित्व शामिल हैं।

समग्र समाचार सेवा
पल्ली, केरल | 24 अक्टूबर: राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने सेंट थॉमस कॉलेज, पल्ली के प्लैटिनम जयंती समारोह के समापन समारोह में शिरकत की। उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यक्तिगत और सामाजिक विकास के अवसरों की खोज की कुंजी है। सेंट थॉमस कॉलेज की स्थापना मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से हुई थी, और पिछले 75 वर्षों में यह उद्देश्य पूरी तरह सफल रहा है।

 

राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा संस्थान ऐसे कार्यशालाओं के समान हैं जहाँ भविष्य की दिशा तय होती है। उन्होंने कॉलेज के समग्र शिक्षा, सामाजिक न्याय, सततता और समावेशिता पर जोर देने की सराहना की। इसके साथ ही, कॉलेज द्वारा बौद्धिक गतिविधियों को नैतिक मार्गदर्शन के साथ बढ़ावा देना भी उल्लेखनीय है।

 

राष्ट्रपति ने कॉलेज के प्रतीक चिन्ह और उसके आदर्शों पर प्रकाश डाला, जिसमें ‘जीवन’, ‘प्रकाश’ और ‘प्रेम’ के सार्वभौमिक मूल्य शामिल हैं। उन्होंने साक्षरता और शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह व्यक्तिगत और सामूहिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है।

 

कोट्टायम के संदर्भ में राष्ट्रपति ने कहा कि यह शहर सामाजिक और शैक्षिक परिवर्तन की गौरवपूर्ण कहानियों का गवाह रहा है। ‘वायकोम सत्याग्रह’ जैसे आंदोलनों ने समाज में असमानताओं को कम करने में भूमिका निभाई। कोट्टायम को ‘अक्षर नगरी’ कहा जाता है क्योंकि यह साक्षरता और शिक्षा का प्रमुख केन्द्र रहा है। ‘साक्षर केरला’ आंदोलन और श्री पी.एन. पाणिकर के पुस्तकालय आंदोलन ने इस क्षेत्र को ज्ञान के प्रसार में अग्रणी बनाया।

 

राष्ट्रपति ने 21वीं सदी को ‘ज्ञान सदी’ बताते हुए कहा कि नवाचार को आगे बढ़ाने वाला ज्ञान समाज को आत्मनिर्भर बनाता है। साक्षरता, शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में केरल की उपलब्धियां इसे मानव विकास संकेतकों में अग्रणी बनाती हैं।

 

उन्होंने कॉलेज की भौगोलिक विशेषताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि यह मीनाचिल नदी के किनारे स्थित है और आशा जताई कि कॉलेज समुदाय इसे साफ और संरक्षित रखेगा। राष्ट्रपति ने कॉलेज के पूर्व छात्रों की उपलब्धियों की भी सराहना की, जिनमें पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री के.जी. बालकृष्णन, केंद्रीय मंत्री, नागरिक सेवक, कूटनीतिज्ञ, शिक्षाविद और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तित्व शामिल हैं।

 

खेलकूद में उत्कृष्टता पर भी उन्होंने प्रकाश डाला और कहा कि कॉलेज के छात्र जे.जिमी जॉर्ज जैसे महान खिलाड़ियों से प्रेरणा लें। इसके अलावा, कोट्टायम के रहने वाले पूर्व राष्ट्रपति श्री के.आर. नारायणन के उदाहरण से उन्होंने शिक्षा और साधारण परिस्थितियों से महान उपलब्धि तक की यात्रा को उजागर किया।

 

राष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि सेंट थॉमस कॉलेज भविष्य में भी गुणवत्ता शिक्षा को बढ़ावा देकर समान और विकसित भारत के निर्माण में योगदान देता रहेगा। उन्होंने कॉलेज और इससे जुड़े सभी व्यक्तियों के उज्जवल भविष्य की कामना की।

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