समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 8फरवरी। भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बार फिर मौद्रिक नीति की समीक्षा की और एक बार फिर रेपो रेट को बढ़ा दिया गया है. आज यानी बुधवार 8 फरवरी 2023 हुई मौद्रिक नीति में रेपो दर में 25 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि कर दी गई है. इस तरह से पिछले वर्ष मई यानी साल 2022 के पांचवे महीने से अब तक रेपो रेट में 2.10 की बढ़ोतरी दर्ज हो चुकी है. मई 2022 में जहां रेपो रेट 4.40 फीसद था, वहीं करीब 10 महीने बाद आज यानी फरवरी 2023 में यह बढ़कर 6.50 फीसद पर पहुंच गया है. रेपो रेट का आप पर क्या असर पड़ता है ये हम इस खबर में आगे बताएंगे.
रेपो रेट क्या होता है?
सबसे पहले जान लेते हैं रेपो रेट होता क्या है. यह वह दर है, जिस दर पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) व्यावसायिक बैंकों को यानी आपके SBI, ICICI, HDFC, PNB जैसे तमाम बैंकों को कर्ज देता है. इसमें रेपो का मतलब रिपर्पज एग्रीमेंट या रिपर्पज ऑप्शन होता है. अपने ग्राहकों को कर्ज देने के लिए यह व्यावसायिक बैंक RBI से लोन लेते हैं. बता दें कि केंद्रीय बैंक महंगाई को नियंत्रित रखने के लिए भी रेपो रेट का इस्तेमाल करता है.
रेपो रेट का क्या फर्क पड़ता है?
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि RBI महंगाई को नियंत्रित करने के लिए भी रेपोरेट का इस्तेमाल करता है. इसके अलावा रेपो रेट घटने या बढ़ने का आपकी होमलोन की EMI पर भी बहुत बड़ा असर पड़ता है. रेपो रेट की दर बढ़ने से सिर्फ महंगाई और होमलोन की EMI पर ही असर नहीं पड़ता, बल्कि जब आप नया कार लोन, पर्सनल लोन, बिजनेस लोन लेने जाते हैं तो उसकी ब्याज दर पर भी पड़ता है. यही नहीं रेपो रेट के आधार पर ही तमाम व्यावसायिक बैंक आपके किसी भी तरह के लोन की रिस्ट्रक्चरिंग करते हैं और आपके सेविंग अकाउंट पर ब्याज देते हैं. कुल मिलाकर बात यह है कि रेपो रेट बढ़ने पर ब्याज दर बढ़ जाती है और रेपो रेट कम होने पर ब्जाय दरें कम होने लगती हैं.
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