मनीष खेमका
आज़ादी के बाद अब तक के सबसे अधिक क़रीब 17 लाख करोड़ रुपये के घाटे के अनुमान के बावजूद मोदी सरकार ने देश के क़रीब हर वर्ग की माँगो को पूरा किया है। गरीबों के लिए मुफ़्त अनाज की योजना को चालू रखा है। इस पर 2 लाख करोड़ रुपये का पूरा ख़र्च केंद्र ख़ुद उठाएगा। प्रदेश सरकारों पर आर्थिक भार नहीं डाला गया है। अभूतपूर्व घाटे के बावजूद टैक्स बढ़ाने के बजाय उनमें छूट दी गई है। मध्यम वर्ग को आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर सात लाख की गई है। साथ ही आयकर की अधिकतम सीमा को घटाकर 39 प्रतिशत पर सीमित किया गया है। किसानों के लिए 20 लाख करोड़ रुपयों के ऋण की व्यवस्था है। पूंजीगत ख़र्च को लगातार तीसरे साल 30% बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये किया गया है। साथ ही रेलवे को 2.40 लाख करोड़ रुपये दिए गए हैं जोकि 2013-14 से 9 गुना अधिक हैं। इस बार केंद्र सरकार का कुल पूंजीगत ख़र्च क़रीब 13 लाख करोड़ रुपये होगा। यह हम सभी की उम्मीदों से अधिक है। इसका सीधा सा अर्थ है कि देश में इस बार विकास, व्यापार और रोज़गार के अभूतपूर्व अवसर सृजित होंगे।
आम चुनाव नज़दीक होने के बावजूद मोदी सरकार ने बजट में मुफ़्त राजनीतिक उपहारों से परहेज़ करने का साहस दिखाया है। साथ ही गरीबों की ज़रूरतों का ध्यान भी रखा है। वंचितों को वरीयता के साथ ही करदाताओं के साथ न्यायप्रियता व आर्थिक संतुलन का यह मेल सराहनीय है।
कोरोना से उत्पन्न घाटे की चुनौतियों के बावजूद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने इस बजट में हर प्रमुख पहलुओं पर ध्यान दिया है। निश्चित ही यह उनके कार्यकाल का सबसे बेहतरीन बजट है।
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