समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 3 मार्च। अमेरिका की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी ऐमजॉन और फ्यूचर ग्रुप के बीच बात बनती हुए दिख रही है। दोनों पक्षों के वकीलों ने कोर्ट के बाहर अपना मामला सुलझाने पर सहमति जताई है। करीब डेढ साल पहले फ्यूचर ग्रुप ने अपना रिटेल कारोबार रिलायंस इंडस्ट्रीज को बेचने के लिए एक डील की थी। ऐमजॉन ने इसका विरोध किया था और तबसे दोनों पक्ष आमने-सामने हैं।
दोनों पक्षों के पास मामला सुलझाने के लिए 12 दिन का समय
सुप्रीम कोर्ट ने इस दोनों पक्षों को 12 दिन का समय दिया है ताकि कोर्ट के बाहर मामले का समाधान किया जा सके। इस कानूनी जंग के कारण किशोर बियाणी का फ्यूचर ग्रुप दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया है। ऐमजॉन के वकील गोपाल सुब्रमण्यन ने कहा कि वह एक समाधान पेश कर रहे हैं। इस मामले के दूसरे समाधान भी हो सकते हैं। लेकिन हमने हमेशा बातचीत पर जोर दिया है। हमें मिलकर कोई समाधान खोजना चाहिए।
मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च को होगी
मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च को होगी। कोर्ट ने कहा कि ऐमजॉन, फ्यूचर रिटेल (एफआरएल) और इसके प्रमोटर फ्यूचर कूपन्स प्राइवेट लिमिटेड (एफसीपीएल) को समाधान खोजना चाहिए। यह बिजनस के लिए बेहतर रहेगा। एफआरएल के वकील हरीश साल्वे और एफसीपीएल के मुकुल रोहतगी ने भी इस पर सहमति जताई। कोर्ट ने साथ ही कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय और एनसीएलएटी में चल रही कार्यवाही चलती रहेगी। भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (सीसीआई) ने ऐमजॉन और एफसीपीएल के बीच हुए करार को 2019 में दी गई मंजूरी को निलंबित कर दिया था। ऐमजॉन ने इसे एनसीएलएटी में चुनौती दी थी।
क्या है पूरा मामला, कैसे शुरू हुआ विवाद, जानें
बियाणी ने फ्यूचर कूपन्स में 49 फीसदी हिस्सेदारी ऐमजॉन को 1500 करोड़ रुपये में बेच दी। नवंबर 2019 में इसे भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग से भी हरी झंडी मिली थी। अगस्त, 2021 में बियाणी ने अपने रिटेल, होलसेल, लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग बिजनस को बेचने के लिए रिलायंस रिटेल के साथ 24,713 करोड़ रुपये की एक डील की। तभी से दोनों पक्षों के बीच ठनी हुई है। दोनों पक्षों के बीच सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, एनसीएलटी, एनसीएलएटी, सीसीआई और मध्यस्थता पंचाट में जंग जारी है।
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