स्मृति शेष…आदरणीय मृदुला जी,अब सिर्फ आपकी यादें ही हमें ऊर्ज़ान्वित करती रहेंगी…

कुमार राकेश
कुमार राकेश

*कुमार राकेश

वर्ष 2020 किसी के लिए बेहतर नहीं रहा .पता नहीं,ईश्वर को क्या मंज़ूर हैं .आज देश की प्रख्यात साहित्यकार,बिहार गौरव व गोवा की पूर्व राज्यपाल श्रीमती मृदुला जी सिन्हा हम सबको छोड़कर चली गयी.कई सालो का सम्पर्क.कई बार उनका आशीर्वाद,उनका आशीर्वचन ..कई यादें ,,कई संस्मरण ,,कई ऊर्जान्वित करने वाली घटनाएँ ..रचनात्मकता की अनुपम व अकूत भंडार.सदैव हँसते रहना व औरो को भी हंसने के लिए प्रेरित करते रहना .अद्भुत ,अद्वितीय व्यक्तित्व ..
सत्य ,साहित्य ,समाज सेवा व राजनीति की अद्भुत संगम थी आदरणीय व परम स्नेही मृदुला जी .उन्हें हम कभी नहीं भूल पायेंगे,वो सबकी थी ,,सबके उनके थे.एक प्रेरक व्यक्तित्व .जमींन से जुडी नेता .हर दिल अज़ीज़. कई संस्मरण ,कई यादें .कई प्रेरक प्रसंग ..उस पर विस्तार से आगे चर्चा करूँगा …. .
मैं उनसे 1991 से सम्पर्क में था ,पर 2014 की एक घटना जन सरोकारों से जुडी है . 2014 में राज्यपाल बनने के बाद मैंने पहली बार जब उनको फोन किया था. तो मेरे जीवन का एक नया व पहला अनुभव था.राज्यपाल श्रीमती सिन्हा को मोबाइल पर उनसे सम्पर्क करने की कोशिश की.विश्वास नहीं था कि वो खुद फोन उठाएगी .एक घंटी बजने के बाद ही उन्होंने फोन उठा लिया -फिर मैंने कहा आदरणीय राज्यपाल महोदया जी से बात करनी है ..छूटते ही कहा -बोलो राकेश ..कैसे हो ..मै आश्चर्यचकित ..मैंने नमस्कार किया ..आशीर्वाद लिया .फिर पुछा ,,आपने सीधे फोन उठा लिया ? इस पर वह बोली -क्या हुआ ..मुझे पता है -मै मृदुला सिन्हा पहले हूँ ,राज्यपाल बाद में..अब तो तुम्हे ऐसे ही मिलेगा.तुम्हे तो पता है कि ये अपने नरेन्द्र मोदी जी की जन सरोकारों वाली सरकार है .जमींन से जुडी सरकार है.इसलिए अब हम सबको अपनी अपनी सोच बदलनी चाहिए. सच कहा था ,उन्होंने,सोच बदलना जरूरी है अपने लिए ,अपनों के लिए और अपने समाज व देश के लिए ..तभी देश बदलेगा….
उसके बाद जब भी सम्पर्क करने की जरुरत महसूस हुयी ,सीधे उनसे उनके मोबाइल फोन पर ही वो मिली .ये भी नहीं कि ये सब
मेरे लिए था .वो सबके लिए था.राज भवन सबके लिए ,सबका राज ,सबका भवन ,जैसा कि भाजपा के दिग्गज भैरों सिंह शेखावत ने उप राष्ट्रपति बनने के बाद अपना ऐतिहासिक बयान दिया था .प्रोटोकॉल मेरे लिए हैं ,मैं प्रोटोकॉल के लिए नहीं …
उसके पहले 2012 में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में विश्व हिंदी सम्मेलन की एक ऐसी घटना ,जिस पर भारत सरकार के स्थानीय उच्चायुक्त वीरेन्द्र गुप्ता को हम सबसे क्षमा मांगनी पड़ी थी ,वो उनकी कुव्यवस्था की वजह से .वहां की कुव्यवस्था की वजह से आदरणीय मृदुला जी और मशहूर साहित्यकार चित्रा जी मुद्गल को कई परेशानियाँ झेलनी पड़ी थी.उस रात को मैं कभी नहीं भूल सकता ,मृदुला जी भी नहीं भूली थी और चित्रा जी भी नहीं.पर ऍन वक़्त पर मेरे को सूचना मिली और सभी विपरीत स्थिति पर नियंत्रण किया गया.
2015 में भोपाल में विश्व हिंदी सम्मलेन में उनकी सक्रिय भागीदारी और पूर्व मंत्री अनिल दवे की कई मायनो में जुगलबंदी .बंगलुरु में  2017 प्रवासी भारतीय सम्मेलन में उनकी सक्रिय भागीदारी.कई संस्मरण ,कई यादें ,,1991 से अब तक के कई संस्मरण ..2002 से अबतक हमारे इंडिया वर्ल्ड फाउन्डेशन के कई कार्यक्रमों में उनका सदैव आशीर्वाद व भागीदारी.के लिए हम सब उनके सदैव अनुगृहित रहेंगे ,हम सब शोकाकुल हैं .
राज्यपाल रहते हुए उन्होंने कई ऐतिहासिक कार्य किये पर साहित्य सेवा व साधना कभी नहीं छोड़ी ..एक कर्म सन्यासी की तरह ज़िन्दगी को जिया ..जिस शान से जिया ..उसी शांति से वो चली गयी ..हम सबको रोता व बिलखता छोड़कर ..
उनको शत शत नमन…ॐ शांति ॐ ..ईश्वर उनकी आत्मा को शांति व मुक्ति प्रदान करे और उनके परिवार को इस अपार दुःख को सहने की अदम्य शक्ति दे…हम सब उनके साथ हैं …आदरणीय हम सब आपको कभी नहीं भूल पाएंगे …
*कुमार राकेश

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