केरल में कैथोलिक सूबे की जमीन में मिले 100 वर्ष पुराने मंदिर के अवशेष, चर्च ने दिया हिंदू अनुष्ठान की अनुमति

समग्र समाचार सेवा
तिरुवनंतपुरम,14 फरवरी।
केरल में एक ऐतिहासिक खोज ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। यहां के एक कैथोलिक सूबे (डायोसीज़) की जमीन में 100 वर्ष पुराने एक मंदिर के अवशेष मिले हैं। दिलचस्प बात यह है कि चर्च प्रशासन ने इस खोज को लेकर संवेदनशीलता दिखाते हुए हिंदू अनुष्ठानों की अनुमति भी दे दी है

कैसे हुई मंदिर के अवशेषों की खोज?

मामला केरल के एर्नाकुलम जिले का है, जहां एक कैथोलिक चर्च की जमीन पर खुदाई के दौरान यह प्राचीन मंदिर मिला। खुदाई के दौरान मंदिर की नींव, नक्काशीदार खंभे और कुछ देवी-देवताओं की मूर्तियां मिलीं। स्थानीय पुरातत्वविदों के अनुसार, यह मंदिर लगभग 100 साल से भी अधिक पुराना हो सकता है।

स्थानीय प्रशासन और चर्च अधिकारियों ने इस खोज को महत्वपूर्ण बताते हुए तुरंत पुरातत्व विभाग को इसकी जानकारी दी।

चर्च ने दिखाई सहिष्णुता, हिंदू समुदाय को दी पूजा की अनुमति

जब यह खबर फैली कि खुदाई के दौरान एक प्राचीन मंदिर के अवशेष मिले हैं, तो स्थानीय हिंदू समुदाय ने वहां अनुष्ठान करने की इच्छा जताई। इस पर चर्च प्रशासन ने बड़े दिल से सहमति दी और हिंदू अनुष्ठान करने की अनुमति दे दी।

चर्च के प्रवक्ता ने कहा, “हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। यह एक ऐतिहासिक स्थल है और अगर यह स्थान कभी हिंदू पूजा स्थल रहा है, तो हम किसी भी धार्मिक अनुष्ठान को रोकने का प्रयास नहीं करेंगे।”

स्थानीय हिंदू संगठनों की प्रतिक्रिया

इस खोज के बाद हिंदू संगठनों ने खुशी जताई और चर्च प्रशासन के सौहार्दपूर्ण रुख की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह धार्मिक सहिष्णुता और परस्पर सद्भाव का उत्कृष्ट उदाहरण है।

एक स्थानीय हिंदू नेता ने कहा, “हम चर्च के इस फैसले की सराहना करते हैं। यह भारत की गंगा-जमुनी तहजीब को दिखाता है, जहां सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है।”

पुरातत्व विभाग करेगा विस्तृत अध्ययन

अधिकारियों ने बताया कि पुरातत्व विभाग अब इस मंदिर के इतिहास की विस्तृत जांच करेगा। इसके तहत यह देखा जाएगा कि यह मंदिर कब और क्यों बंद हो गया, और यह क्षेत्र पहले कैसा था।

निष्कर्ष

केरल में कैथोलिक चर्च की जमीन से 100 साल पुराने मंदिर के अवशेष मिलने और चर्च द्वारा हिंदू पूजा की अनुमति देने की यह घटना धार्मिक सौहार्द का एक सुंदर उदाहरण पेश करती है। यह घटना भारत की संस्कृति, विरासत और धार्मिक सहिष्णुता को और मजबूत करने का संकेत देती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस प्राचीन मंदिर के इतिहास को लेकर आगे क्या खुलासे होते हैं।

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