जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी पर भेदभाव और धर्मांतरण के आरोपों की रिपोर्ट जारी
नई दिल्ली: जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) विश्वविद्यालय में गैर-मुसलमानों के साथ कथित भेदभाव और धर्मांतरण के मामलों पर आधारित फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट को गुरुवार को सार्वजनिक किया गया। यह रिपोर्ट “कॉल फॉर जस्टिस” द्वारा गठित समिति ने जारी की, जिसमें न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एस.एन. ढींगरा और दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त एस.एन. श्रीवास्तव सहित अन्य सदस्य शामिल हैं।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:
- गैर-मुसलमानों के साथ भेदभाव:
रिपोर्ट के अनुसार, विश्वविद्यालय में गैर-मुस्लिम छात्रों और शिक्षकों के साथ भेदभाव किया जाता है। इसमें कर्मचारियों द्वारा गैर-मुसलमानों को अपमानित करने और उनके प्रति पक्षपातपूर्ण व्यवहार करने की घटनाएं शामिल हैं। - पदों और सुविधाओं में असमानता:
कई गैर-मुस्लिम शिक्षकों ने आरोप लगाया कि उन्हें उनके मुस्लिम समकक्षों की तुलना में बुनियादी सुविधाएं और संसाधन प्रदान नहीं किए गए। उदाहरण के लिए, एक गैर-मुस्लिम शिक्षक को परीक्षा नियंत्रक बनने के बाद भी उचित केबिन देने से इनकार कर दिया गया। - धर्मांतरण का दबाव:
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि कुछ छात्रों और शिक्षकों को इस्लाम धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया गया। एक सहायक प्रोफेसर ने गवाही दी कि एक शिक्षक ने कक्षा में धर्मांतरण को अनिवार्य बताते हुए धमकी दी थी। - आदिवासी छात्रों पर प्रभाव:
रिपोर्ट के अनुसार, आदिवासी छात्रों को विशेष रूप से निशाना बनाया गया। उत्पीड़न के चलते कई छात्रों ने विश्वविद्यालय छोड़ दिया। - धर्मांतरण से फायदे का दावा:
रिपोर्ट में कुछ मामलों का उल्लेख किया गया, जिनमें इस्लाम अपनाने के बाद व्यक्तियों को जेएमआई में बेहतर पद और अवसर दिए गए।
समिति की संरचना और उद्देश्य:
इस समिति का गठन “कॉल फॉर जस्टिस” नामक एनजीओ ने किया। इसका उद्देश्य जामिया में गैर-मुसलमानों के साथ भेदभाव और धर्मांतरण के आरोपों की जांच करना था। समिति में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एस.एन. ढींगरा, अधिवक्ता राजीव कुमार तिवारी, पूर्व आईएएस अधिकारी नरेंद्र कुमार, पूर्व पुलिस आयुक्त एस.एन. श्रीवास्तव, और अन्य विशेषज्ञ शामिल थे।
अगले कदम:
यह रिपोर्ट गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, शिक्षा मंत्रालय, और दिल्ली के उपराज्यपाल को प्रस्तुत की जाएगी। “कॉल फॉर जस्टिस” ने जेएमआई के खिलाफ शिकायतों की प्रारंभिक जांच के बाद विस्तृत जांच के लिए इस समिति का गठन किया था।
यह रिपोर्ट जेएमआई में भेदभाव और धर्मांतरण के गंभीर आरोपों पर ध्यान केंद्रित करती है और इन मामलों में कार्रवाई की मांग करती है।
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