समग्र समाचार सेवा
पटना, 14जून। बिहार की राजनीति में बड़ा अचानक भुचाल सा आ गया है। लोक जनशक्ति पार्टी के पांच सांसदों ने पार्टी प्रमुख चिराग पासवान के खिलाफ खुलकर बगावत कर दी है. इस बगावत का नेतृत्व खुद चिराग के चाचा और दिवंगत राम विलास पासवान के भाई पशुनाथ पारस पासवान कर रहे हैं. बागी सांसदों ने पशुपति नाथ को लोकसभा में संसदीय दल का नेता चुन लिया है।
जानकारी के अनुसार उसमें छह सांसदों वाली लोजपा में अधिकांश सदस्यों ने पारस में अपनी आस्था जताते हुए समर्थन दे दिया है। इस तरह से केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार से पहले लोजपा टूट के करीब पहुंच गई है। अब सिर्फ आधिकारिक घोषणा होना शेष रह गया है। बता दें कि लोजपा मिट्ठू को लेकर अंदर ही अंदर काफी दिनों से कोशिश चल रही थी। जानकर बता रहे हैं कि पटना में 2 दिन पहले जेडीयू के कद्दावर नेता और सांसद ललन सिंह से पशुपति कुमार पारस की मुलाकात भी हुई थी।
मैं अकेला महसूस कर रहा हूं। पार्टी की बागडोर जिनके हांथ में गई। पार्टी के 99% कार्यकर्ता, सांसद, विधायक और समर्थक सभी की इच्छा थी कि हम 2014 में NDA गठबंधन का हिस्सा बनें और इस बार के विधानसभा चुनाव में भी हिस्सा बने रहें: बिहार के हाजीपुर से LJP के लोकसभा सांसद पशुपति कुमार पारस pic.twitter.com/Wqw8LgOosP
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 14, 2021
लोजपा सांसद पशुपति कुमार पारस, चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा सिंह, चंदन सिंह और प्रिंसराज की चिराग पासवान से राहें अलग हो गई हैं। रविवार देर शाम तक चली लोजपा सांसदों की बैठक में इस फैसले पर मुहर लग गई। बाद में पांचों सांसदों ने अपने इस फैसले की जानकारी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को भी दे दी। सांसदों ने उन्हें इस संबंध में आधिकारिक पत्र भी सौंप दिया। सोमवार यानी आज ये सांसद चुनाव आयोग को भी इसकी जानकारी देंगे। उसके बाद अपने फैसलों की आधिकारिक घोषणा भी करेंगे।
पशुपति पारस पासवान ने कहा कि वह अकेला महसूस कर रहे हैं. पार्टी की बागडोर जिनके हांथ में हैं उनके कामकाज से कार्यकर्ता बेहद नाराज हैं. उनका सीधा निशाना अपने भतीजे चिराग पासवान की ओर था. राम विलास पासवान के निधन के बाद चिराग को ही लोजपा का अध्यक्ष बनाया गया था।
पशुपति पारस ने कहा कि पार्टी के 99 प्रतिशत कार्यकर्ता, सांसद, विधायक और समर्थक सभी की इच्छा थी कि हम 2014 में NDA गठबंधन का हिस्सा बनें और इस बार के विधानसभा चुनाव (2020 के विधानसभा चुनाव) में भी हिस्सा बने रहें. लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
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