रोड रेज मामला: नवजोत सिंह सिद्धू ने पटियाला कोर्ट में किया सरेंडर, बोले- अदालत के फैसले का सम्मान करुंगा
समग्र समाचार सेवा
चंढ़ीगढ, 20मई। पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को साल 1988 के ‘रोड रेज’ मामले में शुक्रवार शाम करीब साढ़े चार बजे पटियाला की स्थानीय अदालत में सरेंडर कर दिया। गुरुवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एक साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। सुबह 10 बजे सिद्धू कोर्ट पहुंचने वाले थे, लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर कोर्ट से कुछ समय मांगा था।
इसके बाद खबर आई कि वह दोपहर दो बजे कोर्ट में आत्मसमर्पण करेंगे। उन्होंने दो बजे भी आत्मसमर्पण नहीं किया और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से फोन पर बात की। इसके बाद वह शाम करीब 4 बजे आत्मसमर्पण के लिए घर से निकले और पटियाला की एक स्थानीय अदालत में सरेंडर कर दिया।
चीफ जस्टिस ने सरेंडर से राहत की सिद्धू की अर्जी पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया है। बताया जा रहा है कि सरेंडर से पहले नवजोत सिंह सिद्धू की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन भी दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को सिद्धू को रोडरेज के एक पुराने मामले में एक साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू गुरुवार की रात करीब नौ बजकर 45 मिनट पर अमृतसर से पटियाला पहुंचीं।
क्या था मामला
27 दिसंबर 1988 की शाम सिद्धू अपने दोस्त रुपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरवाले गेट की मार्केट में पहुंचे थे। मार्केट में पार्किंग को लेकर उनकी 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई। बात हाथापाई तक जा पहुंची। इस दौरान सिद्धू ने गुरनाम सिंह को मुक्का मार दिया। पीड़ित को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में सिद्धू को मात्र एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद पीड़ित पक्ष ने इस पर पुनर्विचार याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को 15 मई 2018 को दरकिनार कर दिया था जिसमें रोडरेज के मामले में सिद्धू को गैरइरादतन हत्या का दोषी ठहराते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को एक 65 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक को जानबूझकर चोट पहुंचाने का दोषी माना था लेकिन उन्हें जेल की सजा नहीं दी थी और 1000 रुपये का जुर्माना लगाया था। भारतीय दंड संहिता की धारा 323 के तहत इस अपराध के लिए अधिकतम एक साल जेल की सजा या 1000 रुपये जुर्माने या दोनों का प्रावधान है।
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