समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 3अगस्त। उड़ान योजना के प्रावधानों के तहत चयनित एयरलाइन ऑपरेटरों को व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (वीजीएफ) के लिए 3,587 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। यह जानकारी नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री श्री मुरलीधर मोहोल ने कल लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
उड़ान योजना का उद्देश्य
आरसीएस-उड़ान (क्षेत्रीय संपर्क योजना – उड़ान) एक बाजार संचालित योजना है, जिसका उद्देश्य कम सेवा वाली और सेवा रहित हवाई पट्टियों और हवाई अड्डों पर कनेक्टिविटी प्रदान करना है। इस योजना के तहत एयरलाइंस को सेवा देने के लिए बोली लगाने की प्रक्रिया की जाती है। अधिक गंतव्यों और मार्गों को कवर करने के लिए समय-समय पर बोली दौर आयोजित किए जाते हैं।
प्रक्रिया और संचालन
विशेष मार्गों पर मांग के आकलन के आधार पर, इच्छुक एयरलाइंस उड़ान के तहत बोली के समय अपने प्रस्ताव प्रस्तुत करती हैं। एक हवाई अड्डा जो उड़ान के आवंटित मार्गों में शामिल है और जिसे उड़ान संचालन शुरू करने के लिए उन्नयन या विकास की आवश्यकता होती है, उसे ‘सेवा न प्रदान करने वाले और कम सेवा वाले हवाई अड्डों का पुनरुद्धार’ योजना के तहत विकसित किया जाता है।
हवाई अड्डे के विकास और तैयार होने पर, चयनित एयरलाइन ऑपरेटर (एसएओ) इन हवाई अड्डों को जोड़ने वाले आवंटित उड़ान मार्गों पर संचालन शुरू करते हैं। एयरलाइन ऑपरेटरों को उड़ान संचालन की लागत और ऐसे मार्गों पर अपेक्षित राजस्व के बीच के अंतर को पूरा करने के लिए वित्तीय (वीजीएफ) सहायता प्रदान की जाती है। उड़ान के तहत आवंटित कुछ मार्ग, जो 3 वर्ष की अवधि पूरी होने से पहले बंद हो गए थे, उन्हें उड़ान राउंड 5.3 के तहत पुनः बोली के लिए प्रस्तुत किया गया है।
देरी के कारण
हालांकि योजना को तेजी से लागू किया जा रहा है, कुछ हवाई अड्डों के परिचालन में निम्नलिखित कारणों से देरी होती है:
भूमि की अनुपलब्धता: कुछ स्थानों पर आवश्यक भूमि के उपलब्ध न होने के कारण विकास कार्यों में देरी होती है।
तकनीकी और परिचालन संबंधी बाधाएं: कुछ हवाई अड्डों पर तकनीकी और परिचालन संबंधी मुद्दों के कारण संचालन में रुकावट आती है।
कम्यूटर ऑपरेटर परमिट में देरी: नई एयरलाइनों द्वारा अनुसूचित कम्यूटर ऑपरेटर परमिट प्राप्त करने में देरी हो सकती है।
अन्य मुद्दे: उपयुक्त विमान की अनुपलब्धता, विमान पट्टे संबंधी मुद्दे, और छोटे विमानों के रखरखाव संबंधी समस्याएं भी देरी का कारण बनती हैं।
रियायतें और सहायता एसएओ को केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और हवाईअड्डा ऑपरेटरों द्वारा निम्नलिखित रियायतें और सहायता प्रदान की जाती हैं:
हवाईअड्डा ऑपरेटर:
लैंडिंग और पार्किंग शुल्क: आरसीएस उड़ानों पर कोई शुल्क नहीं लगेगा।
टर्मिनल नेविगेशन लैंडिंग शुल्क (टीएनएलसी): आरसीएस उड़ानों पर कोई शुल्क नहीं लगेगा।
रूट नेविगेशन और सुविधा शुल्क (आरएनएफसी): आरसीएस उड़ानों पर सामान्य दरों के 42.50 प्रतिशत की रियायती दर से लागू किया जाएगा।
सेल्फ-ग्राउंड हैंडलिंग: सभी हवाई अड्डों पर एसएओ को परिचालन के लिए अनुमति दी गई।
केंद्र सरकार:
उत्पाद शुल्क: आरसीएस हवाई अड्डों से एसएओ द्वारा खरीदे गए विमानन टरबाइन ईंधन (एटीएफ) पर 2 प्रतिशत की दर से शुल्क लगाया जाएगा।
कोड साझाकरण व्यवस्था: एसएओ को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों एयरलाइनों के साथ कोड साझाकरण करने की स्वतंत्रता है।
राज्य सरकारें:
वैट में कमी: आरसीएस हवाई अड्डों पर एटीएफ पर वैट को 10 वर्ष की अवधि के लिए 1 प्रतिशत या उससे कम किया जाएगा।
भूमि उपलब्धता: हवाई अड्डों के विकास के लिए आवश्यक न्यूनतम भूमि नि:शुल्क और बिना किसी बाधा के उपलब्ध कराई जाएगी।
सुरक्षा और अग्निशमन सेवाएं: नि:शुल्क सुरक्षा और अग्निशमन सेवाएं प्रदान की जाएंगी।
उपयोगिता सेवाएं: बिजली, पानी और अन्य सेवाएं उल्लेखनीय रियायती दरों पर उपलब्ध कराई जाएंगी।
इस योजना का उद्देश्य क्षेत्रीय हवाई संपर्क को बढ़ावा देना और कम सेवा वाले क्षेत्रों को जोड़ना है, जिससे देश की विमानन सुविधा में सुधार हो सके। यह कदम भारत के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को भी साकार करने में सहायक सिद्ध होगा।
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