आरएसएस शताब्दी पर स्मारक सिक्का जारी, विरोधियों की नासमझी ने बनाई बहस का केंद्र

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सौ वर्षों के सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान के सम्मान में सरकार ने 1 अक्टूबर 2025 को 100 रुपए मूल्य का स्मारक सिक्का जारी किया। इस सिक्के पर भारत माता की तस्वीर और संस्कृत में “राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम” लिखा है, जिसका अर्थ है—“सब कुछ राष्ट्र के लिए, कुछ भी मेरा नहीं।”

हालांकि, इस सामान्य और प्रेरणादायक सूक्ति को लेकर सोशल मीडिया और कुछ राजनीतिक दलों में विवाद खड़ा हो गया। कई लोगों ने सिक्के को गलत तरीके से व्याख्यायित किया और आरएसएस पर आरोप लगाया कि वह राष्ट्र को ‘स्वाहा’ करना चाहता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की नासमझी विरोधियों को ही मज़बूत बनाती है और आम जनता में हास्य का कारण बनती है।

स्मारक सिक्के जारी करने का अधिकार केंद्र सरकार को है। वित्त मंत्रालय के माध्यम से ऐसे सिक्कों को विशेष अवसरों पर ढाला जाता है और इनका मूल्य तय किया जाता है। इन सिक्कों का विपणन आम मुद्रा की तरह नहीं होता, बल्कि संग्रहणीय वस्तु के रूप में खरीदा जा सकता है। इससे सरकार को आय होती है और साथ ही यह देश की संस्कृति और सामाजिक सेवाओं को सम्मान देने का माध्यम भी बनता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरएसएस की सेवा भावना और सामाजिक योगदान को देखते हुए अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में इस सिक्के और डाक टिकट का विमोचन किया। सिक्के की डिज़ाइन में भारत माता के सामने संघ के स्वयंसेवक विनीत मुद्रा में झुके दिखाई देते हैं और सिक्के के पीछे राष्ट्र का प्रतीक चिन्ह, सिंह की आकृति अंकित है।

इतिहास में स्मारक सिक्कों का प्रचलन नई नहीं है। 1892 से भारत में 150 से अधिक स्मारक सिक्के जारी किए जा चुके हैं। इनमें डॉ. भीमराव अंबेडकर, मौलाना आज़ाद, रवींद्रनाथ टैगोर, मदर टेरेसा, स्वामी विवेकानंद जैसी महान हस्तियों को याद किया गया। उच्च मूल्य वर्ग के स्मारक सिक्कों में 100 रुपए और उससे अधिक मूल्य के सिक्के शामिल होते हैं।

सिक्कों की उपयोगिता केवल स्मृति तक सीमित नहीं है। यह भारतीय इतिहास, संस्कृति और महान व्यक्तियों की योगदान को सहेजने का महत्वपूर्ण साधन भी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि स्मारक सिक्कों का विरोध अक्सर राजनीतिक कारणों से होता है, जबकि असली उद्देश्य राष्ट्र और समाज के प्रति सम्मान व्यक्त करना है।

वर्तमान विवाद ने इस तथ्य को उजागर किया है कि भारतीय समाज और संस्कृति के प्रति कुछ लोगों की समझ कितनी सीमित है। RSS और उसकी सामाजिक गतिविधियों को लेकर फैलाए जा रहे भ्रमों के बावजूद, स्मारक सिक्का जारी करने की प्रक्रिया और इसका उद्देश्य पूर्णतया पारदर्शी और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

स्मारक सिक्के अब भी संग्रहणीय और ऑनलाइन माध्यम से खरीदे जा सकते हैं। इसके माध्यम से न केवल इतिहास और संस्कृति को सहेजा जा सकता है, बल्कि युवा पीढ़ी में देशभक्ति और सामाजिक सेवा की भावना भी जागृत होती है।

 

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