RTI अधिनियम: जनता और सरकार के बीच सेतु, असम के राज्यपाल का NFICI बैठक में जोर

समग्र समाचार सेवा
गुवाहाटी,10 अप्रैल।
असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने मंगलवार को सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम को लोकतंत्र को मजबूत करने वाला एक क्रांतिकारी माध्यम बताया और इसे सरकार और आम जनता के बीच एक महत्वपूर्ण सेतु करार दिया। वे नेशनल फेडरेशन ऑफ इंफॉर्मेशन कमीशन्स इन इंडिया (NFICI) की 32वीं बोर्ड ऑफ गवर्नर्स और 14वीं वार्षिक आम सभा की बैठक के उद्घाटन अवसर पर संबोधित कर रहे थे।

राज्यपाल आचार्य ने कहा, “RTI अधिनियम एक क्रांतिकारी कदम है, एक ऐसा पुल है जो सरकार और आम नागरिक के बीच की दूरी को कम करता है। यह लोगों को जानकारी मांगने की शक्ति देता है और यह सिद्धांत स्थापित करता है कि लोकतंत्र में असली शासक जनता होती है, न कि सरकार।”

उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि RTI अधिनियम ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने, सेवा वितरण में सुधार लाने और ग्रामीण व वंचित समुदायों को आवाज़ देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके अनुसार, जानकारी की शक्ति ने नागरिकों को सवाल पूछने और अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने का अधिकार दिया है, जो किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।

राज्यपाल ने यह भी ज़ोर देकर कहा कि RTI प्रणाली को डिजिटल प्रौद्योगिकियों के अनुरूप उन्नत करने की आवश्यकता है। उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा एनालिटिक्स जैसे नवीनतम तकनीकों के प्रयोग की वकालत की ताकि RTI प्रक्रिया को स्वचालित बनाया जा सके और सूचनाएं अधिक सुगमता से उपलब्ध हो सकें।

उन्होंने कहा, “RTI को केवल कागज़ी प्रक्रिया तक सीमित नहीं रखा जा सकता — इसे सार्वजनिक व्यवहार का हिस्सा बनाना होगा।”
इसके लिए व्यापक जनजागरूकता अभियान, नियमित अंतराल पर कार्यशालाएं और विशेष रूप से जमीनी स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया।

यह सम्मेलन गुवाहाटी में आयोजित हुआ जिसमें देशभर के राज्य सूचना आयोगों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ मुख्य सूचना आयुक्त एवं NFICI के अध्यक्ष हीरालाल समारिया भी उपस्थित रहे। इस वार्षिक सम्मेलन का उद्देश्य सूचना आयोगों के बीच समन्वय को बढ़ावा देना और भारत में RTI प्रणाली को और प्रभावी बनाने के उपायों पर विचार करना था।

बैठक में उपस्थित प्रतिनिधियों ने राज्यपाल की बातों का समर्थन किया और देश के विभिन्न क्षेत्रों में RTI अधिनियम के कार्यान्वयन में आ रही चुनौतियों और नवाचारों पर अपने विचार साझा किए।

जैसे-जैसे RTI अधिनियम अपने दो दशक पूरे करने के करीब पहुंच रहा है, ध्यान इस बात पर केंद्रित है कि यह अधिकार एक तेजी से डिजिटल और डेटा-आधारित दुनिया में नागरिकों को निरंतर सशक्त करता रहे।

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