संसद में तीसरे दिन भी हंगामा, ओम बिरला ने अन्य सांसदों को किया फटकार

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 23 जुलाई: लोकसभा के मॉनसून सत्र के तीसरे दिन संसद भवन में फिर हंगामे की शुरुआत सुबह से ही हो गई। जैसे ही बहस शुरू हुई, विपक्षी सांसदों ने जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी, जिस पर स्पीकर ओम बिरला ने तीखी चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि सदन में सड़कों जैसा व्यवहार नहीं चलेगा, उस पर निर्णयात्मक कार्रवाई की जाएगी। उनके शब्द थे, “माननीय हैं तो माननीय जैसा व्यवहार करें।”

खड़गे का आरएसएस पर हमला

तत्पश्चात राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान को मुद्दा बनाया। उन्होंने आरोप लगाया कि भागवत ने जवाहरलाल नेहरू की ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ और विश्वविद्यालयों के इतिहास प्रोफेसरों द्वारा कही गई बातों को खारिज कर दिया है। खड़गे ने कहा, “आरएसएस का इतिहास भारत के इतिहास से अलग है।” इस मुद्दे पर भी सदन में विरोध-प्रदर्शन तेज हो गया।

दिल्ली में मानवाधिकार की मांग

राज्यसभा में AAP सांसद संजय सिंह ने अत्यधिक मनमानी बेदखली और दिल्ली में चल रहे मानवाधिकार संकट पर चर्चा कराने की मांग की। उन्होंने नियम 267 के तहत कार्यस्थगन नोटिस दिया, जिससे आर-पार की बहस छिड़ गई। विपक्ष ने इस मुद्दे को महत्त्वपूर्ण बताते हुए सरकार पर लगातार दबाव बना दिया।

भाजपा का पलटवार

भाजपा सांसद जगन्नाथ सरकार ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ये नारेबाजी संसद की कार्यवाही को बाधित कर रही है और जनता का पैसा बर्बाद हो रहा है। उन्होंने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की सेहत पर जोरदार प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “कोई बीमार नहीं होता किसी के कहने से…धनखड़ अस्वस्थ हैं, लेकिन इस मुद्दे पर अधिक चर्चा नहीं होनी चाहिए।”

बिहार में SIR पर राज्यसभा का प्रदर्शन

वहीं, राज्यसभा में वामपंथी और विपक्षी दल बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विवाद हुआ। CPI सांसद पी. संदोष कुमार सहित अखिलेश प्रसाद सिंह, सैयद नसीर हुसैन, रानानी अशोकराव पाटिल, रंजीत रंजन और रेणुका चौधरी ने नियम 267 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव प्रस्तुत कर चर्चा की मांग की। चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया पर भारी विवाद उत्पन्न हो गया।

सियासत की दशा और दिशा

तीसरे दिन की कार्यवाही में विपक्ष लगातार लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में हंगामा करता रहा। बिहार के SIR से लेकर दिल्ली में मानवाधिकार मुद्दे और आरएसएस-नेहरू विवाद तक चर्चा गूंजती रही। इससे स्पष्ट है कि इस मॉनसून सत्र में न केवल सत्ता और विपक्ष की बहस गरमा रही है, बल्कि संसद की कार्यप्रणाली भी हंगामों की चपेट में है।

 

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