श्रीलंका में पूर्व राष्ट्रपति को मिलने वाले विशेषाधिकार पर बवाल, महिंदा राजपक्षे की सुरक्षा में कटौती का दावा

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,2 नवम्बर। श्रीलंका में पूर्व राष्ट्रपतियों को मिलने वाले विशेषाधिकारों को लेकर इन दिनों सियासी घमासान जारी है। इस विवाद का केंद्र पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे हैं, जिनकी सुरक्षा में कटौती के दावे किए जा रहे हैं। महिंदा राजपक्षे, जो पहले देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री रह चुके हैं, वर्तमान में विपक्ष के प्रमुख चेहरों में से एक हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि सरकार उनकी सुरक्षा में जानबूझकर कटौती कर रही है, जो उनके जीवन के लिए खतरे का कारण बन सकती है।

सुरक्षा में कटौती के दावे और खंडन

कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, महिंदा राजपक्षे की सुरक्षा में हाल ही में कटौती की गई है, जिससे उनके समर्थकों में आक्रोश फैल गया है। कई वरिष्ठ नेताओं और समर्थकों का कहना है कि पूर्व राष्ट्रपति को जो विशेषाधिकार और सुरक्षा मिलनी चाहिए थी, वह वर्तमान सरकार द्वारा पूरी नहीं की जा रही है। उनका आरोप है कि यह कदम सरकार द्वारा राजनीतिक दबाव बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

हालांकि, श्रीलंका के वर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने इन दावों का खंडन किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि महिंदा राजपक्षे की सुरक्षा में कोई कटौती नहीं की गई है और उन्हें सुरक्षा के सभी आवश्यक प्रबंध मुहैया कराए जा रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार सभी पूर्व राष्ट्रपतियों की सुरक्षा का ध्यान रखती है और उनके विशेषाधिकारों का सम्मान करती है।

सियासी घमासान के पीछे की वजह

श्रीलंका में मौजूदा सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। देश के आर्थिक संकट के दौरान महिंदा राजपक्षे और उनके परिवार को बड़े पैमाने पर विरोध का सामना करना पड़ा था। इसी वजह से राजपक्षे परिवार के प्रति जनता का गुस्सा और असंतोष भी बढ़ गया था।

अब, जब राजपक्षे परिवार धीरे-धीरे राजनीति में अपनी भूमिका को पुनः स्थापित करने की कोशिश कर रहा है, तब उनके सुरक्षा विशेषाधिकारों में कटौती के दावे फिर से चर्चा में आ गए हैं। विपक्ष का आरोप है कि सरकार राजपक्षे परिवार को कमजोर करने और उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही है। दूसरी ओर, सत्तारूढ़ पार्टी का कहना है कि यह केवल राजनीतिक आरोप हैं और सरकार ने सुरक्षा के संबंध में कोई भेदभाव नहीं किया है।

पूर्व राष्ट्रपतियों को मिलने वाले विशेषाधिकार

श्रीलंका में पूर्व राष्ट्रपतियों को विशेष सुरक्षा और अन्य लाभ मिलते हैं। इसमें आवास, भत्ता, चिकित्सा सुविधाएं, और सुरक्षा कर्मी शामिल हैं। यह विशेषाधिकार उन्हें उनके कार्यकाल के दौरान किए गए योगदानों के लिए दिए जाते हैं। लेकिन राजपक्षे जैसे विवादास्पद व्यक्तित्व के लिए विशेषाधिकारों पर चर्चा होती रही है, और उनका राजनीतिक प्रभाव इस मामले को और अधिक जटिल बना देता है।

आम जनता की प्रतिक्रिया

श्रीलंका के नागरिक इस मुद्दे पर विभाजित दिखाई दे रहे हैं। कुछ लोग मानते हैं कि पूर्व राष्ट्रपतियों को विशेषाधिकार मिलना चाहिए, जबकि कुछ का कहना है कि राजपक्षे परिवार जैसे विवादास्पद लोगों को इन विशेषाधिकारों का लाभ नहीं मिलना चाहिए। श्रीलंका के आर्थिक संकट के दौरान जनता में राजपक्षे परिवार के खिलाफ व्यापक असंतोष था, और कई लोगों का मानना है कि उनके लिए सुरक्षा विशेषाधिकारों में कटौती उचित है।

निष्कर्ष

श्रीलंका में पूर्व राष्ट्रपतियों को मिलने वाले विशेषाधिकारों पर जारी विवाद यह दर्शाता है कि देश की राजनीति में परिवारवाद और सुरक्षा के मुद्दे कितने संवेदनशील हो सकते हैं। महिंदा राजपक्षे की सुरक्षा में कटौती को लेकर चल रहा सियासी घमासान दर्शाता है कि श्रीलंका में राजनीतिक परिदृश्य अभी भी अस्थिर है। राष्ट्रपति द्वारा दावों का खंडन करना एक संतुलन बनाने की कोशिश है, लेकिन इस मुद्दे को सुलझाने के लिए राजनीतिक सहमति और जनता की भावना का सम्मान करना महत्वपूर्ण होगा।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.