समग्र समाचार सेवा
वॉशिंगटन/नई दिल्ली, 3 जुलाई: अमेरिका में पेश हुए विवादित बिल ने अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बाजार में नई बहस छेड़ दी है। सीनेटर लिंडसे ग्राहम द्वारा पेश किए गए इस बिल में रूस से तेल या गैस खरीदने वाले देशों पर 500 फीसदी तक टैरिफ लगाने का प्रस्ताव रखा गया है। इस बीच भारत ने साफ कर दिया है कि वह इस मुद्दे पर पूरी तरह सतर्क है और अपने हितों की रक्षा के लिए हर कदम उठाएगा।
विदेश मंत्री का स्पष्ट संदेश
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस बिल को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा कि भारत इस मसले को लेकर पहले ही अमेरिकी नेताओं से संवाद कर चुका है। उन्होंने कहा कि, “जो भी चीज हमारे हितों को प्रभावित कर सकती है, वो हमारे लिए मायने रखती है। हमने अपनी ऊर्जा और सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को अमेरिका के सामने रखा है।” जयशंकर ने बताया कि वॉशिंगटन में भारतीय दूतावास और भारत के राजदूत लगातार सीनेटर लिंडसे ग्राहम से संपर्क में हैं।
अगर असर पड़ा तो होगा करारा जवाब
विदेश मंत्री ने स्पष्ट कहा कि अगर यह बिल भारत के हितों को प्रभावित करता है, तो उसका उचित जवाब दिया जाएगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों और रणनीतिक हितों से किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा। जयशंकर ने कहा कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को सर्वोपरि रखता है और हर परिस्थिति के लिए तैयार है।
अमेरिकी संसद में मजबूत स्थिति
इस विवादित बिल को अमेरिकी संसद में 80 से ज्यादा सीनेटरों का समर्थन प्राप्त है, जिससे इसके पास होने की संभावना काफी मजबूत मानी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बिल अमेरिकी राष्ट्रपति की वीटो शक्ति को भी पार कर सकता है। ऐसे में अगर यह कानून बनता है तो वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति और कीमतों पर बड़ा असर पड़ सकता है। भारत पहले ही इस मुद्दे पर अपनी स्थिति साफ कर चुका है कि वह किसी दबाव में झुकने वाला नहीं है।
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