समग्र समाचार सेवा
मॉस्को, 4 जुलाई: अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को आखिरकार पहली बार किसी वैश्विक ताकत से औपचारिक मान्यता मिल गई है। रूस ने तालिबान सरकार के नए राजदूत के दस्तावेज स्वीकार कर अपनी मान्यता की मुहर लगा दी है। रूस के विदेश मंत्रालय ने इस फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि वह अफगानिस्तान के साथ संबंधों को नई दिशा देगा।
रूस का ‘साहसी कदम’
तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने रूस के इस फैसले को ‘साहसी कदम’ बताया और उम्मीद जताई कि अब अन्य देश भी इसी राह पर चलेंगे। रूस के इस कदम को तालिबान के लिए वैश्विक स्तर पर अलग-थलग पड़े रहने से उबरने की दिशा में बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। गौरतलब है कि 2021 में अमेरिका के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद तालिबान ने सत्ता पर कब्जा कर लिया था, लेकिन किसी भी देश ने उन्हें औपचारिक मान्यता नहीं दी थी।
आतंकवाद और सुरक्षा पर होगा सहयोग
रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह अफगानिस्तान के साथ आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, नशीली दवाओं की तस्करी और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर सहयोग बढ़ाएगा। साथ ही ऊर्जा, कृषि, परिवहन और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में व्यापारिक संभावनाएं तलाशने पर जोर दिया जाएगा।
चीन-पाकिस्तान ने अभी तक नहीं दी मान्यता
रूस के इस ऐलान से पहले चीन, पाकिस्तान, यूएई और उज्बेकिस्तान जैसे देशों ने काबुल में अपने राजदूत जरूर नियुक्त किए हैं, लेकिन उन्होंने तालिबान को औपचारिक मान्यता नहीं दी है। रूस ने 2003 में तालिबान को आतंकी संगठन घोषित किया था, लेकिन अप्रैल 2024 में यह प्रतिबंध हटा लिया गया। इसके बाद से ही रूस और तालिबान सरकार के बीच तेल, गैस और गेहूं के आयात को लेकर संबंध लगातार मजबूत हुए हैं।
पुतिन का बदला नजरिया
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पहले ही संकेत दे चुके थे कि तालिबान अब आतंकवाद के खिलाफ सहयोगी की भूमिका निभा रहा है। ऐसे में रूस का यह फैसला अफगानिस्तान के लिए न केवल आर्थिक बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी राहत देने वाला माना जा रहा है। अब देखना होगा कि रूस के बाद कौन-कौन से देश तालिबान को वैश्विक मान्यता देने की कतार में आते हैं।
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